Jitiya Vrat Food: जितिया व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान की लंबी आयु और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है. साथ ही संतान के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं भी दूर होती हैं. इस व्रत को रखने वाली महिला को संतान वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है. हिंदू धर्म में जितिया के दौरान कुछ खास चीजें खाने का महत्व है. आइए जानते हैं इस दौरान क्या क्या खाया जाता है और इसके सेवन करने के क्या फायदे हैं.
मछली
वैसे तो सभी पर्व त्योहार में मांस मछली से परहेज किया जाता है लेकिन जितिया एक ऐसा पर्व है, जिसमें व्रती महिलाएं मड़ूआ रोटी के साथ मछली खाती हैं. इस व्रत में धार्मिक मान्यता के अनुसार माताएं चिल्हो सियार की पूजा कर अपने पुत्रों की लंबी उम्र की कामना करती हैं. मछली का संबंध बाढ़ पानी से है.
नोनी साग
नोनी साग में कैल्शियम और आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण यह व्रत रखने वाले व्यक्ति को पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता. व्रत रखने के बाद अक्सर महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है. ऐसे में व्रत रखने से पहले नोनी साग खाने से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है. इसे किसी भी तरह के मिट्टी में खासकर बलुई में आसानी से उग आती है. नोनी साग का संबंध बलुई मिट्टी से है.
झिंगनी
बिहार के मिथिला में मछली खाने की परंपरा है. ऐसे में जो लोग मछली नहीं खाते हैं वो मछली को अनिवार्य रूप से देखते हैं और झिंगनी की सबजी खाते हैं. साथ ही इसके पत्ते का भी पूजा में बेहद खास महत्व है, कि इस पत्ते पर ही पूजा की जाती है. इस सब्जी की लती होती है जो गुच्छे में फल लगा है. ये सब्जी बाहर से जितना कठोर होता है अंदर से उतनी ही सॉफ्ट होती है. झिंगनी का संबंध लती के ऊंचाई से है.
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कंदा
जितिया में कंदा की संब्जी मुख्य तौर पर बनाया जाता है. इसे अलग अलग जगहों पर अलग अलग तरीके से बनाया जाता है. ये कहीं भी आसानी से उपज जाता है. इसलिए इसका महत्व जितिया में बढ़ जाता है. कंदा का संबंध किचर से है.
कुशी केराव/देशी मटर
कुशी केराव जिसे जितिया व्रत में इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही इसकी सब्जी भी बनाई जाती है. बताएं आपको की जितिया व्रत के पारण के दिन कुशी केराव खाया जाता है. इसमे विटामिन बी12 इसमें भरपूर होता है. इसमें कोलेस्ट्रॉल रोधी गुण भी होते हैं. मटर बंजर भूमि में भी उगता है.