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How To: ट्रेन टिकट बुक करते समय अगर हो जाए उम्र और जेंडर गलत तो करें ये काम

How To Change Gender and Age in Raillway Tickets, Train Ticket Rules: अगर आपके टिकट पर आपका नाम या जेंडर गलत हो जाए. आमतौर पर ऐसा हमेशा तो नहीं होता है, लेकिन अगर आपके साथ ऐसा हो ही गया अगर, तो क्या आप ट्रेन में सफर करने से रोक दिए जाएंगे? आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ.

By Shaurya Punj | August 9, 2023 12:57 PM
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  • क्या करें जब आपके टिकट पर आपका नाम या जेंडर गलत हो जाए?

  • क्या आप ट्रेन में सफर करने से रोक दिए जाएंगे?

  • क्या आप अपना टिकट ठीक करा सकते हैं?

How To Change Gender and Age in Raillway Tickets, Train Ticket Rules: ट्रेन के रिजर्वेशन टिकट (Indian Railway) में गलत जानकारी का मतलब है कि अब वह व्यक्ति उस टिकट पर यात्रा नहीं कर पाएगा जिसके लिए उसे बुक किया गया है. आजकल ज्यादातर लोग ट्रेन टिकट ऑनलाइन बुक करते हैं जिसमें गलती होने की संभावना बढ़ जाती है. आजकल अधिकांश लोग ऑनलाइन ट्रेन की टिकट की बुक करते हैं जिसमें एरर के चांस बढ़ जाते हैं. कई बार टिकट बुक कराते समय कई तरह की गड़बड़ियां भी हो जाती है. जैसे आपके टिकट पर आपका नाम या जेंडर गलत हो जाए. आमतौर पर ऐसा हमेशा तो नहीं होता है, लेकिन अगर आपके साथ ऐसा हो ही गया अगर, तो क्या आप ट्रेन में सफर करने से रोक दिए जाएंगे? या फिर कोई विकल्प ऐसा है जिससे आप अपना टिकट ठीक करा सकते हैं? आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ.

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अगर उम्र या जेंडर गलत हो जाए तो…

अगर अपने टिकट बुक करते समय उम्र या जेंडर गलत भर दिया है तो इसे बदला नहीं जा सकता है. उम्र या जेंडर बदलने का ऑप्शन IRCTC की वेबसाइट पर नहीं है. अब क्या आप काउंटर पर जाकर सुधार करवा सकते हैं. इसका जवाब भी न है. आप काउंटर से भी उम्र या जेंडर को ठीक नहीं करवा सकते हैं. इसके अलावा, आप नाम के साथ भी कोई सुधार नहीं कर सकते हैं. IRCTC ने ऐसी कोई सुविधा नहीं दी हुई है, जिससे आप नाम, उम्र या जेंडर में बदलाव कर सके.

और क्या है विकल्प

अक्सर स्टेशन मास्टर या सीआरएस टिकट में हुई गलती को सुधारने से मना कर देते हैं. अगर आपकी रेलवे में या किसी वीआईपी से जान-पहचान तभी ये काम संभव हो पाता है. अगर आपके पास ऐसी कोई पहचान नहीं है तो आप उसी टिकट को ट्रेन में लेकर जाइये और तुरंत टीटी से मिलिए. उन्हें सही आईडी दिखाकर बताइए कि ये गलती हुई है. आमतौर पर टीटी इसे मानवीय गलती मानकर टिकट को वैध कर देते हैं.

टिकट में नाम ट्रांसफर करने के क्या है नियम एवं शर्त?

अगर आप अपने टिकट पर परिवार के किसी अन्य सदस्य का नाम ट्रांसफर करवाना चाहते हैं तो आईआरसीटीसी के मुताबिक, आपको इसके लिए ट्रेन खुलने से 24 घंटे पहले रिजर्वेशन काउंटर पर जाना होगा. अगर आप किसी वजह से रेल यात्रा नहीं कर रहे हैं तो अपने कन्फर्म टिकट को अपने परिवार के अन्य सदस्य (माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी, पति-पत्नी) के नाम ट्रांसफर करा सकते हैं. यात्री के नाम बदलने का अनुरोध करने के बाद रेलवे रिजर्वेशन काउंटर पर मौजूद कर्मचारी बुक किए गए टिकट पर रेल नियमों के हिसाब से यात्री का नाम बदल देता है. इसके लिए आपको इलेक्ट्रॉनिक रिजर्वेशन स्लिप की फोटोकॉपी के साथ ऑरिजिनल आईडी प्रूफ ले जाना होगा.

भारत की पहली ट्रेन

भारत की पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे थी, जो 1837 में रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट पुल तक 25 किलोमीटर चली थी. सर आर्थर कॉटन को ट्रेन के निर्माण का श्रेय दिया गया था, जिसका उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट के परिवहन के लिए किया जाता था. वहीं पब्लिक परिवहन के लिए भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को बोरी बंदर (मुंबई) और ठाणे के बीच 34 किमी की दूरी पर चली थी. ट्रेन में 400 यात्री सवार थे. दिलचस्प बात यह है कि इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया था.

जानें भारतीय रेल के बारे में

भारत की सबसे तेज ट्रेन

नई दिल्‍ली से वाराणसी के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन 18) का स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी स्पीड को 130 किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया गया है. वहीं गतिमान एक्सप्रेस देश की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली ट्रेन है. यह हजरत निजामुद्दीन से आगरा के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है. आगरा से झांसी के बीच इसे 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जाता है.

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भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन

भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी 1925 को बॉम्बे विक्टोरिया टर्मिनल और कुर्ला हार्बर के बीच चली थी. बाद में नासिक के इगतपुरी जिले और फिर पुणे तक बिजली लाइन का विस्तार किया गया.

भारत का पहला रेलवे स्टेशन

मुंबई में स्थित बोरी बंदर भारत का पहला रेलवे स्टेशन है। भारत की पहली यात्री ट्रेन 1853 में बोरी बंदर से ठाणे तक चली थी. इसे ग्रेट इंडियन पेनिन्सुलर रेलवे द्वारा बनाया गया था. इस स्टेशन को बाद में 1888 में विक्टोरिया टर्मिनस के रूप में फिर से बनाया गया, जिसका नाम महारानी विक्टोरिया के नाम पर रखा गया.

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