January 2023 Vrat Tyohar List: मकर संक्रांती से लेकर बसंत पंचमी, देखें जनवरी 2023 का व्रत त्योहार लिस्ट

January 2023 Vrat Tyohar List: जनवरी में मासिक शिवरात्रि, पौष पुत्रदा एकादशी, षटतिला एकादशी, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी और पोंगल जैसे कई महत्वपूर्ण दिवस, व्रत और त्योहार हैं. यहां देखें जनवरी महीने में पड़ने वाले महत्वपूर्ण दिवस, व्रत और त्योहार की पूरी लिस्ट.

By Shaurya Punj | December 17, 2022 7:45 AM

January 2023 Vrat Tyohar List:  साल 2022 में जनवरी का महीना पौष माह से शुरू होकर माघ माह में समाप्त हो रहा है. नए साल के सबसे पहले महीने यानी जनवरी में मासिक शिवरात्रि, पौष पुत्रदा एकादशी, षटतिला एकादशी, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी और पोंगल जैसे कई महत्वपूर्ण दिवस, व्रत और त्योहार हैं. यहां देखें जनवरी महीने में पड़ने वाले महत्वपूर्ण दिवस, व्रत और त्योहार की पूरी लिस्ट.

जनवरी 2023 त्योहार और व्रत की लिस्ट (January 2023 Vrat And Festivals List)

2 जनवरी, सोमवार- पौष पुत्रदा एकादशी

पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस दिन सुदर्शन चक्रधारी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. स्त्री वर्ग में इस व्रत का बड़ा प्रचलन और महत्व है. इस व्रत के प्रभाव से संतान की रक्षा भी होती है.

4 जनवरी, बुधवार- प्रदोष व्रत (शुक्ल)

प्रदोष व्रत को हम त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जानते हैं. यहाँ आप पाएंगे आने वाली प्रदोष व्रत तिथि 2023 में. यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है. पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत एक साल में कई बार आता है. प्रायः यह व्रत महीने में दो बार आता है.

6 जनवरी, शुक्रवार- पौष पूर्णिमा व्रत

हिन्दू धर्म और भारतीय जनजीवन में पूर्णिमा तिथि का बड़ा महत्व है. पूर्णिमा की तिथि चंद्रमा को प्रिय होती है और इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है. हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बतलाया गया है. ऐसा कहा जाता है कि पौष मास के समय में किए जाने वाले धार्मिक कर्मकांड की पूर्णता पूर्णिमा पर स्नान करने से सार्थक होती है.

10 जनवरी, मंगलवार- संकट चौथ

संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’. इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है. पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है. इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं. संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है.

14 जनवरी, शनिवार- लोहड़ी

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में यह त्योहार कृत्तिक नक्षत्र में मनाया जा रहा है.  लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.  उत्तर भारत के कई राज्यों में भी लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाने वाला लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि लोहड़ी पर्व नए अन्न के तैयार होने और फसल कटाई की खुशी में मनाया जाता है.

15 जनवरी, रविवार- मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक प्रमुख पर्व है. भारत के विभिन्न इलाकों में इस त्यौहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है. हर वर्ष सामान्यत: मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है.

18 जनवरी, बुधवार- षटतिला एकादशी

षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. कुछ लोग बैकुण्ठ रूप में भी भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन 6 प्रकार से तिलों का उपोयग किया जाता है. इनमें तिल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन, तिल से तर्पण, तिल का भोजन और तिलों का दान किया जाता है, इसलिए इसे षटतिला एकादशी व्रत कहा जाता है.

19 जनवरी, गुरुवार- प्रदोष व्रत (कृष्ण)

प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते है. प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. इस व्रत में भगवान शिव कि पूजा की जाती है. हिन्दू धर्म में व्रत, पूजा-पाठ, उपवास आदि को काफी महत्व दी गयी है. ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति को मनचाहे वस्तु की प्राप्ति होती है. वैसे तो हिन्दू धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं लेकिन लेकिन इन सब में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है.

20 जनवरी, शुक्रवार- मासिक शिवरात्रि

शिवरात्रि शिव और शक्ति के संगम का एक पर्व है. हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष के 14वें दिन को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. यह पर्व न केवल उपासक को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि उसे क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच जैसी भावनाओं को रोकने में भी मदद करता है. मासिक शिवरात्रि हर महीने मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार साप्ताहिक त्योहारों में भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है.

21 जनवरी, शनिवार- मौनी अमावस्या/माघ अमावस्या

हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं. इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है. इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है. माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है. इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है.

26 जनवरी, गुरुवार- वसंत पंचमी

आइए जानते हैं कि 2023 में बसंत पंचमी कब है व बसंत पंचमी 2023 की तारीख व मुहूर्त. बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है. आज ही के दिन से भारत में वसंत ऋतु का आरम्भ होता है. इस दिन सरस्वती पूजा भी की जाती है. बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है. इस समय को पूर्वाह्न भी कहा जाता है.

Next Article

Exit mobile version