सरहुल का महाभारत कनेक्शन : आदिवासियों ने दिया था कौरवों का साथ, पांडवों के हाथों हुई ‘मुंडा सरदार’ की मौत

सरहुल प्रकृति का पर्व है. लेकिन, इससे जुड़ी कुछ किंवदंतियां भी प्रचलित हैं. इन्हीं में एक है महाभारत से जुड़ी कहानी. यानी सरहुल का महाभारत कनेक्शन भी है. सरहुल से जुड़ी प्राचीन कथा में कहा गया है कि जब महाभारत का युद्ध चल रहा था, तब आदिवासियों ने कौरवों का साथ दिया था.

By Mithilesh Jha | March 23, 2023 9:05 PM
an image

सरहुल प्रकृति का पर्व है. लेकिन, इससे जुड़ी कुछ किंवदंतियां भी प्रचलित हैं. इन्हीं में एक है महाभारत से जुड़ी कहानी. यानी सरहुल का महाभारत कनेक्शन भी है. सरहुल से जुड़ी प्राचीन कथा में कहा गया है कि जब महाभारत का युद्ध चल रहा था, तब आदिवासियों ने कौरवों का साथ दिया था. युद्ध में पांडवों न ‘मुंडा सरदार’ का वध कर दिया था. उनके शवों को साल के पत्ते और उसकी शाखाओं के साथ-साथ अन्य पेड़ों के पत्तों से ढक दिया गया.

साल के पत्ते से ढके शव कई दिन बाद भी नहीं सड़े

युद्ध के बाद देखा गया कि जिन शवों को साल के पत्ते से ढका गया था, युद्ध के बाद वे शव नहीं सड़े. लेकिन, अन्य पत्तों और चीजों से जिन शवों को ढका गया था, वे सड़ गये थे. इसके बाद ही साल के पेड़ों और पत्तों के प्रति आदिवासियों का विश्वास दृढ़ हो गया. वे साल के पेड़, फूल और पत्तों की पूजा करने लगे. शायद उनमें यह विश्वास जागृत हो गया कि जंगलों में साल के पेड़ ही उनके रक्षक हैं. संभवत: इसी वजह से महाभारत युद्ध के बाद सरहुल पर्व की शुरुआत हुई होगी.

Also Read: Sarhul Festival: झारखंड में कब मनाया जायेगा आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व सरहुल, कौन लोग मनाते हैं यह त्योहार
फूलखोंसी से शुरू होता है सरहुल का त्योहार

चार दिन तक मनाये जाने वाले सरहुल पर्व के दौरान अलग-अलग दिन अलग-अलग परंपरा का निर्वाह किया जाता है. आदिवासियों के इस सबसे बड़े और महत्वपूर्ण पर्व की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को फूलखोंसी के साथ होती है. चैत्र पूर्णिमा के दिन फूल के विसर्जन के साथ सरहुल त्योहार का समापन होता है.

Also Read: Sarhul 2023: सरहुल के दिन पाहन करते हैं भविष्यवाणी – अकाल पड़ेगा या होगी उत्तम वर्षा
सरहुल में बारिश से जुड़ी भविष्यवाणी करते हैं पाहन

सरहुल के दौरान ही पाहन आने वाले दिनों में बारिश से जुड़ी भविष्यवाणी करते हैं. वह भी तीन मटकी देखकर. जी हां, मिट्टी के तीन पात्र में पानी भरकर रख दिया जाता है. अगले दिन सुबह पाहन उन पात्रों का निरीक्षण करते हैं. इसके बाद घोषणा करते हैं कि इस साल कैसी वर्षा होगी. अच्छी-खासी बारिश होगी या अकाल पड़ेगा. आदिवासियों को पाहन पर पूरा भरोसा होता है. उन्हें पक्का यकीन होता है कि पाहन जो भविष्यवाणी करते हैं, वह सच होती है.

Exit mobile version