Janmashtami 2023: पत्नी रुक्मिणी की बजाय श्रीकृष्ण के साथ क्यों की जाती है राधा की पूजा? जानें पूरी कहानी
क्या आपने कभी सोचा है कि भक्त भगवान कृष्ण के साथ राधा की पूजा क्यों करते हैं? हम भगवान कृष्ण के साथ रुक्मिणी की पूजा क्यों नहीं करते?
क्या आपने कभी सोचा है कि भक्त भगवान कृष्ण के साथ राधा की पूजा क्यों करते हैं? हम भगवान कृष्ण के साथ रुक्मिणी की पूजा क्यों नहीं करते? यदि आपने कभी अपने बड़ों से ये सवाल पूछा है और कभी जवाब नहीं मिला, तो आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की कहानी. जहां रुकिमी भगवान कृष्ण की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी थीं, वहीं राधा उनकी प्रेमिका थीं. वे बचपन के दोस्त थे और दुनिया उनके एक-दूसरे के प्रति निस्वार्थ प्रेम की मिसाल देती थी.
कृष्ण के साथ राधा को क्यों पूजा जाता है
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जबकि राधा और कृष्ण का विवाह अलग-अलग लोगों से हुआ था, उन्होंने हमेशा दुनिया को दिखाया कि प्रेम निःस्वार्थ है. प्यार न तो उम्र, न समुदाय का मोहताज होता है और न ही इसे समाज द्वारा स्थापित सीमाओं में बांधा जा सकता है.
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राधा और कृष्ण एक दूसरे के प्रति समर्पित थे. उनके भक्त अब भी मानते हैं कि वे दोनों रास लीला करने के लिए मथुरा के एक छोटे से गांव में भौतिक रूप धारण करते हैं, एक छोटी सी सभा जिसमें कृष्ण अपनी बांसुरी बजाते हैं, राधा ताल पर नृत्य करती हैं, और गोपियां उनके प्यार और दोस्ती का जश्न मनाती हैं.
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जब भगवान विष्णु ने इस पृथ्वी पर भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया, तो ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी राधा के रूप में अवतरित हुईं. जब वह दुनिया को यह सबक सिखाने के लिए यहां आए थे कि बुराई के खिलाफ हमेशा अच्छाई की जीत होती है, तो राधा ने दुनिया को स्नेह, भक्ति, सहानुभूति और कोमलता का महत्व सिखाया.
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कृष्ण ने क्यों की रुक्मिणी से शादी
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रुक्मिणी एक खूबसूरत महिला थी जिसे भगवान कृष्ण ने अपने सपनों में देखा, उससे प्यार हो गया और उससे शादी कर ली. कई भक्तों का कहना है कि वह कृष्ण के मानवीय प्रेम का प्रतिनिधित्व करती थीं, जबकि राधा उनका दिव्य प्रेम थीं. कई लोग यह भी मानते हैं कि रुक्मिणी भी देवी लक्ष्मी का अवतार थीं, लेकिन उन्हें उनके साथ कम विशिष्ट क्षमता में मौजूद रहना पड़ता था.
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रुक्मिणी और कृष्ण के मिलन की एक और पौराणिक कहानी कहती है कि रुक्मिणी का भाई चाहता था कि उसकी शादी एक राजा से हो. हालांकि, रुक्मिणी कृष्ण से प्यार करती थी और उसने उन्हें अपने अपहरण के लिए कृष्ण को एक पत्र भेजा था. जिसके बाद अर्जुन की मदद से भगवान कृष्ण और रुक्मिणी एक साथ भाग गए और एक दूसरे से विवाह कर लिया.
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लोगों का मानना है कि राधा और रुक्मिणी एक-दूसरे से अलग नहीं हैं. स्कंद पुराण के एक कथन के अनुसार, द्वारका में रुक्मिणी की भूमिका वही थी जो वृन्दावन में राधा की थी. राधा की कृष्ण के प्रति भक्ति और उनके निस्वार्थ प्रेम के कारण ही उनकी एक साथ पूजा की जाती है. कई भक्त कहते हैं कि उनकी आत्माएं एक हैं.
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