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Cultural Tips: संस्कृति और परंपरा का गढ़ है भारत, यात्रा से पहले जान लें यह बात

भारत में अंग्रेजी के अलावा हिंदी, मराठी, गुजराती, असामी, नागपुरी, भोजपुरी आदि कई भाषाएं बोली जाती है. बेशक, आप बड़े शहरों, रेस्तरां, होटलों या कुछ दुकानों के अंदर अंग्रेजी का उपयोग करने में सक्षम होने के लिए भाग्यशाली हो सकते हैं. लेकिन...

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 14, 2022 6:14 PM
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भारत में रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का समावेश है. देश ने खान-पान, रहन-सहन सब अपनी संस्कृति के अनुसार अब तक संजोय रखा है. इसके अलावा कुछ परंपराएं ऐसी हैं जो समय के साथ लुप्त नहीं हुईं और आज भी उनका सम्मान किया जाता है. लोग अलग तरह से व्यवहार करते हैं, खाते हैं और यहां तक ​​कि कपड़े भी पहनते हैं. उनकी अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं, जिनका देश में भली-भाँति सम्मान किया जाता रहा है. इस लेख में हम कुछ ऐसे ही टिप्स आपको बताने वाले हैं.

अपने पैरों से इन्हें न छुएं

देश में किताबों को सरस्वती का दर्ज यानी विद्या का दर्जा दिया गया है. अगर जाने अनजाने आपसे पैर लग जाते हैं, तो इसे अपमानजनक माना जाता है. इसके अलावा कोई उपकरण जो किसी के ज्ञान को विकसित करने के लिए उपयोग किया जाता है, उसे भी महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे पैरों से नहीं छूना चाहिए. भारतीय संस्कृति के अनुसार कलम और पेंसिल भी महत्वपूर्ण हैं और उनका सम्मान किया जाना चाहिए.

भारतीय स्ट्रीट फूड को एक्सप्लोर करें

कहा जाता है की महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के लोग वड़ापाव खाकर अपने काम पर जाते हैं. हालांकि, उनकी यह कई लोगों की मजबूरी भी है. लेकिन भारत में भारतीय स्ट्रीट फूड को एक्सप्लोर करना और उसका आनंद लेना भारतीय संस्कृति का हिस्सा माना जाता है. अगर आप किसी अन्य राज्य का भ्रमण करते है तो, आप वहां के स्ट्रीट फूड का आनंद जरूर लें.

बहुत विनम्र मत बनिए

कृपया और धन्यवाद कहना हमारे लिए सामान्य और सम्मानजनक है, जैसे किसी रेस्तरां या दुकान में हम करते हैं. लेकिन किसी को बार-बार संबोधन के दौरान कृप्या या धन्यवाद कहना असभ्य या असभ्य के रूप में माना जाता है. ब दोस्तों और परिवार की बात आती है, तो प्रशंसा दिखाने के पारंपरिक तरीके कभी-कभी तनाव पैदा कर सकते हैं. इसके लिए धन्यवाद” कहने के बजाय, आप “मैं इसकी सराहना करता हूं” कहने का प्रयास कर सकते हैं.

हर कोई अंग्रेजी बोलने वाला नहीं है

भारत में अंग्रेजी के अलावा हिंदी, मराठी, गुजराती, असामी, नागपुरी, भोजपुरी आदि कई भाषाएं बोली जाती है. बेशक, आप बड़े शहरों, रेस्तरां, होटलों या कुछ दुकानों के अंदर अंग्रेजी का उपयोग करने में सक्षम होने के लिए भाग्यशाली हो सकते हैं. लेकिन छोटे गांवों में अंग्रेजी बोलने से बचे. यहां, आपको लोगों से उनकी भाषा में ही बात आपके आचरण को दर्शाता है.

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