सिंधु घाटी सभ्यता के अंत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी का होगा खुलासा ? कच्छ के क्रेटर को लेकर नया रिसर्च

भूवैज्ञानिकों ने दावा किया है कि गुजरात में कच्छ के लूना में क्रेटर (गड्ढा) उल्कापिंड के प्रभाव के कारण बना था, जो पृथ्वी पर मानव जीवन की शुरुआत के बाद से संभवतः एकमात्र इतना बड़ा क्रेटर है. कच्छ क्रेटर पर अध्ययन से सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण तथ्य का पता लगने की उम्मीद जगी है

By Agency | December 16, 2023 7:42 PM

तिरुवनंतपुरम , केरल विश्वविद्यालय में भूवैज्ञानिकों के एक समूह ने ऐसी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज करने का दावा किया है जो सिंधु घाटी सभ्यता के अंत से जुड़ी घटनाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकती है. भूवैज्ञानिकों ने दावा किया है कि गुजरात में कच्छ के लूना में क्रेटर (गड्ढा) उल्कापिंड के प्रभाव के कारण बना था, जो पृथ्वी पर मानव जीवन की शुरुआत के बाद से संभवतः एकमात्र इतना बड़ा क्रेटर है. उल्का के टकराए जाने के बाद बनने वाले गड्डे जैसी आकृति को ‘क्रेटर’ कहा जाता है.

क्रेटर स्थल से पिघली चट्टान के विश्लेषण से पुष्टि हुई है कि चट्टानें एक उल्कापिंड का अवशेष हैं और यह घटना बीते 6,900 वर्ष में हुई है. यह समय सिंधु घाटी सभ्यता के समृद्ध काल से मेल खाता है. यह खोज करने वाली टीम के प्रमुख भूविज्ञानी के. एस. साजिन कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, वे केवल इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि यह घटना पिछले 6,900 वर्षों के भीतर हुई है. इसका सही समय पता करने के लिए सटीक तिथि निर्धारित करने की आवश्यकता है “

कच्छ में क्रेटर रिसर्च सेंटर स्थापित करने की मांग

टीम के प्रमुख भूविज्ञानी के. एस. साजिन कुमार ने कहा कि उन्होंने लूना में क्रेटर रिसर्च सेंटर स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक प्रस्ताव भेजा है. उन्होंने कहा, “भारत में खोजा गया यह चौथा क्रेटर है और किसी भारतीय टीम द्वारा खोजा गया पहला क्रेटर है. अन्य तीन क्रेटर विदेशी भूवैज्ञानिकों ने खोजे थे. हमारे पास विकसित देशों की तुलना में इस तरह के शोध के लिए बहुत सीमित संसाधन हैं. ”

लूना से निकटतम सिंधु घाटी स्थल लगभग 200 किलोमीटर दूर

लूना से निकटतम सिंधु घाटी स्थल लगभग 200 किलोमीटर दूर है. हालांकि, वैज्ञानिक इस बात को लेकर संशय में हैं कि क्या इस घटना से सिंधु घाटी सभ्यता का अंत हो सकता है. यह क्रेटर लगभग दो किलोमीटर चौड़ा है, जिससे पता चलता है कि 100 से 200 मीटर व्यास वाले किसी उल्कापिंड के कारण यह बना होगा.

Also Read: Research : सर्दी के मौसम का दिमाग और व्यवहार पर पड़ता है असर, कोई उदास तो कोई अधिक हो जाता है दयालु

Next Article

Exit mobile version