Independence Day 2023 Temple Visit: उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है. इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है. यह मंदिर भारत माता को समर्पित है एवं इसका निर्माण प्रसिद्ध धार्मिक गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी द्वारा करवाया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने वर्ष 1983 में इस मंदिर का उद्घाटन किया था. मंदिर में आठ मंजिलें हैं एवं यह 180 फुट की उंचाई पर स्थित है.
भारत माता मंदिर का इतिहास
सभी देशभक्तों और स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित भारत माता मंदिर का निर्माण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी द्वारा करवाया गया था जिसका उद्घाटन सन 1983 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी द्वारा किया गया था.
भारत माता मंदिर की दूसरी मंजिल (शूर मंदिर)
यह मंजिला उन सभी महत्वपूर्ण हस्तियों को समर्पित है जिन्होंने हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी है और उस कारण के लिए अपना जीवन दिया है. मंजिला में इन देशभक्तों की बहुत सारी मूर्तियाँ हैं, जिनमें झाँसी की रानी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, आदि शामिल हैं.
भारत माता मंदिर की तीसरी मंजिल (मातृ मंदिर)
तीसरी मंजिल को ‘मातृ मंदिर’ कहा जाता है जो भारतीय इतिहास की सभी मातृ आकृतियों को समर्पित है. मीरा बाई, सावित्री और मैत्री कुछ महिलाएं हैं जो इस मंदिर में मौजूद हैं.
भारत माता मंदिर की चौथी मंजिल (मातृ मंदिर)
चौथी मंजिल जैन धर्म, सिख धर्म और बौद्ध धर्म सहित भारत के विभिन्न धर्मों के महान संतों की विशेषताएं हैं, जिससे इसे ‘संत मंदिर’ नाम प्राप्त होता है. आप यहां कबीर दास, गौतम बुद्ध, तुलसी दास और श्री साईं बाबा जैसे कुछ महान पुरुष को देख सकते है.
भारत माता मंदिर की पांचवीं मंजिल
इस बहुमंजिला मंदिर की पांचवीं मंजिल में एक विशाल हॉल है, जो विभिन्न प्रांतों के इतिहास और सुंदरता को चित्रित करने वाली पेंटिंग से सजी है. मक्खन चुराने के लिए भगवान कृष्ण को डांटते हुए यशोदा की एक पेंटिंग यहाँ की सबसे अनोखी पेंटिंग है.
भारत माता मंदिर की छठी मंजिल(शक्ति मंदिर)
छठी मंजिल को ‘शक्ति मंदिर’ के रूप में जाना जाता है जिसमे देवी सरस्वती, देवी दुर्गा, देवी पार्वती, की पूजा की जाती है.
भारत माता मंदिर की सातवीं मंजिल
सातवीं मंजिल भगवान विष्णु को समर्पित है जिसमे उनके दस अवतारों की एक प्रतिमा स्थापित है.
भारत माता मंदिर की आठवी मंजिल
इस मंदिर की आठवी और अंतिम मंजिला में भगवान शिव का मंदिर है. इस मंजिला भगवान शिव की प्रतिमा ध्यान की स्थिति में बैठी है और पृष्ठभूमि में हिमालय पर्वत की प्रतिकृति है.
आसपास घूमने की जगह
ऐसा नहीं है कि इस मंदिर के आसपास घूमने के लिए कोई बेहतरीन जगह नहीं है. ये तो सब जानते हैं कि हरिद्वार हिन्दू धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है. ऐसे में यहां कई प्राचीन मंदिर भी घूमने का लुत्फ़ उठा सकते हैं. यहां आप प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर, हर की पौड़ी और नीलकंठ महादेव मंदिर के साथ-साथ चिल्ला वन्यजीव अभ्यारण्य और राजाजी नेशनल पार्क आदि कई बेहतरीन जगहों पर घूमने के लिए जा सकते हैं. आपको बता दें कि हरिद्वार में लगभग 57 प्रसिद्ध मंदिर है.
मदर इंडिया टेम्पल की टाइमिंग
बता दे भारत माता का मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को घूमने के लिए प्रतिदिन सुबह 8.00 बजे से रात 7 .00 बजे तक खुला रहता है इस दौरान आप कभी भी भारत माता मंदिर हरिद्वार घूमने आ सकते है.
मदर इंडिया टेम्पल की एंट्री फीस
भारत माता मंदिर में प्रवेश और घूमने के लिए कोई भी प्रवेश शुल्क नही है यहाँ आप बिना किसी शुल्क के आराम से घूम सकते है.
भारत माता मंदिर हरिद्वार घूमने जाने का सबसे अच्छा समय
वैसे तो श्रद्धालु साल के किसी भी समय भारत माता मंदिर की यात्रा कर सकते है लेकिन यदि आप भारत माता मंदिर के साथ हरिद्वार के अन्य पर्यटक स्थलों की यात्रा भी करने वाले है तो उसके लिए गर्मियों के महिने सबसे अच्छे होए है यानी मार्च से जून के अंत तक. सर्दियों के मौसम (अक्टूबर – फरवरी) से बचना चाहते हैं क्योंकि यह काफी ठंडा हो जाता है। इनके अलावा आप गंगा दशहरा, अमवस्या, पूर्णिमा, वैसाखी जैसे पवित्र त्योहारों के दौरान भी यहाँ आ सकते है.
वाराणसी में भी स्थित है भारत माता मंदिर, जानें क्यों है ये खास
वाराणसी में स्थित भारत माता मंदिर दुनिया में इकलौता ऐसा मंदिर है जो देश के लिए बनाया गया है. इस मंदिर का निर्माण साल 1936 में किया गया था, जिसका उद्घाटन महात्मा गांधी द्वारा किया गया था। यह मंदिर काफी सुंदर और पुराना है, जिसमें आप भारत का बेहद ही सुंद नक्शा देखकर नक्शा देख सकते हैं. यह मंदिर पूरी तरह से देश को ही समर्पित है.
यह एकलौता मंदिर है जहां किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि अखंड भारत की मूर्ति की आराधना होती है. यहां अखंड भारत का चित्र बना है जो उभरा हुआ है और चित्र में यह भी दिखाया गया है कि सीमाएं पाकिस्तान पार अफगानिस्तान और पूरब में पश्चिम बंगाल के आगे फैली हुई थी.