Jitiya Vrat 2024: संतान के लिए माएं करती हैं जितिया, भूलकर भी न करें ये गलती, बस करें ये उपाय

Jitiya 2024: आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाने वाला यह त्योहार, आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में मनाया जाता है, महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और देवताओं की पूजा करने और अपने बच्चों के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए विशेष पूजा करने सहित विभिन्न अनुष्ठान करती हैं.

By Bimla Kumari | September 21, 2024 1:20 PM
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Jitiya Vrat 2024: जितिया पूजा एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में महिलाएं मनाती हैं. यह त्योहार उनके बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए समर्पित है. ताकी उनकी संतान स्वस्थ, निरोग और लंबी उम्र हो. इस व्रत में दौरान महिलाएं 24 घंटे निर्जला व्रत रखती है.

कब है जितिया 2024


आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाने वाला यह त्योहार (Jitiya Vrat 2024), आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में मनाया जाता है, महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और देवताओं की पूजा करने और अपने बच्चों के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए विशेष पूजा करने सहित विभिन्न अनुष्ठान करती हैं.

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यह त्योहार माताओं और उनके बच्चों के बीच गहरे बंधन का प्रतीक है, साथ ही मातृत्व और प्रजनन क्षमता भी दर्शाता है, जो परिवार और नए जीवन के महत्व को दर्शाता है. यह एक दावत के साथ समाप्त होता है जहां परिवार के सदस्य भोजन साझा करने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो भक्ति, पारिवारिक संबंधों और मातृ प्रेम के महत्व को मजबूत करता है. इस साल जितिया व्रत 25 सितंबर को मनाया जाएगा.

माताएं न करें ऐसी गलती


ज्योतिष के अनुसार माताओं को जितिया पूजा (Jitiya Vrat 2024) के दौरान कुछ गलतियों से बचना चाहिए, क्योंकि वे उनके बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. व्रत के दौरान, खाने-पीने से परहेज करना चाहिए और माताओं को नवमी तिथि के बाद ही व्रत तोड़ना चाहिए, खासकर उदयातिथि के बाद. गलती से नवमी तिथि पर अपना व्रत न तोड़े, ऐसा करने से व्रत निष्फल हो जाता है.

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क्या करें जितिया के दिन


जितिया व्रत (Jitiya Vrat 2024) के दिन, माताओं को पूजा पूरी करने से पहले स्नान करना चाहिए और भगवान सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए. इस दिन गाय को खिलाना भी जरूरी है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे सकारात्मक परिणाम मिलते हैं. दिन की शुरुआत स्नान से करने से दिन के अनुष्ठानों के लिए शुद्धि और तत्परता का संकेत मिलता है. शुद्ध मन, वाणी और कर्म के साथ पूजा करना महत्वपूर्ण है. यदि माताएं इन प्रमुख अनुष्ठानों का पालन करती हैं, तो उनका व्रत सफल माना जाएगा. इसलिए व्रत के दौरान इन महत्वपूर्ण उपायों को करने से न केवल बच्चों को लाभ मिलता है, बल्कि पूरे परिवार को आशीर्वाद भी मिलता है.

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