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Krishna Janmashtami: कृष्ण जन्माष्टमी पर पूतना वध, बचपन की कहानी जो अधर्म पर धर्म के जीत का हैं प्रतीक

Krishna Janmashtami: इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे पूर्वजन्म में रत्नबाला की ममता और क्रोध ने पूतना के रूप में जन्म लिया, और कैसे भगवान कृष्ण ने उसकी विष पिलाने की इच्छा को पूरा कर उसे मातृत्व का सम्मान प्रदान किया.

Krishna Janmashtami: कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर, जब हम भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव धूमधाम से मनाते हैं, तो उनके जीवन की घटनाओं को भी याद करते हैं. कृष्ण के बचपन की कहानियों में एक कहानी है पूतना वध की हैं, जो केवल एक रोमांचक कथा नहीं, बल्कि जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाओं का भी प्रतीक है। इस कहानी के माध्यम से हमें धर्म, शक्ति, और सत्य की सच्ची ताकत का पता चलता है. पूतना वध की यह कहानी हमें सिखाती है कि अच्छाई और धर्म की ताकत कितनी महान होती है, तो चलिए हमारे साथ आप भी जानिए पूतना वध क्या था.

कंस की विश्वासपात्र

पूतना एक राक्षसी थी, जो अपने आप को सुंदर और भली स्त्री दिखाने का ढोंग करती हुई नन्हे श्री कृष्ण तक पहुंचने सफल हुई थी और भगवान कृष्ण को मारने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि वह जानती थी कि कृष्ण का जन्म बहुत खास है इसलिए कंस के आदेश पर उन्हे मार देना चाहती थी, इसलिए उसने अपनी चालाकी से कृष्ण को अपने जहर वाले दूध सें उन्हे स्तनपान कराने लगी.

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कृष्ण की शक्ति

जैसे ही कृष्ण ने पूतना का दूध पिया, वह चौंक गई. उसने दूध पीते ही महसूस किया कि उसका शरीर बहुत भारी हो गया है और उसकी ताकत कम हो रही है. कृष्ण की शक्ति के आगे पूतना का जहर बेअसर हो गया. पूतना ने जल्दी ही महसूस किया कि उसने बड़ी गलती की है. नवजात शिशु को स्तनपान कराकर पुतना मारना चाहती थी, श्रीकृष्ण ने उलटा पुतना का वध कर दिया

पूतना को श्रीकृष्ण की माता का दर्जा

पिछले जन्म में पूतना का नाम रत्नबाला था, जिन्होंने भगवान वामन के दर्शन के दौरान अपनी ममता व्यक्त की थी और सोचा था कि उनके जैसा पुत्र हो, जिसे वह दुलार करती और दूध पिलातीं. भगवान ने उनकी इच्छा पूरी करने के लिए तथास्तु कहा. जब रत्नबाला ने राजा बलि की भूमि नापने की घटना देखी और उनके अहंकार का नाश हुआ, तो उसे अपने पिता के अपमान पर गुस्सा आया. उसने भगवान को मन ही मन बुरा कहना शुरू किया और सोचा कि उसका पुत्र होता तो उसे विष देती. पूतना की विष पिलाने की इच्छा को भगवान कृष्ण ने पूरा किया, और उसकी मृत्यु के बाद उसे श्रीकृष्ण की माता का दर्जा मिला, जिससे उसकी बुराई के बावजूद उसे मातृत्व का सम्मान प्राप्त हुआ.

पूतना को श्रीकृष्ण की माता का दर्जा क्यों मिला?

पूतना को श्रीकृष्ण की माता का दर्जा मिला क्योंकि उसने कृष्ण को दूध पिलाया, जो मातृत्व का प्रतीक माना गया. हालांकि उसकी मंशा बुरी थी, भगवान कृष्ण ने उसके इस कार्य को स्वीकार कर उसे विशेष सम्मान दिया.

पूर्वजन्म में रत्नबाला ने भगवान वामन को देखकर क्या सोचा था?

रत्नबाला ने भगवान वामन को देखकर सोचा था कि उसका भी ऐसा पुत्र हो, जिसे वह हृदय से लगाकर बहुत दुलार करे और दूध पिलाए. इस इच्छा को भगवान ने अगले जन्म में पूतना के रूप में पूरा किया.

पूतना ने भगवान कृष्ण को विषैला दूध पिलाने का प्रयास क्यों किया?

पूतना ने भगवान कृष्ण को विषैला दूध पिलाने का प्रयास किया क्योंकि उसने भगवान वामन के प्रति अपने गुस्से और अपमान की भावना से प्रेरित होकर ऐसा किया. वह अपने मन की बुराई के कारण कृष्ण को मारने की कोशिश की.

पारंपरिक कथा के अनुसार पूतना को मातृत्व का दर्जा कैसे मिला?

पारंपरिक कथा के अनुसार, पूतना को मातृत्व का दर्जा इसलिए मिला क्योंकि उसने भगवान कृष्ण को दूध पिलाया, जो मातृत्व का प्रतीक माना गया. भगवान कृष्ण ने उसकी इस क्रिया को स्वीकार कर उसे विशेष सम्मान प्रदान किया.

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