Jawaharlal Nehru Death Anniversary: भारत के इतिहास में आज यानी 27 मई का दिन बहुत ही यादगार है. 27 मई के ही दिन साल 1964 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) का हृदयाघात से निधन हो गया था. साल 1964 में नेहरू का हृदयाघात से निधन हो गया था. अपने अंतिम दिनों में नेहरू का स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं रहा करता था, लेकिन वे एक कर्मठ व्यक्ति थे और उन्होंने पूरा प्रयास किया कि सेहत उनके काम में बाधा नहीं बने लेकिन धीरे धीरे उनकी सेहत का असर दिखने लगा था.
जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru Death Anniversary) को 27 मई को सुबह लगभग 06.30 बजे पैरालिटिक अटैक आया और उसके थोड़े ही देर बाद हार्ट अटैक आया. इसके बाद वह बेहोश हो गए. इंदिरा गांधी ने फौरन डॉक्टरों को फोन किया. 3 डॉक्टर आए और जवाहरलाल नेहरू का इलाज शुरू किया. लेकिन तब तक जवाहरलाल नेहरू का शरीर कोमा में चला गया था. इलाज का जवाहरलाल नेहरू कोई रिस्पांस नहीं कर रहे थे. डॉक्टरों को मालूम हो गया था कि जवाहरलाल नेहरू के शरीर पर इलाज का असर नहीं हो रहा है. कई घंटों की कोशिश के बाद 27 मई दोबहर 2 बजे जवाहरलाल नेहरू के निधन की अधिकारिक घोषणा की गई.
जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru Death Anniversary) लोगों के साथ ही बच्चों में बेहद लोकप्रिय थे और बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे, नेहरू जी कई विषयों पर पकड़ थी जिसके चलते देश दुनिया में उनकी बेहद सराहना होती है. जवाहर लाल नेहरू के कई प्रसिद्ध उद्धरण हैं जो आज के इस दौर में भी प्रासंगिकता रखते हैं. पढ़ें ऐसे ही कुछ पंडित नेहरू के विचार जो बदल सकते है आपका जीवन.
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वह व्यक्ति, जो अधिकतर अपने गुणों का बखान करता है, प्राय: बहुत ही कम गुणवान होता है
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अज्ञानता हमेशा बदलाव से डरती है
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तथ्य, तथ्य हैं और किसी की पसंद से गायब नहीं होते हैं
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आप दीवार के चित्रों को बदल कर इतिहास के तथ्यों को नहीं बदल सकते हैं
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असफलता तभी होती है, जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं
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लोगों की कला उनके दिमाग के लिए एक सही दर्पण है
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बहुत आसान है केवल सुझाव देना और बाद में उससे होने वाले परिणामों से बचने की कोशिश करना
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यह मानव जीवन का एक मौलिक नियम है, कि यदि काम करने का तरीका अच्छा है, तो प्रतिक्रिया भी अच्छी होगी