Isha Anand Piramal Anniversary: ईशा अंबानी ने बताया कैसे उनसे बिल्कुल अलग होते हुए भी उनके ही जैसे हैं आनंद
Isha Ambani Anand Piramal Wedding Anniversary: 12 दिसंबर 1918 को ईशा अंबानी और आनंद पीरामल शादी के बंधन में बंधे थे. महाबलेश्वर के एक मंदिर में आनंद ने ईशा से पूछा क्या अप मुझसे शादी करेंगी? तब ईशा ने 'हां' में जवाब दिया था. शादी के बाद ईशा अंबानी ने आनंद के बारे में कुछ खास बातें बताईं थीं. जानें
Isha Ambani Anand Piramal Wedding Anniversary: आनंद पीरामल से शादी के बाद ईशा अंबानी ने तब अपने उपनाम में ‘पीरामल’ जोड़ा था, और एक मीडिया इंटरव्यू में ईशा अंबानी ने बताया था कि कैसे आनंद और उनका स्वभाव एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होते हुए भी एक जैसा है. और यही स्वभाव उनके रिश्ते की मजबूती है.
स्वभाव से अलग हैं ईशा और आनंदईशा अंबानी के अनुसार आनंद को पार्टी, प्रोग्राम में भाग लेना पसंद नहीं है, जबकि मैं ऐसे कार्यक्रमों को खूब एंज्वाय करती हूं. मैंने वास्तव में हमारी शादी का आनंद लिया, लेकिन यह आनंद के लिए मस्ती वाला नहीं था और न ही उन्होंने मस्ती का कोई प्लान बनाया था. आनंद मुझसे ज्यादा आध्यात्मिक हैं.
साथ ही ईशा अंबानी ने बताया था कि अलग स्वभाव होने के बाद भी हमें बहुत सारी समानताएं भी हैं. हम दोनों बहुत पारिवारिक हैं, और हम दोनों को खाना बहुत पसंद है. मुझे याद है कि मेरे पिता ने मेरी शादी में जो भाषण दिए थे, उनमें से एक में उन्होंने आनंद को पसंद करने के दस कारण बताए थे. यह उत्साहित करने वाला था, और पिताजी ने यह कहकर अंतिम निष्कर्ष निकाला कि ये शायद वही दस चीजें हैं जिनका उपयोग वह खुद का वर्णन करने के लिए भी करेंगे. और यह सच है. कई मायनों में आनंद मुझे मेरे पिता की याद दिलाते हैं.
ईशा अंबानी पीरामल ने उन कारणों का खुलासा किया था जो उनके पति आनंद पीरामल को एक परफेक्ट साथी बनाते हैं और अगर उनकी शादी के बाद काम-जीवन दोनों में संतुलन आसान हो गया.
कमाल का है आनंद का सेंस ऑफ ह्यूमरईशा अंबानी ने बताया था मुझे उनका अद्भुत सेंस ऑफ ह्यूमर और उनकी आध्यात्मिकता बहुत पसंद है. शादी के चंद दिनों की बात बताते हुए वह कहती है बीती रात हमने खाना खाया और फिर रात 11 बजे से 3 बजे तक आनंद ने अपने ऑफिस में मीटिंग की.
Also Read: Isha Ambani Anand Piramal Wedding Anniversary: ईशा और आनंद की तरह बहुत खास है इस कपल की प्रेम कहानी, पढ़ें जानते हैं एक-दूसरे के काम का महत्वइसलिए, मुझे नहीं लगता कि उनका जीवन बदल गया है, और न ही मेरा. इस समय काम हम दोनों की प्राथमिकता है. और सौभाग्य से, हमारे माता-पिता इसे समझते हैं. सौभाग्य से, जिस परिवार में मैं पैदा हुई और जिस परिवार में मैंने शादी की थी, उनमें एक ही कार्य नीति थी – दोनों परिवारों का प्रत्येक सदस्य काम के महत्व को जानता है.