विश्व भर में 21 फरवरी को “अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस” मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में अपनी भाषा-संस्कृति (Language culture) के प्रति लोगों में रुझान पैदा करना और जागरुकता फैलाना है. अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का विचार सबसे पहले बांग्लादेश से आया. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सामान्य सम्मेलन ने 17 नवंबर 1999 में मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की. जिसमें फैसला लिया गया कि 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
दुनिया में अगले 40 साल में चार हजार से अधिक भाषाओं के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है. भारत विविध संस्कृति और भाषा का देश रहा है. 1961 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फिलहाल 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है. अन्य मातृभाषी लोगों के बीच भी हिंदी दूसरी भाषा के रूप में लोकप्रिय है.
छोटे भाषा समूह जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर बसते हैं तो वे एक से अधिक भाषा बोलने-समझने में सक्षम हो जाते हैं. 43 करोड़ लोग देश में हिंदी बोलते हैं, इसमें 12 फीसद द्विभाषी है. 82 फीसद कोंकणी भाषी और 79 फीसद सिंधी भाषी अन्य भाषा भी जानते हैं. हिंदी मॉरीशस, त्रिनिदाद-टोबैगो, गुयाना और सूरीनाम की प्रमुख भाषा है. फिजी की सरकारी भाषा है.
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे का मकसद है कि दुनियाभर की भाषाओं और सांस्कृतिक का सम्मान हो. इस दिन तो मनाये जाने का उद्देश्य विश्व भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता का प्रचार-प्रसार करना है और दुनिया में विभिन्न मातृभाषाओं के प्रति लोगों को जागरुक करना है.
विश्व में जो भाषाएं सबसे ज्यादा बोली जाती हैं. उनमें अंग्रेजी, जैपनीज़, स्पैनिश, हिंदी, बांग्ला, रूसी, पंजाबी, पुर्तगाली, अरबी भाषा शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार लगभग 6900 भाषाएं हैं जो विश्व भर में बोली जाती हैं. इनमें से 90 प्रतिशत भाषाएं बोलने वाले लोग एक लाख से भी कम हैं. भारत की बात करें तो 1961 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं.