Birthday Special: भारतीय खुफिया एजेंसी ‘RAW’ के पहले मास्टर स्पाई R N Kao, पढ़ें उनसे जुड़े खास किस्से

Birthday Special: 10 मई 1918 को जन्मे रामेश्वर नाथ काव के दिमाग और कुशल रणनीति की वजह से ही भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान और कामयाबी मिली.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2022 8:26 AM

भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानि कि रॉ (RAW) के पहले प्रमुख और भारत के मास्टरस्पाई के नाम से मशहूर “आर. एन. काव” या रामेश्वर नाथ काव का आज जन्मदिन है. 10 मई 1918 को जन्मे रामेश्वर नाथ काव के दिमाग और कुशल रणनीति की वजह से ही भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान और कामयाबी मिली. दरअसल, काव ही वे पहले व्यक्ति रहे, जिन्होंने रॉ को एक प्रोफेशनल खुफिया एजेंसी में तब्दील किया. उन्होंने न सिर्फ भारत के राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया, बल्कि भारत की इस एजेंसी को भविष्य के लिए एक सुरक्षित दिशा और दशा भी प्रदान की.

काबिलियत से खींचा सबका ध्यान

काव का जन्म 10 मई 1918 को यूपी के वाराणसी में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वो 1939 में भारतीय पुलिस में शामिल हो गए. 1947 में काव डायरेक्टरेट ऑफ इंटेलीजेंस ब्यूरो में शामिल हो गए. आजादी से पहले ये विभाग ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई 5 के साथ काम करता था.

जब महारानी ने की काव की तारीफ

साल 1950 में ब्रिटिश महारानी के भारत में पहले दौरे के दौरान काव को उनकी सुरक्षा प्रभार की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इस दौरान एक कार्यक्रम में काव ने अपनी काबिलियत और शानदार बुद्धि तत्परता का परिचय देते हुए महारानी की ओर फेंके गए एक बुके को पकड़ लिया था. जिसके बाद महारानी ने उनकी काबिलियत की तारीफ करते हुए “गुड क्रिकेट” बोला था.

1971 की कामयाबी का सेहरा बंधा

उनकी काबिलियत तब और नजर आई जब 1971 में पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश बना. काव के नेतृत्व में रॉ ने मुक्तिबाहिनी की खुफिया तरीके से मदद की. भारत-पाक के बीच 1971 का युद्ध हुआ जो 17 दिनों तक चला. इसके बाद बांग्लादेश का गठन हुआ. इस तरह भारत को पूर्वी मोर्चे पर पाकिस्तान की ओर से पैदा होने वाले खतरे से हमेशा के लिए छुटकारा मिला. ये काव की कामयाबी का शिखर था और वह दिल्ली के पावर सर्किल में हीरो बनकर उभरे.

काव के जीवन और उनकी कार्यशैली पर लिखी गई कई पुस्तकें

काव के जीवन और उनकी कार्यशैली पर कई पुस्तकें भी लिखी गई हैं, जिनमें आर एन काव-जेंटलमैन स्पाईमास्टर, काउबॉयस ऑफ R&AW, रॉ-भारतीय गुप्तचरसंस्थेची गूढगाथा, ए लाइफ इन सीक्रेट, इस्केप टू नो व्हेयर और टीम ऑफ काउबॉयज शामिल हैं.

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