International Nurse Day 2022: सेवा और समर्पण का दूसरा नाम है नर्स,कोरोना ने इसकी की महत्ता को स्पष्ट किया
International Nurse Day 2022:नर्स के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. इटली की नर्स सह नर्सिंग आंदोलन की नायिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती पर यह दिवस मनाया जाता है.
International Nurse Day 2022: मरीजों की सेवा करना ही नर्सों का दायित्व है. अस्पतालों में इसीलिए नर्सों की नियुक्ति की जाती है. डॉक्टर तो मरीजों का इलाज कर दवाएं लिख देते हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखरेख करते हुए सही समय पर दवा देने का काम एक नर्स ही करती है. नर्स पर डॉक्टर की अनुपस्थिति में मरीजों की स्वास्थ्य जांच करने की भी जिम्मेदारी रहती है. नर्स के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. इटली की नर्स सह नर्सिंग आंदोलन की नायिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती पर यह दिवस मनाया जाता है.
इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (आइसीएन) ने जनवरी 1974 को इस दिवस को मनाने की घोषणा की. तब से प्रत्येक वर्ष इस दिवस पर हॉस्पिटल व नर्सिंग होम में विशेष आयोजन किया जाता है. वर्ष 2022 के नर्स दिवस का थीम ‘नर्सेस : नेतृत्वकर्ता के रूप में एक आवाज, वैश्विक स्वास्थ्य को सुरक्षित करने के लिए नर्सिंग में निवेश और अधिकारों का सम्मान’ रखा गया है.
नर्स दिवस का इतिहास
नर्स दिवस मनाने का प्रस्ताव पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी डोरोथी सदरलैंड ने दिया था. बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डीडी आइजनहावर ने इसे मनाने की स्वीकृति दी. पहली बार 1953 में नर्स डे मनाया गया. जबकि, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया. वहीं, इटली की नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाने की घोषणा जनवरी 1974 में की गयी.
फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है विश्व नर्स दिवस
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फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने क्रीमिया युद्ध के समय उन्होंने तुर्की के एक मिलिट्री अस्पताल में घायल सैनिकों की सेवा की थी.
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फ्लोरेंस नाइटिंगेल रात में भी लालटेन लेकर मरीजों के इलाज में करती थीं, इसलिए उन्हें ‘लेडी विद द लैंप’ का खिताब मिला.
राजधानी के अस्पतालों में 2800 नर्सें कार्यरत
मरीजों को समय पर भोजन, दवा और अन्य क्रियाकलाप कराने के लिए नर्स हमेशा तैयारी रहती है. कोरोना काल में विभिन्न अस्पतालों में नर्सों ने मरीजों की सही तरीके से देखभाल की. आठ घंटे की जगह 12-14 घंटे ड्यूटी की. रिम्स रांची में नर्सों की कुल संख्या 350 है. ये नर्सें रिम्स के विभिन्न वार्डों में अपनी सेवा दे रही हैं. वहीं, सदर हॉस्पिटल मेन रोड में 155 नर्स स्थापना समय से कार्यरत हैं. वहीं, आउटसोर्सिंग से करीब 70 नर्स विभिन्न संकायों में सेवा दे रही है. कई हॉस्पिटल में नर्स की नियुक्ति नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से भी की गयी है. इसके अलावा शहर के विभिन्न निजी हॉस्पिटल में करीब 2200 नर्स कार्यरत हैं.
समय-समय पर दिया जाता है प्रशिक्षण
नर्स को शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृष्टि से भी रोगियों की देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जात है. इसके लिए इन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है. डॉक्टर जब दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते हैं, तब रोगियों की देखभाल करने की जिम्मेदारी इन नर्सों पर ही होती है. नर्स न केवल रोगियों का मनोबल बढ़ाती है, बल्कि रोगी को बीमारी से लड़ने और स्वस्थ होने के लिए भी प्रेरित करती है.
राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार
प्रत्येक वर्ष 12 मई को देश में नर्सिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करनी वाली नर्सों को राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार दिया जाता है. इसकी शुरुआत 1973 में भारत सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय की ओर से की गयी. अब तक लगभग 250 नर्स सम्मानित हो चुकी हैं. इस पुरस्कार को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति के हाथों नर्स को दिलाया जाता है. फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार के तौर पर नर्स को 50 हजार रुपये नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है.
राज्य के सरकारी नर्सिंग संस्थान
नर्सिंग स्कूल रिम्स रांची, एएनएमटीसी हजारीबाग, एमजीएमएमसी जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद, एएनएमटीसी दुमका, एएनएमटीसी रांची, एएनएमटीसी पश्चिमी सिंहभूम, एएनएमटीसी धनबाद, एएनएमटीसी पलामू, एएनएमटीसी हजारीबाग, एएनएमटीसी देवघर, एएनएमटीसी गिरिडीह, एएनएमटीसी सिमडेगा, एएनएमटीसी पूर्वी सिंहभूम और एएनएमटीसी रांची.
कोरोना काल में गर्भवती महिला और नवजात बच्चे का रखा गया था विशेष ध्यान
रिम्स की स्पेशल केयर न्यू बोर्न यूनिट में इंचार्ज के पद पर हूं. टीम में कई नर्सें हैं. स्पेशल केयर यूनिट में गर्भवती महिलाओं के साथ ही न्यू बोर्न बेबी की जिम्मेदारी होती है. यह एकमात्र ऐसी यूनिट है, जहां डॉक्टर से लेकर नर्स की ट्रेनिंग होती है. ट्रेनिंग के लिए खास टीम समय-समय पर बनायी जाती है. कोरोना काल का समय भयावह था. गर्भवती महिला और नवजात बच्चे संक्रमित न हों, इसका विशेष ध्यान रखना पड़ता था. नर्सिंग की पढ़ाई और ट्रेनिंग पीएमसीएच धनबाद से वर्ष 2000 में पूरी की. रिम्स में चयन होने के बाद 2003 से यहां सेवा दे रही हूं. कई वर्षों तक नर्स के रूप में कार्य करने के बाद सिस्टर इंचार्ज का पदभार दिया गया है.
– सिस्टर अनीता, इंचार्ज, स्पेशल केयर न्यू बोर्न यूनिट, रिम्स
बीमार को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा, ये देख नर्स बनने की ठानी
मेरी प्रारंभिक शिक्षा सुलतानगंज (बिहार) से पूरी हुई. इंटर में थी, उस समय पड़ोस में एक व्यक्ति बीमार थे. शुरुआती चिकित्सा के लिए कई घंटे इंतजार करना पड़ा. उसी समय नर्स बनने की ठानी, ताकि जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की अनुपस्थिति में कम से कम शुरुआती इलाज कर सकूं. इसके बाद मूल पहाड़ी नर्सिंग स्कूल (दुमका) से 1993 में ट्रेनिंग पूरी की. वर्ष 2003 में रिम्स की बहाली प्रक्रिया में शामिल हुई और नर्स बनी. शुरुआत में पेशे की चुनौती का अंदाजा नहीं था, समय के साथ जिम्मेदारी समझ में आने लगी.
– पूनम कुमारी, स्टाफ नर्स, स्पेशल न्यू बॉर्न बेबी केयर यूनिट, रिम्स
कोरोना ने इंटरनेशनल नर्सेस डे की महत्ता को स्पष्ट किया
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सों के काम की सराहना करना है. कोरोना महामारी ने इंटरनेशनल नर्सेस डे की महत्ता को स्पष्ट किया है कि कैसे वैश्विक स्वास्थ्य को सुरक्षित करने में नर्स जुटी रहती हैं. ऐसे में नर्स के अधिकार और सुरक्षा पर भी ध्यान देना जरूरी है. नर्स का काम पूरा करने के लिए मानवता के प्रति प्रेम, करुणा और सहानुभूति जरूरी है.
– डॉ तैयम्मा पीटी, निबंधक, जेएनआरसी