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लोहड़ी के दिन क्यों जलाई जाती है आग
पंजाब की लोककथाओं का मानना है कि लोहड़ी के दिन जलाई जाने वाली अलाव की लपटें लोगों के संदेशों और प्रार्थनाओं को सूर्य देव तक ले जाती हैं ताकि फसलों को बढ़ने में मदद करने के लिए ग्रह को गर्मी प्रदान की जा सके. बदले में, सूर्य देव भूमि को आशीर्वाद देते हैं और उदासी और ठंड के दिनों को समाप्त करते हैं. अगले दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. कुछ के लिए, अलाव प्रतीकात्मक रूप से इंगित करता है कि उज्ज्वल दिन लोगों के जीवन से आगे हैं और सूर्य देवता के लिए लोगों की प्रार्थनाओं के वाहक के रूप में कार्य करते हैं.
लोहड़ी नाम कैसे पड़ा
लोहड़ी शब्द दो शब्दों तिल (तिल) और रोढ़ी (गुड़) से बना है, जो पारंपरिक रूप से त्योहार के दौरान खाया जाता है. इतिहास में पहले तिल और रोढ़ी शब्द एक साथ 'तिलोहड़ी' की तरह ध्वनि करते थे, धीरे-धीरे 'लोहड़ी' शब्द में रूपांतरित हो गए. एक बार आग बुझ जाती है, रात के खाने में मक्की दी रोटी ते सरसों दा साग (कॉर्नफ्लोर पैनकेक और सरसों पालक) और लस्सी (छाछ) जैसे पसंदीदा भीड़ शामिल होती है.
लोहड़ी पूजा विधि
लोहड़ी की पूजा पवित्र अग्नि के पास की जाती है. लोग घर के बाहर या किसी खुली जगह पर लोहड़ी की पवित्र अग्नि को जलाते हैं और इसमें मूंगफली, गजक, रेवड़ी, तिल, आदि डालकर इसकी परिक्रमा करते हैं. लोहड़ी में नए फसलों की भी पूजा की जाती है और अग्नि में नई फसल को अर्पित किया जाता है. इसके बाद सभी सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का महत्व इसलिए बहुत ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि यह नई फसल के तैयार होने की ख़ुशी में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी की अग्नि से सर्दियों का असर कम होने लगता है. लोहड़ी के बाद से ही दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं.
लोहड़ी से जुड़ी धार्मिक मान्यता
लोहड़ी पर्व को लेकर धार्मिक मान्यता है कि ये फसल की कटाई और नवीन अन्न तैयार होने की खुशी में मनाया जाता है. इस बार 13 जनवरी गुरुवार के दिन पड़ रही है. इस दिन शाम के समय में आग जलाते हैं और उसके चारों ओर एकत्रित हो जाते हैं. इसके बाद आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, चिक्की, गुड़ से निर्मित चीजें डालकर परिक्रमा करते हैं.
लोहड़ी में अग्नि का महत्व
लोहड़ी का पर्व सूर्यदेव और अग्नि को समर्पित माना जाता है. इसमें नई फसलों को अग्निदेव को समर्पित किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी के पर्व के माध्यम से नई फसल का भोग सभी देवताओं तक पहुंचाया जाता है.
लोहड़ी पूजा विधि
लोहड़ी की पूजा पवित्र अग्नि के पास की जाती है. लोग घर के बाहर या किसी खुली जगह पर लोहड़ी की पवित्र अग्नि को जलाते हैं और इसमें मूंगफली, गजक, रेवड़ी, तिल, आदि डालकर इसकी परिक्रमा करते हैं. लोहड़ी में नए फसलों की भी पूजा की जाती है और अग्नि में नई फसल को अर्पित किया जाता है. इसके बाद सभी सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
लोहड़ी भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक
लोहड़ी भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और त्योहार से कुछ दिन पहले इसकी तैयारी शुरू हो जाती है. लेकिन जब परिवार के नए सदस्य की पहली लोहड़ी हो, तो तैयारी और उत्सव भव्य होना चाहिए. चाहे वह नई दुल्हन हो या परिवार में नवजात शिशु, परिवार के सदस्य अपनी पहली लोहड़ी को यादगार बनाना सुनिश्चित करते हैं.
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का महत्व इसलिए बहुत ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि यह नई फसल के तैयार होने की ख़ुशी में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी की अग्नि से सर्दियों का असर कम होने लगता है. लोहड़ी के बाद से ही दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं.
नई नवेली दुल्हन की पहली लोहड़ी होती है बेहद खास
नई नवेली दुल्हन की पहली लोहड़ी को परिवार में बेहद खास माना जाता है. न्यूली मैरिड वुमेन लोहड़ी के अवसर पर एक सुंदर सा नया आउटफिट पहनती है. वह कंगन भी पहनती है और हाथों में मेहंदी भी लगाती है. नई दुल्हन को उसके ससुराल, दोस्तों और परिवार से कई उपहार, कपड़े और आभूषण भी मिलते हैं. साथ ही नवविवाहिता की पहली लोहड़ी को बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह प्रजनन क्षमता का प्रतीक है.
जानें लोहड़ी क्यों है खास
हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में अग्नि को देवताओं का मुख माना गया है. ऐसे में लोहड़ी मनाने वाले किसान मानते हैं कि अग्नि में समर्पित किया गया अन्न का भाग देवताओं तक पहुंचता है. ऐसा करके लोग सूर्य देव और अग्निदेव के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हैं. पंजाब के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से सभी का हक प्राप्त होता है. साथ ही धरती माता अच्छी फसल देती हैं. किसी को अन्न की कमी नहीं होती. पंजाब में इस त्योहार को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.खासकर शादी के बाद जिसकी पहली लोहड़ी है उसे अपने घर में रहकर लोहड़ी मनाना और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए.
यहां जानिए कब मनाई जाएगी लोहड़ी और क्या है लोहड़ी की सही डेट
लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है. सभी को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन इस साल लोहड़ी की डेट को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है. कुछ लोग लोहड़ी के लिए 14 जनवरी तो वहीं कुछ 15 जनवरी की तारीख बता रहे हैं.इस साल लोहड़ी का त्योहार शनिवार 14 जनवरी 2023 को है. वहीं 15 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा.
लोहड़ी पूजा विधि
लोहड़ी की पूजा पवित्र अग्नि के पास की जाती है. लोग घर के बाहर या किसी खुली जगह पर लोहड़ी की पवित्र अग्नि को जलाते हैं और इसमें मूंगफली, गजक, रेवड़ी, तिल, आदि डालकर इसकी परिक्रमा करते हैं. लोहड़ी में नए फसलों की भी पूजा की जाती है और अग्नि में नई फसल को अर्पित किया जाता है. इसके बाद सभी सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
कब है लोहड़ी 14 या 15 जनवरी?
इस साल लोहड़ी का त्योहार शनिवार 14 जनवरी 2023 को है. वहीं 15 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा. चूंकि लोहड़ी मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व होती है. इस कारण लोहड़ी 14 जनवरी को मनाई जाएगी. वहीं लोहड़ी की पूजा के लिए 14 जनवरी 2023 रात 08:57 का समय शुभ है. मान्यता है कि लोहड़ी के बाद से रात छोटी और दिन बड़ा हो जाता है. यानी ठंड धीरे-धीरे कम होने लगती है.
लोहड़ी नाम कैसे पड़ा
लोहड़ी शब्द दो शब्दों तिल (तिल) और रोढ़ी (गुड़) से बना है, जो पारंपरिक रूप से त्योहार के दौरान खाया जाता है. इतिहास में पहले तिल और रोढ़ी शब्द एक साथ 'तिलोहड़ी' की तरह ध्वनि करते थे, धीरे-धीरे 'लोहड़ी' शब्द में रूपांतरित हो गए. एक बार आग बुझ जाती है, रात के खाने में मक्की दी रोटी ते सरसों दा साग (कॉर्नफ्लोर पैनकेक और सरसों पालक) और लस्सी (छाछ) जैसे पसंदीदा भीड़ शामिल होती है.
लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग
पंजाब की लोककथाओं का मानना है कि लोहड़ी के दिन जलाई जाने वाली अलाव की लपटें लोगों के संदेशों और प्रार्थनाओं को सूर्य देव तक ले जाती हैं ताकि फसलों को बढ़ने में मदद करने के लिए ग्रह को गर्मी प्रदान की जा सके. बदले में, सूर्य देव भूमि को आशीर्वाद देते हैं और उदासी और ठंड के दिनों को समाप्त करते हैं. अगले दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. कुछ के लिए, अलाव प्रतीकात्मक रूप से इंगित करता है कि उज्ज्वल दिन लोगों के जीवन से आगे हैं और सूर्य देवता के लिए लोगों की प्रार्थनाओं के वाहक के रूप में कार्य करते हैं.
क्या है लोहड़ी की कहानी
आमतौर पर लोग लोहड़ी में आग का चक्कर लगाते हुए गीत गाते हैं और साथ ही दुल्ला भट्टी की कहानी सुनते हैं. लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के द्वारा दुल्ला भट्टी को पंजाब में रहने के लिऐ भेज दिया गया था. उन दिनों पंजाब की लड़कियों को आमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था. दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को उस समय रक्षा की और आमिर सौदागरों के चंगुल से छुड़ाकर उनकी शादी हिंदू लड़कों से करवायी. तभी से दुल्ला भट्टी को नायक के रुप में मना जाता है. इसलिए हर साल लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी से जुड़ी कहानी सुनाई जाती है.
क्यों मनाई जाती है लोहड़ी
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा हुआ एक विशेष त्योहार है. इस खास अवसर पर पंजाब में नई फसलों की पूजा करने की परंपरा है. इसके अलावा देश के कई हिस्सों में मान्यता है कि पौष की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की कड़क ठंड को कम करने के लिए मनाया जाता है.
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी पर्व के अवसर पर लोग आग जलाकर नृत्य करते हैं. इस दिन सूर्य ढलते ही लोग खेतों में अलाव जलाते हैं और इसके पास खड़े होकर एक साथ भांगड़ा डांस करते हैं. लोहड़ी का महत्व पंजाब में नए साल की शुरुआत में फसलों की कटाई के उपलक्ष्य पर मनाई जाती है.
लोहड़ी पूजा विधि, नियम
लोहड़ी पर, लोग नई फसल की पूजा करते हैं, अपने घरों के बाहर आग जलाते हैं, सूर्य देव (सूर्य देवता) और अग्नि देवता (अग्नि देवता) के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, और आने वाले वर्ष में अच्छे फसल उत्पादन की कामना करते हैं. वे लोहड़ी की आग में कटी हुई फसल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़, गजक और मूंगफली का भोग भी लगाते हैं. इसके अतिरिक्त, लोहड़ी उत्सव में पारंपरिक गीत गाते हुए और ढोल की थाप पर नाचते हुए लोग आग (परिक्रमा) के चारों ओर जाते हैं.yk
लोहड़ी क्यों मनाते हैं?
लोहड़ी एक विशेष त्योहार है जो फसलों की बुवाई और कटाई से संबंधित है. यह गर्म मौसम के आगमन का जश्न भी मनाता है क्योंकि मकर संक्रांति के बाद, लोहड़ी के एक दिन बाद, रातें छोटी हो जाती हैं और दिन बड़े हो जाते हैं. इस त्योहार के उत्सव के दौरान जलाया जाने वाला अलाव उसी विचार का प्रतिनिधित्व करता है.
लोहड़ी 2023 तिथि और पूजा का समय
इस साल लोहड़ी किस तारीख को मनाई जाए, इसको लेकर असमंजस की स्थिति है. कई लोग भ्रमित हैं कि यह 13 जनवरी को है या 14 जनवरी को. द्रिक पंचांग के अनुसार, लोहड़ी का त्योहार 14 जनवरी, 2023 शनिवार को है. इसका मतलब है कि मकर संक्रांति रविवार, 15 जनवरी, 2023 को पड़ेगी. इसके अलावा, लोहड़ी संक्रांति तिथि रात 8:57 बजे होगी और ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 से 6:21 बजे तक रहेगा.