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लॉकडाउन में अगर आपके बच्चे ऑनलाइन बिता रहे हैं ज्यादा वक्त तो इन बातों का रखें ध्यान

लॉकडाउन के वक्त ज्यादातर लोगों के माता पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं और उनके बच्चे ज्यादातर समय ऑनलाइन बिता रहे हैं, ऐसे में कुछ बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने लॉक डाउन 3.0 लागू कर दिया है. ऐसे में नौकरी पेशे वाले लोग घर पर ही रह कर अपना काम कर रहे हैं तो वहीं बच्चे भी घर पर ही रहकर ऑनलाइन क्लाससेस कर रहे हैं. तो कुछ बच्चों का समय यूं ही सोशल मीडिया पर बीत रहा है.

ऐसे में केंद्रीय मंत्रालय ने एक सुझाव जारी किया है जिसमें कहा गया है कि लॉकडाउन में बच्चों की ऑनलाइन गतिविधि शिक्षा, सोशलाइजेशन और मनोरंजन के लिए तो ठीक है, लेकिन इससे ऑनलाइन यौन उत्पीड़न, डराने धमकाने और निजी डेटा के दुरुपयोग का खतरा भी बना रहता है. साइबर सिक्योरिटी फर्म कैस्परस्की की अगर हम रिपोर्ट को माने तो 40 फीसदी माता पिता अपने बच्चों के ऑन लाइन गतिविधियों के बारे में जरा भी फिक्र नहीं करते, यहाँ तक कि इंटरनेट में में कितना इस्तेमाल कर रहा है इस बात की भी जानकारी उन्हें नहीं रहती, जबकि 70 फीसदी के माता पिता तो अपने बच्चों की ऑनलिने गतिविधियों पर तो कोई नियंत्रण ही नहीं है.

लेकिन बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखना बेहद जरूरी है खास कर के लॉकडाउन के वक्त तो ये और आवश्यक हो जाता है.

ये सुनिश्चित करना अत्यंत जरूरी है कि कंप्यूटर ये लैपटॉप में सॉफ्टवेयर अपडेट हो, साथ ही साथ एंटी वायरस जरूर इंस्टॉल होना चाहिए, इसकी वैधता अगर समाप्त हो गयी हो तो इसे जरूर रिन्यू करा लें.

बच्चों के साथ बात करके ये नियम जरूर बना लें कि कब और कितने टाइम तक बच्चों को इंटरनेट का इस्तेमाल करना है. साथ ही ये भी बता दें कि किस कार्य के लिए इंटरनेट का उपयोग करना है.

लॉक डाउन के दौरान माता पिता सिर्फ अपने काम में व्यस्त न रहें बल्कि बच्चों के लिए वक्त निकालें और उसे किसी प्रकार का तनाव महसूस न होने दें, अगर बच्चे तनाव में दिखाई पड़े तो बच्चों से जरूर इस बारे में बात करें और उसे दूर करने का प्रयास करें.

बच्चों से सीधी बात चीत करें और देखें कि वो सोशल मीडिया के माध्यम से किन लोगों के संपर्क में हैं.

आप बच्चों को जरूरी ऑनलाइन विषयवस्तु और गैर जरूरी चीजों के बारे में बताएं. आप एंटीवायरस में चिल्ड्रेन प्रोटेक्टिव मोड भी ऑन कर सकते हैं

स्थानीय तौर पर रिपोर्ट करने के तरीकों और सहयोगी हेल्प लाइन संस्था के नंबरों की जानकारी रखें. साथ ही बच्चों को यह भी याद दिलाते रहे कि वास्तविक दुनिया और भी ज्यादा खूबसूरत है, ऑनलाइन की दुनिया से बाहर निकल कर करने को बहुत कुछ है.

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