Puri Rath Yatra 2023: पुरी के जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण कब, कहां और कैसे होता है? जानें फैक्ट्स
पुरी के जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए रथों के निर्माण में जुटे शिल्पकारों के समूह को कोई औपचारिक प्रशिक्षण हासिल नहीं होता है. इन शिल्पकारों के पास केवल कला एवं तकनीक का ज्ञान होता है, जो उन्हें उनके पूर्वजों से मिली है.
Puri Rath Yatra 2023: जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून 2023, दिन मंगलवार को है. ओडिशा के पुरी (Puri) में बिना किसी औपचारिक शिक्षा या आधुनिक मशीन के शिल्पकारों का एक समूह हर साल पारंपरिक तरीके से भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) और उनके भाई-बहन बालभद्र व सुभद्रा (Balabhadra and Subhadra) के लिए एक जैसे विशाल रथ बनाता है. वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के दौरान ये तीन रथ अपनी शाही संरचना और शानदार शिल्प कला के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं. यह रथ यात्रा 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से लेकर गुंडिचा मंदिर तक निकाली जाती है. इस बार रथ यात्रा 2023 (Rath Yatra 2023) 20 जून को निकाली जाएगी.
रथ की ऊंचाई, चौड़ाई में नहीं किये जाते बदलाव
पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए हर साल नए रथ बनाए जाते हैं. सदियों से उनकी ऊंचाई, चौड़ाई और अन्य प्रमुख मापदंडों में कोई बदलाव नहीं आया है. हालांकि, रथों को अधिक रंगीन और आकर्षक बनाने के लिए उनमें नयी-नयी चीजें जोड़ी जाती हैं.
शिल्पकारों कोे पूर्वजों से मिला रथ निर्माण का ज्ञान
रथ निर्माण में जुटे शिल्पकारों के समूह को कोई औपचारिक प्रशिक्षण हासिल नहीं होता है. इन शिल्पकारों के पास केवल कला एवं तकनीक का ज्ञान है, जो उन्हें उनके पूर्वजों से मिली है.
भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले ‘नंदीघोष’ रथ का होता है निर्माण
भगवान जगन्नाथ के लिए प्रत्येक वर्ष 16 पहियों वाले ‘नंदीघोष’ रथ का निर्माण होता है. लगभग चार दशकों से रथ बनाने का काम में जुटे बिजय महापात्र के अनुसार मुझे मेरे पिता लिंगराज महापात्र ने इसका प्रशिक्षण दिया था. उन्होंने खुद मेरे दादा अनंत महापात्र से यह कला सीखी थी. यह सदियों से चली आ रही एक परंपरा है. हम भाग्यशाली हैं कि हमें भगवान की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है. वह कहते हैं कि रथों के निर्माण में केवल पारंपरिक उपकरण जैसे छेनी आदि का इस्तेमाल किया जाता है.
बालभद्र के रथ को ‘तजद्वाज’और देवी सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ कहते हैं
भगवान जगन्नाथ का रथ लाल और पीले रंग के कपड़ों से ढका होता है और इसका निर्माण लकड़ी के 832 टुकड़ों से किया जाता है. भगवान बालभद्र के रथ ‘तजद्वाज’ में 14 पहिए होते हैं और वह लाल तथा हरे रंग के कपड़ों से ढका होता है. इसी तरह, देवी सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’, जिसमें 12 पहिए लगे होते हैं, उसे भी लाल और काले कपड़े से ढका जाता है.