Summer Vacation: गर्मियों की छुट्टी में मम्मी-पापा की मदद करने के साथ सीखें कौशल के गुर

पूरे साल आपका समय पढ़ाई और स्कूल की दूसरी गतिविधियों में निकल जाता है. स्कूल की जिम्मेदारी जितनी आप निभाते हैं, उतनी ही आपकी मम्मी भी इसे निभाती है. ऐसे में इस समर वेकेशन पर बनें उनकी मददगार.

By Devendra Kumar | April 26, 2024 8:07 PM
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Summer Vacation: पूरे साल आपका समय पढ़ाई और स्कूल की दूसरी गतिविधियों में निकल जाता है. स्कूल की जिम्मेदारी जितनी आप निभाते हैं, उतनी ही आपकी मम्मी भी इसे निभाती है. सुबह उठकर आपके लिए नाश्ता और टिफिन बनाने में जुट जाती है. स्कूल जाते समय जब आप अपनी मम्मी को बाय बोलते हैं, तो एक मुस्कुराहट भरी बाय आपकी तरफ वापस आती है, इस दुआ के साथ कि अपना ख्याल रखना.आपके स्कूल जाने के बाद भी मम्मी के पास और कितने काम होते हैं या पापा घर में कितना और कैसा सहयोग करते हैं, तो क्यों न समर वेकेशन के दौरान इन दो महीने अपने मम्मी-पापा को थोड़ा आराम दें. साथ ही साथ घर को मैनेज करने के तरीके भी सीखें. ये किसी क्लास में नहीं सिखाये जाते, लेकिन हैं बड़े काम के…

ऐसे करें सुबह की शुरुआत

कभी सुबह उठकर अपने मम्मी-पापा के लिए नाश्ता बनाइये. देखिए उनके चेहरे पर कितनी खुशी की चमक आ जाती है. शुरुआत में हल्का नाश्ता बनाने की कोशिश कीजिये. आप चाहें, तो सैंडविच, मिल्क शेक, शरबत या फ्रूट सलाद बना सकते हैं. सीखने-सिखाने के लिए आइसक्रीम, केक या सूखा नाश्ता बना सकते हैं इसके लिए यूट्यूब या अपने बड़ों की मदद ले सकते हैं.

घर और बाहर के काम में करें मदद

घर के छोटे-छोटे कामों में मम्मी-पापा की मदद करें. जैसे बर्तन माजना, कपड़े तह करना, डस्टिंग करना आदि. यदि आप साइकिल चलाने में दक्ष हैं और बाहर आने-जाने में पाबंदी नहीं है, तो घर की जरूरत का सामान खुद लाएं. इससे आपको खरीदारी के तौर-तरीके और बाजार की कीमतों का अंदाजा हो जायेगा. पैसे के जोड़-भाग से आपका गणित ज्ञान भी बढ़ेगा. घर में पप्पी, कोई पंछी या अन्य जीव है, तो उनकी देखरेख और खानपान की जिम्मेदारी खुद पर लें. पप्पी है, तो खुद घुमाने ले जाएं, खिलाएं और उनसे संबंधित दूसरे कार्यों को करने का भी बीड़ा उठाएं.

मम्मी-पापा के काम को समझें

मम्मी-पापा यदि कामकाजी हैं, उनके कार्य स्वरूप को जानें. आपको मम्मी-पापा दोनों के कार्यों के अंतर को समझना आना चाहिए. वे कैसे और किस तरह ऑफिस और घर के बीच तालमेल बैठाते हैं, इसे भी समझें. यह व्यवहारिक ज्ञान आपको घर के और करीब लायेगा. इन छुट्टियों के दौरान घर में आने वाले मेहमानों के मेहमानवाजी की जिम्मेदारी भी ले लें. इससे आपको न केवल लोगों को रिसीव करने और उनसे संवाद करने का सलीका सीखने को मिलेगा, बल्कि मेहमानों के लिए खान-पान की व्यवस्था कैसे करनी है, उसमें वैरायटी कैसे लानी है और सर्व करने का क्या तरीका होता है, सब आप बड़ी आसानी से जान जायेंगे. अपने मम्मी-पापा के सिर में तेल लगाएं. मम्मी-पापा के सामान व्यवस्थित करें.

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बुजुर्गों का रखें ख्याल

अगर आपके घर में दादा-दादी हैं, तो आप उनके छोटे-छोटे कामों में मदद कर सकते हैं जैसे-समय पर उन्हें दवाई दें. उन्हें अखबार पढ़कर सुनाएं और उनके साथ सुबह टहलने जाएं. शाम के समय यदि आप पार्क में खेलने जाते हैं, तो दादा – दादी को अपने साथ ले जाएं. छुट्टियों में जितना ज्यादा समय आप उनके बिता सके, उतना अच्छा है. आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आपके दादा-दादी को आपके स्नेह भरा साथ से असीम खुशी मिलेगी.

हरा-भरा बनाएं घर

यदि आपके घर पेड़-पौधे या पूरा बगीचा है, तो इन छुट्टियों में उनकी देखभाल का जिम्मा आप उठाएं. सुबह-शाम पेड़ों की सिंचाई, गुड़ाई, क्यारियों और गमलों की सफाई, खाद व दवाई का छिड़काव आपको कब और कैसे करना है, इसकी जानकारी आप मम्मी या पापा से ले सकते हैं. अपने हाथों से पौधे लगाएं. उनमें बसे जीवन को महसूस करें. नन्हें-नन्हें पौधों में फूल आने से पहले किस तरह की विकास प्रक्रिया होती है, यह आपको पता चलेगा. दोस्तों के साथ बगीचे को नया लुक दें. उनके साथ मिलकर कॉलोनी में पेड़ लगाने का अभियान भी शुरू कर सकते हैं.

काम में छोटे भाई-बहनों को भी करें शामिल

साल भर जितने व्यस्त आप होते हैं, उतने ही आपके बड़े या छोटे भाई बहन भी. उनके साथ समय बिताने का मौका कम ही मिल पाता है. छुट्टियों का यह समय आप उनके साथ बिताएं. साथ में गेम्स खेलें. यदि भाई या बहन छोटे हैं, तो उन्हें भी घर के छोटे-मोटे काम सौंपे. ऐसा करने से आप दोनों में बेहतर तालमेल बनेगा.घर की देखभाल करना, उसे व्यवस्थित रखना, छोटे-बड़ों का ख्याल रखना, मेहमानों की खातिरदारी, पड़ोसियों से सौहार्दपूर्ण व्यवहार, घर के सौंदर्य जैसे बगीचे आदि की देखभाल करना-ये सारे काम आसान हैं. कोई क्लास इसे नहीं हो सिखा सकती. केवल घर सिखा सकता है. तो इस बार इस क्लास को ज्वॉइन करेंगे न आप. इनपुट : शीला श्रीवास्तव

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