International Tea Day 2022: सुबह के आलस्य को खत्म करने की बात हो या शाम को दिन भर के हॉट टॉपिक पर चर्चा की एक कप चाय के बिना यह सब कुछ अधूरी-सी है. बटर बिस्किट हो या ताजे गरमागरम तले हुए समोसा, इसके साथ चाय की एक घूंट नाश्ते का स्वाद बढ़ा देती है.
हर सुबह एक कप चाय कई लोगों को जगाने का एक आसान तरीका है. दुनिया भर में इस पेय का बहुत महत्व है. चाय की लोकप्रियता ऐसी है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में नामित किया है. अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस पर जानिए भारत भर में चाय की कुछ विशेष परंपराओं के बारे में.
पश्चिम बंगाल में प्रसिद्ध लबू चा मूल रूप से एक काली चाय है जिसे चाय की डस्ट के बजाय चाय की पत्ती से तैयार की जाती है. यह अदरक पाउडर और काला नमक और नींबू के साथ एक मसाला पेय है. यह कई बंगालियों के लिए सबसे फेवरेट पेय में से एक है जो दोस्तों के साथ नुक्कड़ चाय पॉइंट पर मिलते हैं और गरमा गरम लबू चा पीते हैं.
कश्मीर के उत्तरी क्षेत्र की चाय अपने आप में अनोखी है. इसे प्रामाणिक तौर पर कश्मीरी चाय माना जाता है जिसे दालचीनी, इलायची, पिस्ता और बादाम सहित नट्स के साथ हरी चाय की पत्तियों को मिलाकर तैयार किया जाता है. साथ ही चाय में एक चुटकी नमक भी डाला जाता है.
उकादो गुजरात की एक हर्बल चाय है जो आम बीमारियों के लिए घरेलू उपचार के रूप में काम करती है. इसमें शहद, नींबू, अदरक और पुदीना जैसे तत्व होते हैं जो पेय को स्वादिष्ट बनाते हुए प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.
यह अनूठी चाय हर्बल है और इसके विशेष हेल्थ बेनिफिट्स हैं. मंगलोरियन इसे अपना ‘कढ़ा’ मानते हैं जिसमें जीरा, धनिया, सौंफ और मेथी होती है. इन सूखे भुने मसालों को पानी के साथ उबाला जाता है और थोड़ी चीनी या मिश्री से मीठा किया जाता है.
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पुणे या हैदराबाद में रहने वाले लोग इस चाय की चुस्की लेना पसंद करते हैं जिसमें ताजा चाय की पत्तियों के अलावा सुगंधित मसाले होते हैं. यह ज्यादातर बन मास्क या मस्का पाव के साथ होता है और यह मुंबई के ईरानी होटलों में आसानी से मिल जाता है.