किसी जन्नत से कम नहीं है पश्चिम बंगाल का कुर्सियांग हिल स्टेशन, सफेद ऑर्किड लहलहाते हैं यहां

पश्चिम बंगाल का एक छोटा सा शहर है कुर्सियांग, जो प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है. कुर्सियांग शब्द का अर्थ है सफेद ऑर्किड का स्थान. इस क्षेत्र में सफेद ऑर्किड बहुतायत में उगते हैं. यह क्षेत्र खूबसूरत चाय के बागानों, जंगलों और पहाड़ी ढलानों पर साल भर फलने-फूलने वाली वनस्पतियों की वजह से लुभाता है.

By सुमन बाजपेयी | April 2, 2023 1:17 PM

कोलकाता से लगभग 587 किलोमीटर दूर पूर्वी हिमालय के बीच बसे खूबसूरत कुर्सियांग के बारे में बेशक लोग कम जानते हों, पर यहां आने के बाद बार-बार आने का मन करता है. इस बार मैंने सोलो ट्रैवलर के रूप में कुर्सियांग को महसूस किया. यह खूबसूरत हिल स्टेशन समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा सिलीगुड़ी से 51 और और दार्जिलिंग से 30 किलोमीटर दूर है. कुर्सियांग शब्द का अर्थ है सफेद ऑर्किड का स्थान. इस क्षेत्र में सफेद ऑर्किड बहुतायत में उगते हैं. यह क्षेत्र खूबसूरत चाय के बागानों, जंगलों और पहाड़ी ढलानों पर साल भर फलने-फूलने वाली वनस्पतियों की वजह से लुभाता है.

कुर्सियांग कभी उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम का एक भाग था और दार्जिलिंग जिले का उप-खंड था. वर्ष 1835 में सिक्किम के राजा ने इसे अंग्रेजों को सौंप दिया था. तब यह एक छोटा-सा गांव था. अंग्रेजों ने इसे नया रूप दिया और इसकी नैसर्गिक सुंदरता में पर्यटकों को लुभाने वाली सुविधाओं का भी समावेश कर दिया. इसकी महत्ता तब बढ़ी, जब दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की टॉय ट्रेन सेवा को 1880 में कुर्सियांग तक बढ़ा दिया गया. कम ऊंचाई पर होने के कारण यहां पूरे साल खुशगवार मौसम बना रहता है, हालांकि सर्दियों में बहुत ठंड होती है. कुर्सियांग के कुछ हिस्सों से कंचनजंगा, कबरू और जन्नु तथा तीस्ता और महानंदा नदियां भी दिखाई देती हैं.

पहाड़ी पर बसा ईगल क्रेग कुर्सियांग का सबसे खास व्यू प्वांइट है. यहां पहुंचने के लिए कुर्सियांग की संकरी गली को पार करते हुए 25 मिनट चलना पड़ा. वह पैदल सफर न थकाने वाला था, न ही ऊबाने वाला, क्योंकि प्रकृति हर समय आपके साथ चलती है. ईगल क्रेग से पहाड़ी चोटियों का आनंद लेने के साथ-साथ सिलीगुड़ी के खूबसूरत मैदान भी देखे. वहां एक बगीचा भी बना हुआ है. एक छोटी सीढ़ी ऊपर बगीचे तक ले जाती है. बाड़ों और फूलों से लदे बगीचे के एक तरफ वॉच टॉवर भी है. नजदीक एक ठोस वेदी है और उस पर एक खुखरी (पारंपरिक नेपाली चाकू) रखा हुआ है. यह एक स्मारक है, जिसे उन गोरखाओं की याद में बनाया गया है, जिन्होंने 1988 में वहां हुए विद्रोह में अपने प्राण गंवाये थे. यहां का एक बड़ा जलाशय कुर्सियांग शहर को पानी की आपूर्ति करता है.

कुर्सियांग अनेक पहाड़ियों पर फैला हुआ है, जिनमें से एक है डॉव हिल. इसका एक बड़ा भाग घने जंगलों से घिरा है. यहां का वन संग्रहालय, ऐतिहासिक विद्यालय, पार्कलैंड आदि प्रसिद्ध हैं. अम्बोतिया शिव मंदिर जाने के लिए चाय के बागानों से नीचे उतरना और उसके बाद एक कच्ची सड़क के सहारे जंगल की तरफ आगे बढ़ना होता है. यहां भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं. शिवलिंग पुराने पेड़ का एक तना है. कुर्सियांग में और भी बहुत जगहें हैं, जहां एक पूरा दिन बिताया जा सकता है. वहां से चार किलोमीटर दूर गिद्ध पहाड़ पर स्थित है नेताजी सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम. जिस घर में यह संग्रहालय बना है, वह नेताजी के बड़े भाई का था. इसके अलावा डीएचआर म्यूजियम है, जहां रेलवे के मूल दस्तावेज और चीजें प्रदर्शित हैं. अंग्रेजों द्वारा बनाये कुछ हेरिटेज स्कूल भी देखने का मौका मिला. एक या आधे दिन के किराये पर टैक्सी कर आराम से इन जगहों पर घूमा जा सकता है. टॉय ट्रेन में बैठना किसी रोमांचक अहसास से कम नहीं है. इसका ट्रैक सड़क के साथ-साथ चलता है.

कुर्सियांग सड़क से सिलीगुड़ी से जुड़ा है और वहां से हर प्रमुख शहर से. सबसे नजदीकी दो रेलवे स्टेशन हैं- सिलिगुड़ी (50 किलोमीटर) और जलपाइगुड़ी (57 किलोमीटर) ये रेलवे स्टेशन कोलकाता, दिल्ली, वाराणसी, गुवाहाटी और भारत के अन्य मुख्य शहरों से जुड़े हैं. नजदीकी हवाई अड्डा बगडोगरा कुर्सियांग से 60 किलोमीटर दूर है और पहुंचने में लगभग दो घंटे का समय लगता है. रहने के लिए यहां मुख्य बाजार में बहुत सारे होटल हैं, पर राज्य पर्यटन विभाग की कुर्सियांग टूरिस्ट लॉज एक बेहतरीन विकल्प है, जो दार्जिलिंग से एक किलोमीटर दूर है. यहां होम स्टे भी हैं. कुर्सियांग जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से मध्य जून और सितंबर से दिसंबर के बीच है. गर्मियों के दौरान (अप्रैल से सितंबर) आपको हल्के ऊनी वस्त्रों की जरूरत पड़ सकती है. जुलाई में यहां बहुत ज्यादा बारिश होती है.

खरीदारी करने के लिए यहां कुछ खास नहीं है. इसका मुख्य बाजार कुर्सियांग रेलवे स्टेशन से ही शुरू हो जाता है और हिल कार्ट रोड के दोनों तरफ से होता हुआ टूरिस्ट लॉज तक जाता है. कपड़े, जूते, बैग, स्टेशनरी और आवश्यक सामान सहित सभी प्रकार की छोटी से लेकर मध्यम दुकानें हैं.

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