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भारत की पहली ट्रांसजेंडर ब्यूटी कॉन्टेस्ट विनर निताशा बिश्वास, जानें कैसा रहा अब तक का सफर

निताशा बिश्वास ने भारत की पहली ट्रांसजेंडर ब्यूटी कॉन्टेस्ट विनर बनने के बाद अपनी संघर्ष की कहानी सुनाई. उन्होंने अपने जीवन के उन दुखों की घड़ी को हमसे साझा किया.

लोग जन्म के साथ ही अपनी पहचान बनाने के लिए न जानें कितने जद्दोजह करते है. ऐसे में लोगों को सफलता भी मिलती है, लेकिन जब उनका परिवार उनके साथ न हो तो एक कदम भी चलना मुश्किल होता है. ऐसी ही एक कहानी है भारत की पहली ट्रांसजेंडर ब्यूटी कॉन्टेस्ट विनर नताशा बिस्वास की. निताशा बिश्वास को बचपन में ही महसूस हो गया कि वह जिस रूप में दुनिया में जानी जा रहा है वो सच नहीं है. लोग उसे लड़का समझते हैं, लेकिन वह खुद को अंदर से एक लड़की के रूप में देखता है.

लड़कों वाली काम से भागती थी निताशा

निताशा ने बताया कि उनकी स्कूल की लाइफ काफी मुश्किलों वाली रही है. घर हो या स्कूल लोग चाहते थे कि वो लड़कों वाले सारे काम करें. लोग उन्हें जबरदस्ती फुटबॉल खेलने के लिए कहते थे, जो उसे बिल्कुल पसंद नहीं था. इसलिए जब भी कोई जबरदस्ती फील्ड में भेजने की कोशिश करता तो वो खुद को बाथरूम में बंद कर लेती थी. उन्होंने बताया कि जब मैं महज 6 साल की थी तब मां का निधन हो गया. घर में एक भाई और अफसर पिता थे, जिनको यह सब कुछ समझा पाना बहुत मुश्किल था. नताशा कहती हैं कि उन्हें स्कूल में बहुत बुली भी किया गया था.

पापा के लिए ये एक्सोप्ट करना मुश्किल था

निताशा ने बताया कि ये सभी बातें उसने अपने बड़ें भाई से शेयर किया. भाई को लगा कि यह बड़ी हो रही है, इसलिए इसको ऐसा लग रहा है. जब यह बात पिता को बताई, तब पापा ने कहा कि No that is wrong. पापा के लिए ये एक्सेप्ट करना बहुत मुश्किल था.

दिल्ली आकर बदली पहचान

निताशा ने बताया कि एक बार उन्होंन ये सोंच लिया कि उन्हें अब ऐसे नहीं जीना, वो अपनी अलग पहचान बनाएंगी. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली आकर ट्रीटमेंट लेना शुरू किया. उन्होंने बताया कि कि ट्रांसफॉरमेशन भी बेहद मुश्किल वाली प्रक्रिया है, उन सालों में उन्हें खुद को एक दायरे में सिमित करना पड़ा, क्योंकि यह बदलाव रातों-रात का नहीं हैं. ऐसे में उन लोगों के लिए अचानक यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो जाता है कि आप पहले कुछ और थे और अब कुछ और हैं.

वर्कप्लेस पर सबसे ज्यादा भेदभाव

निताशा कहती हैं कि उन्हें वर्कप्लेस पर ट्रांसजेंडर होने का सबसे ज्यादा एहसास दिलाया गया है, क्योंकि वहां सबसे ज्यादा भेदभाव होता है. उन्होंने बताया कि एक बार वो एक ग्रुप के साथ पार्टी इंजॉय कर रही थीं, उन लोगों को पहले यह नहीं पता था कि वो ट्रांसजेंडर हैं. तब तक वो अच्छे से पेश आ रहे थें, लेकिन जैसे ही उन्होंने बताया तो उनका व्यवहार तुरंत बदल गया. ऐसा लगा जैसे किसी ने उनसे पोजीशन छीन ली हो.

तब मिला दुनिया का सबसे बड़ा कॉम्प्लीमेंट

निताशा ने बताया कि एक बार उनके पिता की तबीयत बहुत खराब हो गई. ट्रांसफॉरमेशन के बाद जब वो अपने परिवार से मिलने आई तो उनकी बुआ उनके पास आईं और कहा निताशा अपना मास्क हटाओ, मैं देखना चाहती हूं कि तुम अब कैसी लगती हो. जैसे ही निताशा ने मास्क हटाया, उनकी बुआ ने कहा कि भाभी वापस आ गई. लोगों ने मेरे चेहरे में मेरी मां को देखा, ये मेरे लिए दुनिया का सबसे बड़ा कॉम्प्लीमेंट था.

स्कूल के सिलेबस में होनी चाहिए बदलाव

निताशा कहती हैं कि लोगों में ट्रांसजेंडर्स को लेकर काफी सारे मिथ भरे हैं. कई लोगों को लगता है कि ट्रांसजेंडर सिर्फ वही होते हैं जो ताली बजाकर आपसे कुछ न कुछ मांगने के लिए तैयार रहते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि स्कूल के सिलेबस में बायोलॉजी के सब्जेक्ट में मेल और फीमेल की बॉडी के बारे में तो बताया जाता है, लेकिन एक ट्रांसजेंडर की बॉडी के बारे में कुछ नहीं बताया जाता. अगर हमें समाज से ये भेदभाव हटाना है तो स्कूल के सिलेबस में ट्रांसजेंडर्स को लेकर भी पढ़ाई करवानी होगी.

नेता बनकर बदलाव लाना है

निताशा ने बताया वो फिलहाल करियर में अच्छा कर रही हैं उन्हें बहुत सारे ओटीटी प्लेटफार्म से भी ऑफर आ रहे हैं, लेकिन वह एक राजनेता बनने की इच्छा रखती. वो चाहती हैं कि नेता बनकर वह पॉलिसी मेकर बने, ताकि समाज से भेदभाव खत्म हो जाए.

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