कल का दिन बेहद ही खास है. आज दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. हर साल 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान में यह दिवस मनाया जाता है. आज से करीब 112 वर्ष पहले इस खास दिवस की नींव रखी गई थी. वर्ष 1908 में अमेरिका में जब महिलाओं ने अपने हक के लिए आवाज उठाई थी. इस दिन महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों को याद किया जाता है. ज्यादातर लोग इस दिन महिलाओं को फूल और गिफ्ट्स देते हैं. कई देशों में इस दिन अवकाश होता है, स्कूल, कॉलेज, दफ्तरों में महिलाओं को आज के दिन छुट्टी दी जाती है.
बैंगनी, हरा और सफेद रंग ही क्यों चुना गया?
इस खास दिवस को प्रदर्शित करने के लिए कुछ खास रंग भी हैं. ये रंग हैं- बैंगनी, हरा और सफेद. इन तीन रंगों के जरिये अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को प्रदर्शित किया जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि इन्हीं तीन रंगों को आखिर क्यों चुना गया और इसे किसने तय किया.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये तीनों रंग वर्ष 1908 में ब्रिटेन की डब्ल्यूएसपीयू यानी वीमेंस सोशल एंड पॉलिटिकल यूनियन (Women’s Social Political Union) ने तय किए थे. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस अभियान के मुताबिक बैंगनी रंग न्याय और गरिमा का सूचक है. वहीं हरा को उम्मीद का रंग माना जाता है, जबकि सफेद रंग को शुद्धता का सूचक माना गया है. यानी ये तीनों रंग महिलाओं के लिए न्याय, उनकी गरिमा, शुद्धता और उम्मीद का प्रतीक हैं.
1975 में संयुक्त राष्ट्र ने दी अधिकारिक मान्यता संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता दी. संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना 1975 में शुरू किया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम थी ‘सेलीब्रेटिंग द पास्ट,प्लानिंग फॉर द फ्यूचर.’ यानी बीते हुए वक्त का जश्न मनाए और आने वाले कल की प्लानिंग करें.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 की थीम (Theme) ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’ यानी एक स्थायी कल के लिए लैंगिक समानता रखी गई है. साथ ही इस बार महिला दिवस का रंग पर्पल-ग्रीन और सफेद भी तय किया गया है, जिसमें पर्पल न्याय और गरिमा का प्रतीक है, जबकि हरा रंग उम्मीद और सफेद रंग शुद्धता से जुड़ा है.