तनाव, व्यग्रता से निपटने के तरीके तलाश रहे हैं लोग
(लुसी ड्रेपर-क्लार्क, अनुसंधान सहयोगी, विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय)
New Research : जोहानिसबर्ग, तनाव, व्यग्रता और पर्यावरणीय एवं मानवीय आपदाओं से भरी दुनिया में, लोग इससे निपटने के तरीके तलाश रहे हैं. कई लोगों ने मार्गदर्शन के लिए प्राचीन प्रथाओं की ओर रुख किया है. इनमें से एक है सचेतन(mindfulness) जो ध्यान से जुड़ी प्रक्रिया है.
वास्तव में सचेतन का क्या अर्थ है?
सचेतन किसी चीज के प्रति सचेत रहना या जागरूक होने की स्थिति है. यह आपकी नैतिकता, हर पल और व्यवहार करने के सही तरीके को याद रखने के बारे में है.मैं जिस शब्द का उपयोग करना पसंद करता हूं वह है ‘‘जागरूकता’’.अपने दिन की शुरुआत साक्ष्य-आधारित समाचारों से करें.
सचेतन वर्तमान में वापस लाने का एक तरीका
सचेतन कवायद आपको वर्तमान में वापस लाने का एक तरीका होगा.आप योग की तरह अपनी इंद्रियों, अपनी सांस या अपने शरीर का इस्तेमाल करेंगे. ध्यान आपको शांत करने में मदद करता है क्योंकि बहुत सारे अवसाद या अवसादग्रस्त विचार अतीत और उन चीजों से जुड़े होते हैं जिनका हमें अफसोस होता है. बहुत सारी चिंताएं भविष्य से जुड़ी हुई हैं. इन विशेष प्रवृत्तियों पर शोध जारी है यदि लोग बहुत अधिक चिंता का अनुभव करते हैं, तो अक्सर ऐसा होता है कि उनका मन भविष्य में इस बात को लेकर चिंता में रहता है कि आगे क्या होगा. अवसाद के लिए भी यही बात है. मन अतीत में वापस चला जाता है और उन चीजों के बारे में सोचता रहता है जो पहले घटित हो चुकी होती हैं.
हम ध्यान को अपने दैनिक जीवन में कैसे शामिल करें?
ध्यान लगाकर हम तनाव और अवसाद से कुछ हद तक निजात पा सकते हैं. मुझे लगता है कि ‘‘आदत’’ शब्द वास्तव में अच्छा है. ध्यान एक तरह से मानसिक स्वच्छता है. दिन के एक विशेष समय में इसे दैनिक अभ्यास बनाने से लोगों को मदद मिलती है.ज्यादातर लोगों के लिए गहरी सांस लेने से उन्हें फायदा मिलता है और उन्हें शांति मिलती है. यह सचमुच मदद कर सकता है. यदि आपको अस्थमा है और आपको सांस से संबंधित बीमारी है, तो ऐसा करना हमेशा आपके लिए लाभदायक हो सकता है
Also Read: क्या है तनाव मैनेज करने का लचीलापन, जानिए क्या कहता है रिसर्चअंतर्दृष्टि और आत्म-जागरूकता कितनी महत्वपूर्ण हैं?
अंतर्दृष्टि हमें अपनी आदतों की समझ हासिल करने में मदद करती है. यदि आप खुद को अवसाद या चिंता की स्थिति में पाते हैं, तो अपने दिमाग को बार-बार वर्तमान में वापस लाने से आप उन प्रवृत्तियों से बाहर निकल सकते हैं. गुस्सा अक्सर भय का परिणाम होता है. हम उग्र हो जाते हैं और इनका नतीजा दुख ही होता है.इसलिए हमें अपनी किसी भी मुश्किल स्थिति का प्रदर्शन करने की आवश्यकता नहीं है.हम उनका उपयोग जानकारी इकट्ठा करने के लिए करते हैं.
मैं इस पल में क्या महसूस कर रहा हूं? और मुझे क्या चाहिए?
अपने जीवन पर दोबारा ध्यान केंद्रित करने के इच्छुक लोगों के लिए आपकी क्या सलाह है? एक कहावत है कि 84 हजार धर्म द्वार हैं. धर्म का अर्थ है सत्य. तो सत्य को खोजने के 84 हजार विभिन्न तरीके. आपकी अपनी सच्चाई.तनाव और अवसाद से बाहर निकलने के लिए आप अपनी खुशी, अपने आनंद, अपनी संतुष्टि और सहजता के प्रति समर्पित रहें.
Also Read: लंबे समय तक याद रहते हैं शुरुआती दिनों में सीखे गए शब्द, जानिए रिसर्च में में आए रोचक तथ्यDisclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.