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Type 2 diabetes से जूझ रही महिलाओं में पहली बार LTL और मोटापे के बीच संबंध का पता चला

अगस्त में हुए एक शोध ने दावा किया है कि 2015 से 2020 के बीच किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि एक ‘बायोमार्कर' ल्युकोसाइट टेलोमीयर लेंथ (एलटीएल) का संबंध ऐसी महिलाओं में मोटापे से हैं, जिनके रक्त में शुगर की मात्रा अधिक होती है या फिर जो टाइप-2 शुगर से पीड़ित होती हैं.

उत्तर भारत की महिलाओं पर अध्यन

‘बायोमार्कर’ स्वाभाविक रूप से पैदा होने वाला ऐसा तत्व है, जिससे किसी रोग की पहचान की जा सकती है. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, ‘एलटीएल’ का स्तर जन्म के समय सबसे अधिक होता है. किशोरावस्था में इसमें तेजी से गिरावट देखने को मिलती है और फिर बुढ़ापे तक ‘एलटीएल’ में कमी की गति धीमी पड़ जाती है.एक शोध द्वारा गुरुवार को जारी बयान के मुताबिक, ‘‘जुलाई 2015 से दिसंबर 2020 तक किए गए अध्ययन में उत्तर भारत की कुछ ऐसी महिलाओं (20-60 साल की आयु) को चुना गया, जो छह से अधिक महीनों से वहां रह रही थीं.

एलटीएल किन बीमारियों से जुड़ा हैं

एलटीएल को उम्र बढ़ने और इससे जुड़ी बीमारियों, जैसे मोटापा, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग से जुड़ा हुआ माना जाता हैं. इस अध्ययन ने प्री-डायबिटिक महिलाओं में एलटीएल के संबंध और विशेष रूप से महिलाओं में मोटापे के साथ एलटीएल के संबंध की जांच की। यह अध्ययन अपनी तरह का पहला हैं.

भारत में 797 महिलाओं में से 492 मोटापे की शिकार

शोध में 797 महिलाओं (492 मोटापे की शिकार, 305 सामान्य वजन वाली) को टाइप-2 शुगर नहीं था, लेकिन उनके खून में शुगर का स्तर ज्यादा था. इन महिलाओं के जनसांख्यिकी संबंधी आंकड़े, चिकित्सकीय रिकॉर्ड और खाली पेट उनके रक्त में मौजूद शुगर के स्तर का मूल्यांकन किया गया.” इस अध्ययन की रूपरेखा ‘फोर्टिस सी-डॉक हॉस्पिटल फॉर डायबिटीज एंड एलाइड सांइसेज’ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अनूप मिश्रा ने तैयार की. अध्ययन के नतीजे ‘बीएमजे ओपन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर जर्नल’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं.

एलटीएल का संबंध बढ़ती उम्र

शोधकर्ताओं ने बयान में दावा किया, ‘‘यह पहले से ही मालूम है कि एलटीएल का संबंध बढ़ती उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों, मसलन-मोटापे, टाइप-2 शुगरऔर दिल की बीमारी से है. लेकिन यह अध्ययन टाइप-2 शुगर के प्रति संवेदनशील महिलाओं में एलटीएल और मोटापे के बीच के संबंध की जांच करने वाला पहला अध्ययन है.”

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