Kindergarten Benefits: खेल खेल में बड़ी सीख दे जाता है किंडरगार्टन, इसलिए है जरूरी, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
ओंटारियो के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि खेल-आधारित दृष्टिकोण किंडरगार्टन का हिस्सा रहेगा. लेकिन इस क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों को डर है कि हम किंडरगार्टन के ‘‘स्कूलीकरण’’ में वृद्धि देखेंगे-और एक समृद्ध वातावरण का अंत होगा जहां शिक्षक बच्चों की जिज्ञासा और खेलों से जुड़ी गतिविधियों का समर्थन करते हैं.
Kindergarten Benefits: खेल की अपनी सबसे प्यारी यादों के बारे में सोचें. आप कहां थे, आपके साथ कौन था, आपने अपने पास कौन सी शक्तियां होने का दिखावा किया? यदि संभव हो तो क्या आप वहाँ वापस जाना चाहेंगे, चाहे एक क्षण के लिए ही सही? दुर्भाग्य से, बहुत कम बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें इस तरह का कोई अनुभव है, जो कई कारणों से परेशान करने वाला है. इनमें से मुख्य बात यह है कि खेल बच्चों (और सभी उम्र के लोगों) को खुश करता है, और हमारा समाज खुशी की कमी देख रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले कई अन्य लोगों के साथ, एक बाल मनोचिकित्सक के रूप में मैं इस बारे में गहराई से चिंतित हूं. बच्चों और किशोरों में मानसिक बीमारी बढ़ गई है और कुछ मानसिक स्वास्थ्य शोधकर्ता खेल की कमी को इसके साथ जोड़ रहे हैं. किंडरगार्टन क्यों है जरूरी
ओंटारियो ने हाल ही में घोषणा की कि एक नया किंडरगार्टन पाठ्यक्रम होगा जो प्रांत की पढ़ने के अधिकार के बारे में की गई पूछताछ के जवाब के तौर पर साक्षरता के लिए बैक-टू-बेसिक्स पर केंद्रित है, जिसमें पढ़ने की शिक्षा में बदलाव का आह्वान किया गया है. ओंटारियो के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि खेल-आधारित दृष्टिकोण किंडरगार्टन का हिस्सा रहेगा. लेकिन इस क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों को डर है कि हम किंडरगार्टन के ‘‘स्कूलीकरण’’ में वृद्धि देखेंगे – और एक समृद्ध वातावरण का अंत होगा जहां शिक्षक बच्चों की जिज्ञासा और खेलों से जुड़ी गतिविधियों का समर्थन करते हैं. हमारे बच्चे फल-फूल सकते हैं और पढ़ना सीख सकते हैं यदि कक्षाएँ ‘‘सरस शिक्षा’’ को अपनाती हैं- पूछताछ-आधारित, खेल-आधारित गतिविधियाँ जो शिक्षकों द्वारा कुछ प्रत्यक्ष निर्देश के साथ हों. हालाँकि, इस प्रकार की शिक्षा की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी. पठन-पाठन अपने आप नहीं आता है. पढ़ने के लिए नए तंत्रिका पथ विकसित करने की आवश्यकता होती है. इसके लिए विशिष्ट कौशलों के विकास के लिए कुछ प्रत्यक्ष निर्देशों की आवश्यकता होती है, और यह खेल-खेल में सीखने के माध्यम से किया जा सकता है, जिसका मतलब खेल का नुकसान नहीं है.
यह इस पर निर्भर करेगा: किंडरगार्टन टीम (जिसमें एक शिक्षक और एक बहुत छोटे बच्चों के शिक्षक शामिल हों) अपनी भूमिकाओं और नए पाठ्यक्रम की प्राथमिकताओं को पूरी तरह से समझती है. टीम यह जानती है कि कक्षा में खेल-आधारित शिक्षा का समर्थन कैसे किया जाए, और यह पता लगाया जाए कि वे कुछ प्रत्यक्ष निर्देशों को समृद्ध खेल- और पूछताछ-आधारित गतिविधियों के साथ कैसे जोड़ेंगे; टीम पर्याप्त रूप से सुसज्जित और साधन संपन्न हो. आदर्श रूप से, इसका मतलब यह होगा कि बच्चों की उभरती साक्षरता और खेल में सहायता के लिए साक्ष्य-आधारित शिक्षण रणनीतियों में पारंगत साक्षरता कोच होना चाहिए. कुछ समय पहले तक, बहुत से लोग खेल को काम और सीखने के विपरीत मानते थे, उनका मानना था कि खेला तब जाता है जब सीखने का वास्तविक कार्य समाप्त हो जाता है. बहुत से लोग अभी भी यह नहीं समझते हैं कि वर्णमाला या गिनती का अभ्यास करने के बजाय खेलना मूल्यवान समय की बर्बादी नहीं है. लेकिन एक बार जब लोगों को पता चल जाता है कि भावनात्मक जुड़ाव वाले अनुभव अधिक यादगार होते हैं, तो आप खेल को ऐसे तरीकों से व्यवस्थित कर सकते हैं जिससे सीखने की मात्रा बढ़ जाए. तंत्रिका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह स्पष्ट है कि खेल तुच्छ नहीं है: यह मस्तिष्क की संरचना और कार्य को बढ़ाकर मस्तिष्क को बदल देता है. बच्चे खेल के माध्यम से अपने बारे में, दुनिया के बारे में और बहुत कुछ सीखते हैं. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, खेल की अनुपस्थिति, विशेष रूप से बाहरी खेल, मोटापे की दर को बढ़ाती है. खेल के माध्यम से, बच्चे पारस्परिक कौशल सीखते हैं, दोस्त कैसे बनें और समस्याओं को कैसे हल करें-कृत्रिम अंतरंगता के इस समय में कौशल की सख्त जरूरत है.
खेल सोच, समस्या समाधान, आवेग निषेध और कार्यकारी कार्य को बढ़ावा देता है. पढ़ना सीखने के लिए ये आवश्यक कौशल हैं. सीखने के विज्ञान के अध्ययन में इधर काफी काम हुआ है जो पूछता है: मस्तिष्क कैसे सीखता है? टेंपल यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफेसर कैथी हिरश पासेक अपनी टीम के साथ सीखने के इस विज्ञान में अग्रणी विद्वान हैं. उनके शोध के अनुसार, सीखना सबसे अच्छा तब होता है जब बच्चे शिक्षक के साथ लंबे समय तक निष्क्रिय रूप से बैठकर बात करने या निर्देश देने के बजाय ‘‘दिमागी तौर पर’’ सक्रिय होते हैं; वह व्यस्त हैं; जानकारी सार्थक है; वे सामाजिक रूप से अंतःक्रिया कर रहे हैं; सीखना ‘‘पुनरावृत्तीय’’ है, जिसका अर्थ है कि जानकारी या अवधारणाओं को विभिन्न संदर्भों में और विषय क्षेत्रों में दोहराया जाता है, ताकि बच्चों को छोटे भागों को संयोजित करने के नए तरीके देखने में मदद मिल सके; वे मस्ती कर रहे हैं.
सफलता के लिए महत्वपूर्ण यह है: शिक्षकों को यह देखना चाहिए कि सहभागिता और शैक्षणिक सफलता दोनों प्राप्त करने के लिए खेल-खेल में सीखने की ओर बदलाव आवश्यक है. प्रधानाध्यापकों को इस दृष्टिकोण में शामिल होने और इसका समर्थन करने की आवश्यकता है. जब सीखने की बात आती है तो सभी खेल एक जैसे नहीं होते. शिक्षकों को बाल विकास प्रोफेसर एंजेला पाइल द्वारा वर्णित और शोधित विभिन्न प्रकार के खेल को समझने की आवश्यकता है. जैसा कि उनके काम की रूपरेखा बताती है, खेल को स्वतंत्र खेल से लेकर निर्देशित खेल से लेकर औपचारिक खेल तक एक निरंतरता माना जाता है. शिक्षक-निर्देशित खेल वह है जहाँ शिक्षक बच्चों और शिक्षक के मार्गदर्शन में भाषा, साक्षरता और गणितीय गतिविधियों को विकसित करने के लिए संदर्भ स्थापित करता है. शिक्षक-निर्देशित खेल साक्षरता और संख्यात्मक कौशल जैसे विशेष सीखने के लक्ष्यों पर अधिक जोर देता है, जिससे वह खेल के निर्देशक नहीं, बल्कि सहायक टीम बन जाते हैं.
आइए याद रखें, दुनिया भर में खेलने का समय कम हो गया है. ब्रिटिश शिक्षा अधिवक्ता सर केन रॉबिन्सन ने प्रसिद्ध रूप से कहा था कि दुनिया भर में औसतन बच्चे बाहर खेलने में जितना समय बिताते हैं, उससे अधिक समय जेल में बंद अपराधी बिताते हैं. यूनाइटेड किंगडम में एनजीओ सेव द चिल्ड्रन के 2022 के सर्वेक्षण में पाया गया कि बेबी बूमर पीढ़ी के 71 प्रतिशत की तुलना में केवल 27 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि वे नियमित रूप से अपने घरों से बाहर खेलते हैं. विशेष रूप से जो लोग आज 55 से 64 वर्ष की आयु के हैं, उनके बचपन में यह दर 80 प्रतिशत थी, जो दर्शाता है कि कुछ ही पीढ़ियों में खेलने की दरों में लगातार गिरावट आई है. अन्य देशों के शोध से यह भी पता चला है कि कैसे बच्चों के जीवन में व्यवसाय की बढ़ती भावना ने खेल को भी बाहर कर दिया है. माता-पिता को स्कूल में खेल-खेल में सीखने के तरीकों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है. हमें यह समझना चाहिए कि खेल और इसकी वजह से जुड़े रिश्ते बच्चों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं. अपनेपन के अधिकार और खेलने के अधिकार से अधिक बुनियादी कुछ भी नहीं है.