International Mother Language Day 2023: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आज के दिन यानी 21 फरवरी को मनाया जाता है. मातृभाषा की मदद से न केवल क्षेत्रीय भाषाओं के बारे में जानने-समझने में सहायता मिलती है, बल्कि एक-दूसरे से बातचीत करना भी आसान हो जाता है.
21 फरवरी को ही अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने का सुझाव कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा किया गया था, जिन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में 1952 में हुई नृशंस हत्याओं को स्मरण करने के लिए यह दिन प्रस्तावित किया था.
“बहुभाषी शिक्षा – शिक्षा को बदलने की आवश्यकता” अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 की थीम हैं
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे का मकसद है कि दुनियाभर की भाषाओं और सांस्कृतिक का सम्मान हो. इस दिन तो मनाये जाने का उद्देश्य विश्व भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता का प्रचार-प्रसार करना है और दुनिया में विभिन्न मातृभाषाओं के प्रति लोगों को जागरुक करना है.
विश्व में जो भाषाएं सबसे ज्यादा बोली जाती हैं. उनमें अंग्रेजी, जैपनीज़, स्पैनिश, हिंदी, बांग्ला, रूसी, पंजाबी, पुर्तगाली, अरबी भाषा शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार लगभग 6900 भाषाएं हैं जो विश्व भर में बोली जाती हैं. इनमें से 90 प्रतिशत भाषाएं बोलने वाले लोग एक लाख से भी कम हैं. भारत की बात करें तो 1961 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं.
आपकी मातृभाषा केवल संवाद करने की भाषा नहीं है, बल्कि यह आपकी पहचान भी है. यह दुनिया को दिखाता है कि “आप कौन हैं?”. किसी व्यक्ति की वास्तविक पहचान विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, चार प्रमुख कारक जैसे पदनाम, निवास, संबंध और भाषा. एक ही नाम के एक हजार व्यक्ति हो सकते हैं. लेकिन, यही चार चीजें हैं जो एक व्यक्ति को बाकी लोगों से अलग करती हैं. आपका नाम आपकी वास्तविक और पूर्ण पहचान नहीं है. विभिन्न रिसर्चों के अनुसार व्यक्ति मातृभाषा में चीजों को तुलनात्मक रूप से बेहतर ढंग से सीख सकता है. मातृभाषा में कुछ सीखने से निष्कर्ष और बहस क्षमता में भी वृद्धि होती है. भारत जैसे देश में जहां मुख्य रूप से अंग्रेजी में महत्वपूर्ण विषय हैं. और, अधिकांश छात्र केवल नियमों और अवधारणाओं को रटते हैं. और, समय के साथ, यह उनके कौशल और ज्ञान को नष्ट कर देता है.