Kabirdas Jayanti 2024 इस तारीख को, जाने उनसे जुड़ी रोचक बातें
Kabirdas Jayanti 2024: इस साल कबीरदास जयंती 22 जून 2024 को है. आइए क्यों है ये दिन खास
Kabirdas Jayanti 2024: संत कबीर जयंती एक वार्षिक आयोजन है जो कबीर दास की जयंती मनाता है, जो एक प्रसिद्ध कवि, संत और समाज सुधारक थे और 15 वीं शताब्दी में रहते थे. पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह दिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन पड़ता है. इस साल ये खास दिन 22 जून को मनाया जाएगा. संत कबीर जयंती भारत के अलावा अन्य देशों में भी सभी वर्गों के लोगों द्वारा मनाया जाता है. कबीर दास की महान कविताएं और रचनाएं ‘परमात्मा’ की सुसंगतता और विशालता को दर्शाती हैं.
Kabirdas Jayanti 2024: कबीरदास जयंती का शुभ मुहूर्त
इस साल कबीरदास जयंती 22 जून 2024 को है, ये कबीरदास जी की 647वीं वर्ष गांठ होगी. पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 21 जून को सुबह 07.31 पर होगी और इसका समापन 22 जून को सुबह 06.37 पर होगा.
Kabirdas Jayanti 2024: जानें कबीर के बारे में
किंवदंतियों के अनुसार, कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश में मुस्लिम माता-पिता से हुआ था. बाद में, बहुत कम उम्र में, उन्होंने आध्यात्म की ओर रुख किया और उन्होंने खुद को अल्लाह के साथ-साथ भगवान राम के बच्चे के रूप में संदर्भित किया. वो धर्मनिरपेक्ष थे एवं किसी भी धार्मिक भेदभाव में विश्वास नहीं किया.
Kabirdas Jayanti 2024: 15वीं शताब्दी प्रशंसित कवि थे कबीर
15वीं शताब्दी के एक अत्यधिक विख्यात कवि थे और उनके लेखन ने भक्ति आंदोलन को प्रभावित किया. उनके कुछ प्रसिद्ध लेखों में ‘अनुराग सागर‘, ‘कबीर ग्रंथावली‘, ‘बीजक‘, ‘सखी ग्रंथ‘ आदि शामिल हैं. इसके अलावा वे एक धार्मिक समुदाय ‘कबीर पंथ‘ के संस्थापक भी हैं और इस समुदाय के सदस्यों को ‘कबीर पंथी‘ के रूप में संदर्भित किया जाता है. संत कबीर दास की सभी धर्मों के लोगों ने प्रशंसा की और उनके सबक अभी भी पीढ़ियों से चले आ रहे हैं.
Kabirdas Jayanti 2024: कबीर जयंती का महत्व
कबीर जयंती(kabir jayanti) का बहुत महत्व है संत कबीर(Sant Kabeer) के उपदेशों के अनुयायियों के लिए और उन लोगों के लिए भी जो भारतीय आध्यात्मिक धरोहर के समृद्धि की कीमत को महसूस करते हैं. यह कबीर(kabir) के अविनाशी ज्ञान और उनके सामर्थ्य के संदर्भ में याद दिलाता है, जो प्रेम, समझौता, और एक दुख़ी दुनिया में एकता की भावना को छू लेता है. कबीर जयंती पर आयोजित उत्सव में कबीर(kabir) की कविता, भजन (भजन), और उनके जीवन और उनके उपदेशों पर व्याख्यान शामिल होते हैं.