Lala Lajpat Rai Jayanti: लाला लाजपत राय की जयंती पर पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें, बदल जाएगी आपकी जिंदगी
हर साल 28 जनवरी को लाला लाजपत राय की जयंती मनाई जाती है. लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी यानी पंजाब का शेर कहा जाता था.
Lala Lajpat Rai Jayanti 2024: आज लाला लाजपत राय की जयंती (Lala Lajpat Rai Jayanti) है. लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोंगा जिले में हुआ था. लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी यानी पंजाब का शेर कहा जाता था. एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और तीन ‘लाल बाल पाल’ की तिकड़ी में से एक ने उनकी राष्ट्रवाद और उत्साही देशभक्ति की विचारधारा के कारण उन्हें ‘पंजाब केसरी’ और ‘पंजाब का शेर’ की उपाधि दी थी. यहां देखें उनके अनमोल विचार, जिससे बदल सकता है आपका जीवन.
Lala Lajpat Rai Jayanti 2024: लाला लाजपत राय के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य
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लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल को लाल-बाल-पाल तिकड़ी के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया.
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लाला लाजपत राय प्रथम विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में रहे, जहां उन्होंने इंडियन होम रूल लीग ऑफ़ अमेरिका की स्थापना की.
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लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि पर ओडिशा के लोग शहीद दिवस मनाते हैं.
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हिसार, हरियाणा में राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का नाम लाला लाजपत राय के नाम पर रखा गया है.
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लाला लाजपत राय ने स्कूल की पढ़ाई के बाद कानून की पढ़ाई की और हिसार में ही इसका अभ्यास किया.
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लाला लाजपत राय ने ने ‘द स्टोरी ऑफ माई डिपोर्टेशन (1908), आर्य समाज (1915), द यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका: ए हिंदू इम्प्रेशन (1916), यंग इंडिया (1916), अनहैप्पी इंडिया (1928), और भारत के लिए इंग्लैंड का कर्ज (1917) समेत कई पुस्तकें लिखी है.
लाला लाजपत राय हिंदू धर्म से काफी प्रभावित थे और उन्होंने कई भारतीय नीतियों में सुधार किया. -
लाला लाजपत राय 1894 में अपने शुरुआती दौर में पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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लाला लाजपत राय का निधन 17 नवंबर 1928 को हो गया.
Lala Lajpat Rai Jayanti 2024: लाला लाजपत राय के अनमोल विचार
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अंत में जीने की स्वतंत्रता है, हमारी अपनी अवधारणा के अनुसार जीवन क्या होना चाहिए, अपने स्वयं के व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए अपने आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए और उद्देश्य की एकता को सुरक्षित करने के लिए जो हमें दुनिया के अन्य राष्ट्रों से अलग करेगा.
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मनुष्य हमेशा प्रगति की मार्ग में अपने गुणों से आगे बढ़ता है किसी दुसरे के भरोसे रहकर आगे नही बढ़ा जा सकता है.
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अगर सार्वजनिक जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरुरी है वरना प्रगति के रास्ते में बाधा आ जाएगी.
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हमारे लिए सही बात यह है कि हम एक लोकतांत्रिक राज के लिए प्रयास करें, जिसमें हिंदू, मुस्लिम और अन्य समुदाय भारतीय के रूप में भाग ले सकें न कि किसी विशेष धर्म के अनुयायी के रूप में.
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मैं एक हिंदू हूं, पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और जहां तक मेरा संबंध है, मुझे किसी भी अच्छे मुसलमान या सिख सदस्य द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने के लिए काफी संतुष्ट होना चाहिए.
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नैतिकता की आवश्यकता है कि हमें किसी भी बाहरी विचारों की परवाह किए बिना, दलित वर्गों को न्याय और मानवता की भावना से ऊपर उठाने का काम करना चाहिए.
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