भारत में 44 फीसदी से अधिक महिलाएं पतियों से पिटती हैं, कोरोना ने स्थिति और गंभीर की…
Yearender 2020 : महिलाओं का अपने घर में शारीरिक और मानसिक शोषण ना हो, साथ ही वे एक सम्मानित जीवन जी सकें, इसी सोच के साथ देश में घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 (Domestic Violence Act 2005) लागू हुआ था, लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 (NFHS-5) के आंकड़ों में जो खुलासा हो रहा है, वह यह साबित करता है कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा लगातार बढ़ी है.
महिलाओं का अपने घर में शारीरिक और मानसिक शोषण ना हो, साथ ही वे एक सम्मानित जीवन जी सकें, इसी सोच के साथ देश में घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 लागू हुआ था, लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 (NFHS-5) के आंकड़ों में जो खुलासा हो रहा है, वह यह साबित करता है कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा लगातार बढ़ी है.
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा उस वक्त भी देश में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. NFHS-5 के अनुसार पांच राज्यों की 30 फीसदी से अधिक महिलाएं अपने पति द्वारा शारीरिक एवं यौन हिंसा की शिकार हुई हैं.
NFHS-5 की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के सर्वाधिक मामले मामले कर्नाटक, असम, मिजोरम, तेलंगाना और बिहार में सामने आये हैं. इस सर्वेक्षण में 6.1 लाख घरों को शामिल किया गया. इस सर्वें में साक्षात्कार के जरिए आबादी, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और पोषण संबंधी मानकों के संबंध में सूचना एकत्र की गयी.
NFHS-5 अनुसार कर्नाटक में 18-49 आयु वर्ग की करीब 44.4 फीसदी महिलाओं को अपने पति द्वारा घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा. जबकि 2015-2016 के सर्वेक्षण के दौरान राज्य में ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 20.6 फीसदी थी. सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 40 फीसदी महिलाओं को उनके पति द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा झेलनी पड़ी जबकि मणिपुर में 39 फीसदी, तेलंगाना में 36.9 फीसदी, असम में 32 फीसदी और आंध्र प्रदेश में 30 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं.
इस सर्वेक्षण में सात राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले एनएफएचएस सर्वेक्षण की तुलना में घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई. इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ ने घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि के लिए कम साक्षरता दर और शराब का सेवन समेत अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराया है. जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ पूनम मुतरेजा ने कहा कि बड़े राज्यों में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या में वृद्धि चिंता का विषय है क्योंकि यह सभी क्षेत्रों में प्रचलित हिंसा की संस्कृति को दर्शाता है.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान महिला आयोग को घरेलू हिंसा की कई शिकायते मिली. खासकर लॉकडाउन के दौरान. अधिकतर शिकायतें ईमेल के जरिये भेजी गयीं. राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार मार्च के अंतिम सप्ताह यानी 23 मार्च से 31 मार्च के बीच घरेलू हिंसा की कुल 257 मामले दर्ज हुए. जबकि मार्च के पहले सप्ताह में 116 मामले दर्ज हुए थे. कई एनजीओ ने भी कोरोना काल के दौरान सर्वे किया जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि देश में घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ीं हैं.
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Posted By : Rajneesh Anand