International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation 2023: आज विस्व भर में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन डे मनाया जा रहा है. इसे पहली बार 6 फरवरी, 2003 ई को मनाया गया था. इसके बाद से हर साल 6 फरवरी को महिला जननांग विकृति के खिलाफ शून्य सहनशीलता का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य महिला जननांग विकृति कुप्रथा को जड़ से समाप्त करना और लोगों में महिलाओं के प्रति सम्मान और स्नेह पैदा करना है.
दुनिया के कई देशों में यह कुप्रथा जारी है. खासकर अफ्रीका महादेश में सबसे अधिक है. इसके लिए यह निर्धारित किया गया है कि 2030 तक महिला जननांग विकृति कुप्रथा को समाप्त किया जाए. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में तकरीबन 5,00,000 से अधिक लड़कियों एवं महिलाओं को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफजीएम) से गुजरना पड़ा या इन पर खतरा बना रहा. यूरोप में 60,000, ऑस्ट्रेलिया में 50,000 या उससे अधिक, जर्मनी में 70,000, जबकि ब्रिटेन में 137,000 महिलाओं और लड़कियों के जननांगों को विकृत कर दिया गया और 67,000 से अधिक पर इसका खतरा बना हुआ है.
समाज में महिला और पुरुष दोनों को सामान अधिकार मिलना चाहिए. सदियों से महिलाओं के खिलाफ कई कुप्रथा चली आ रही है, जिन्हें तत्काल समाप्त करने की जरूरत है. महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं. इसके लिए महिलाओं को समाज में सम्मान मिलना चाहिए. इस कुप्रथा के खिलाफ लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है. इससे महिलाओं की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
लड़कियों और महिलाओं के जननांगों को विकृत करने की इस कुप्रथा को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन या एफजीएम कहा जाता है. आम बोलचाल की भाषा में इसको महिलाओं का खतना भी कहते हैं. इस प्रक्रिया में महिला के बाहरी गुप्तांग को काट दिया जाता है. इस प्रकिया से गुजरने वाली लड़कियों को गंभीर दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण, यूरिन पास करने और सदमा लग जाने जैसी दिक्कतों से गुज़रना पड़ता है.