Importance of Sawan: सावन का महिना हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का पांचवा महीना है, यह जुलाई और अगस्त के बीच आता है. यह माह भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. सावन की धार्मिक मान्यताएं और परम्पराएं इस माह को विशेष बनाती हैं. सावन माह हिन्दू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है. माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था, जिससे वे नीलकंठ कहलाए. उनकी तपस्या और त्याग को मानते हुए भक्त सावन सोमवार का व्रत रखते हैं.
सावन सोमवार व्रत की तारीखें
सावन की पहली तिथि कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है. इस साल सावन में 5 सोमवार व्रत होंगे. पहला सावन सोमवार व्रत 22 जुलाई को रखा जाएगा, और आखिरी सोमवार व्रत 19 अगस्त को होगा. पहला सावन सोमवार व्रत 22 जुलाई 2024, दूसरा सावन सोमवार व्रत 29 जुलाई 2024 तीसरा सावन सोमवार व्रत 5 अगस्त 2024 चौथा सावन सोमवार व्रत 12 अगस्त 2024 पांचवां सावन सोमवार व्रत 19 अगस्त 2024 वही सावन शिवरात्रि इस बार 2 अगस्त 2024, शुक्रवार को है.
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हरियाली और प्रकृति की पूजा
सावन में पूरे वातावरण में हरियाली छा जाती है, जिससे प्राकृतिक सुंदरता बढ़ जाती है. इस समय हरियाली और प्राकृतिक तत्वों की पूजा करना धार्मिक मान्यता प्राप्त है. इसे ‘हरियाली तीज’ के रूप में भी मनाया जाता है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है.
व्रत और उपवास
सावन के दौरान कई लोग विशेष व्रत और उपवास करते हैं. यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए होते हैं. सोमवार को व्रत रखने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसे ‘सावन सोमवार’ के रूप में मनाया जाता है.
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भजन-कीर्तन
इस माह के दौरान शिव भजन, कीर्तन और रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. यह भजन और कीर्तन शिवभक्ति को बढ़ावा देने के लिए होते हैं.
धार्मिक मेलों का आयोजन
सावन माह में विभिन्न स्थानों पर शिवरात्रि, हरियाली तीज और अन्य धार्मिक मेलों का आयोजन किया जाता है. इन मेलों में भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं.
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शिवलिंग पूजन
सावन के दिनों में शिवलिंग पर जल, दूध, गंगा जल और शहद अर्पित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है. इसके साथ ही, बेल पत्र, धतूरा और अक्षत अर्पित किए जाते हैं. शिवलिंग की नियमित पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है.
रुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक एक विशेष पूजा विधि है जिसमें शिवलिंग पर बेल पत्र, पुष्प, जल, और अन्य सामग्रियों से अभिषेक किया जाता है. यह विधि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है.
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