Labour Day 2021: ड्यूटी के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने से लेकर बीमारी होने पर मिलता है मुआवजा, यहां जानें मजदूरों के ये खास अधिकार
Labour Day 2021,Know about Labour Rights and Minimum Wage: पूरी दुनिया 1 मई को मजदूर दिवस (1st May World labour Day) मना रही है. ये दिवस श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने और श्रमिकों के शोषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. दिन दुनियाभर के मजदूरों ने अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में बदल दिया था.
पूरी दुनिया 1 मई को मजदूर दिवस (1st May World labour Day) मना रही है. ये दिवस श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने और श्रमिकों के शोषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. दिन दुनियाभर के मजदूरों ने अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में बदल दिया था. दुनिया के करीब 80 देशों में आज नेशनल हॉलिडे है. वैसे इस साल कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन की वजह से मजदूर दिवस से जुड़े सभी कामों को पहले ही रद्द कर दिया गया है.
भारत में 1993 से शुरू हुआ मजदूर दिवस मनाने का प्रचलन
भारत में एक मई का दिवस सब से पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था. उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था. इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये.
यहां जाने मजदूरों के अधिकार को-
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मजदूरों क है ड्यूटी के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने पर मुआवजा पाने का अधिकार
कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने पर मुआवज़ा पाने का अधिकार है, ये तो आप सभी जानते होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि काम पर आते या काम से घर वापस जाते हुए भी अगर कोई कर्मचारी चोटिल हो जाता है तो उन्हें भी मुआवज़ा पाने का अधिकार है. अगर किसी कर्मचारी की मौत दुर्घटना या बीमारी से होती है तो उस मामले में उसके परिवारवालों को मुआवज़ा दिया जाएगा.
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बीमारी होने पर मुआवजे का है अधिकार
कोई कर्मचारी काम के स्वभाव की वजह से कार्यकाल के दौरान ही बीमार हो जाता है या नौकरी छोड़ने के दो साल बाद तक बीमार होता है तो उस स्थिति में भी मुआवज़ा पाने का अधिकार है. कर्मचारियों को ये अधिकार कामगार मुआवज़ा अधिनियम, 1923 के अंतर्गत दिया गया है.
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9 घंटे से ज्यादा काम नहीं करवाने का है प्रावधान
इसके अलावा किसी भी कर्मचारी को 9 घंटे से ज़्यादा वक़्त तक काम नहीं करवाया जा सकता है और अगर करवाया जाता है तो उसके लिए कंपनी को एक्स्ट्रा पैसा देना होगा. सभी तरह के कर्मचारी का हक़ है कि उसे कंपनी की तरफ से सप्ताह में एक दिन वेतन सहित अवकाश मिले.
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समान वेतन का अधिकार
सामान वेतन अधिनियम, 1976 के तहत महिला और पुरुष को एक तरह के काम के लिए समान वेतन देने का भी प्रावधान है. इसके अलावा महिला कर्मचारियों को मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत कुछ विशेष लाभ दिया गया है. वहीं न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के अनुसार सभी तरह के काम-काज के लिए एक न्यूनतम मज़दूरी तय की गई है.
Posted By: Shaurya Punj