Life & style : डिजिटल युग में बच्चों की सुरक्षा के लिए स्मार्ट पैरेंटिंग है जरूरी
आज के डिजिटल युग में बच्चों के हाथों में इंटरनेट की पहुंच उनके लिए नुकसानदेय भी साबित हो सकती है. ऐसे में अभिभावक ही सही संतुलन के साथ बच्चों को डिवाइसेज का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर उन्हें नुकसान से बचा सकते हैं...
Life & style : मौजूदा दौर में हर पांच में से चार अभिभावकों को यह शिकायत रहती है कि उनके बच्चे हर वक्त कंप्यूटर, टैबलेट, मोबाइल या किसी अन्य डिवाइस से चिपके रहते हैं. बच्चों का डिजिटल डिवाइज के इस्तेमाल में घंटों बिता देना, अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बच चुका है. इसका असर उनकी आंखों व मस्तिष्क पर ही नहीं, शरीर पर भी पड़ता है. लेकिन, सच यह है कि टेक्नोलॉजी नये अनुभवों को जन्म दे रही है. यह आजकल की जरूरत भी बन गयी है. इससे अपने बच्चों को दूर रखना अभिभावकों के लिए आसान नहीं. ऐसे में अपनी सूझ-बूझ के साथ बच्चों के लिए कुछ सीमाएं तय कर अभिभावक बच्चों को नये परिवर्तनों के बीच भी सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
बच्चों को सिखाएं तथ्यों की पुष्टि करना
आपका बच्चा छोटा हो या बड़ा, अभिभावक होने के नाते आप उसे यह बात जरूर बताएं कि डिजिटल मीडिया पर मौजूद हर चीज सच नहीं है. इसलिए वह जो कुछ भी देखे या पढ़े उसकी सच्चाई को कई जगह से प्रमाणित करें और पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही किसी बात पर यकीन करे.
साइबर बुलिंग से करें सावधान
डिजिटल मीडिया पर बच्चों की बढ़ती एक्टिविटी के चलते साइबर बुलिंग का शिकार होने की शिकायत बढ़ती जा रही है. ऐसे में आप बच्चे को यह बताएं कि उसे खुद से संबंधित किस तरह की जानकारियां ऑनलाइन किसी और के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए. यह जानकारी के न होने के चलते कई बार बच्चे ऐसे लोगों कि चपेट में आ जाते हैं, जो उनसे पूरी जानकारी निकलवा लेते हैं और उसका गलत इस्तेमाल करते हैं.
इसे भी पढ़ें : Monsoon health : मानसून में पैरों को बचाएं फंगल इंफेक्शन से
इसे भी पढ़ें : Educational motivation : इमोशनल इंटेलिजेंस के साथ जीवन की जटिलताओं को करें पार
तय करें दायरे
सोशल साइट पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों को इसकी लत लग जाती है, इसलिए जरूरी है कि आप उन्हें इसका सीमित इस्तेमाल करने की सलाह दें. इसके अलावा सोशल साइट पर दोस्त बनाने से पहले सामने वाले के बारे में अच्छे से जानकारी ले लें.
प्राइवेसी को अनदेखा न करें
फेसबुक और अन्य कई मैसेंजर के आने से अब मैसेज करना बहुत ही सुविधाजनक हो गया है, लेकिन बच्चों को यह नहीं पता होता कि कई साइट्स ऐसी भी हैं, जिसमें आपकी चैट पूरी तरह प्राइवेट नहीं होती. इसलिए ऐसी किसी भी साइट पर चैट करते समय अपनी बैंक डिटेल और किसी भी तरह कि जानकारी उनसे शेयर न करें. किसी भी चैटिंग साइट्स का इस्तेमाल करने से पहले बच्चों को प्राइवेसी चेक करने की सलाह दें.
सावधानी से करें फ्री वाई फाई का इस्तेमाल
बच्चों को फ्री वाई-फाई का इस्तेमाल करना बहुत अच्छा लगता है और आज के समय में अधिकतर रेस्टोरेंट और कैफे फ्री वाई-फाई की सुविधा देते हैं. ऐसे में आप बच्चों को बताएं कि वे इस बात का ध्यान रखें कि ऐसे नेटवर्क में आप काफी हद तक उनकी देखरेख में रहते हैं और किसी भी समय आपका अकाउंट कोई भी हैक कर सकता है. यदि वे बिना पासवर्ड वाला वाई फाई नेटवर्क इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप बच्चों के मोबाइल में वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) जरूर इंस्टाल करें.
सुरक्षित सोर्स से करें डाउनलोड
बच्चों को नेट पर गेम खेलना बहुत पसंद होता है. ऐसे में वे आये दिन किसी न किसी वेबसाइट से गेम डाउनलोड करते रहते हैं. यदि आपके बच्चे भी ऐसा करते हैं, तो उन्हें गेम इंस्टाल करते समय सही सोर्स का ध्यान रखने की सलाह दें. उन्हें बताएं कि किसी भी तरह का एप या गेम डाउनलोड करने से पहले टर्म्स एंड कंडीशंस को पढ़ना न भूलें.