आज जमशेदजी टाटा की जयंती है. जमशेदजी टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति तथा औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे. भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया वह अति असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. जब सिर्फ यूरोपीय, विशेष तौर पर अंग्रेज़, ही उद्योग स्थापित करने में कुशल समझे जाते थे, जमशेदजी ने भारत में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था.
टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा का पुरा नाम जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा है. उनका जन्म तीन मार्च 1839 को गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसारी में हुआ था. उनके पिता का नाम नौशेरवांजी एवं उनकी माता का नाम जीवनबाई टाटा था. पारसी पादरियों के खानदान में नौशेरवांजी पहले व्यवसायी थे. भाग्य उन्हें बम्बई ले आया, जहां उन्होंने कारोबार में कदम रखा. जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही पिताजी का साथ देने लगे. जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कॉलेज (Elphinstone College) में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई डाबू के साथ विवाह बंधन में बंध गए. वह 1858 में स्नातक (Graduate) हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गये.
देश के औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी का असाधारण योगदान है. इन्होंने भारत में औद्योगिक विकास की नीवं उस समय डाली जब देश गुलामी की जंजीरों से जकड़ा था और उद्योग-धंधे स्थापित करने में अंग्रेज ही कुशल समझे जाते थे. भारत के औद्योगीकरण के लिए उन्होंने इस्पात कारखानों की स्थापना की महत्वपूर्ण योजना बनाई. उनकी अन्य बड़ी योजनाओं में पश्चिमी घाटों के तीव्र धाराप्रपातों से बिजली उत्पन्न करने की योजना (जिसकी नींव 8 फ़रवरी 1911 को रखी गई) भी शामिल है.
इन विशाल योजनाओं की परिकल्पना के साथ-साथ उन्होंने बंबई में शानदार ताजमहल होटल खड़ा किया जो उनके राष्ट्रवाद को दर्शाता है.
एक सफल उद्योगपति और व्यवसायी होने के साथ-साथ जमशेदजी बहुत ही उदार प्रवित्ति के व्यक्ति थे इसलिए उन्होंने अपने मिलों और उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों और कामगारों के लिए कई कल्याणकारी नीतियाँ भी लागू की. इसी उद्देश्य से उन्होंने उनके लिए पुस्तकालयों, पार्कों, आदि की व्यवस्था के साथ-साथ मुफ्त दवा आदि की सुविधा भी उन्हें प्रदान की.
औद्योगिक विकास कार्यों में जमशेदजी यहीं नहीं रूके. देश के सफल औद्योगीकरण के लिए उन्होंने इस्पात कारखानों की स्थापना की महत्त्वपूर्ण योजना बनायी. ऐसे स्थानों की खोज की जहां लोहे की खदानों के साथ कोयला और पानी सुविधा प्राप्त हो सके. अंततः आपने बिहार के जंगलों में सिंहभूमि जिले में वह स्थान (इस्पात की दृष्टि से बहुत ही उपयुक्त) खोज निकाला. 1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (Tisco) की स्थापना से इस शहर की बुनियाद पड़ी. इससे पहले यह साकची नामक एक आदिवासी गांव हुआ करता था. वहां की मिट्टी काली होने के कारण वहां का पहला रेलवे-स्टेशन कालीमाटी के नाम से बना. इसे बाद में बदलकर टाटानगर कर दिया गया. जमशेदपुर आज भारत के सबसे प्रगतिशील औद्योगिक नगरों में से एक है.