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हर रूप में स्त्री का सम्मान करने से प्रसन्न होती हैं मां जगदंबा

‘हे देवी! समस्त संसार की सब विद्याएं तुमसे ही निकली हैं. जगत की समस्त स्त्रियां तुम्हारा ही स्वरूप हैं...’ अतः स्त्री का हर रूप में सम्मान करें.

कहते हैं बेटियों से घर-आंगन की खुशियां होती हैं. एक मकान को घर बनाने में उनकी हंसी, चहक, संवेदना और ममतामयी भावना का अहम योगदान होता है. बेटियां कई रूपों में अपनी जिम्मेदारियां निभाती हैं और घर के हरेक सदस्य का ख्याल रखती हैं. ऐसे में हमारा भी फर्ज बनता है कि अपनी बेटियों को हर रूप में सम्मान दें और उन्हें उनके सपनों को पूरा करने के लिए खुला आकाश दें.

नवरात्र विशेष रचना प्रियदर्शिनी

एक लड़की के जन्म से लेकर एक स्त्री, एक मां बनने तक के सफर में वह अन्य कई रिश्तों से गुजरती है. इनमें से उसके हरेक रूप से उससे जुड़े हर रिश्ते की कुछ उम्मीदें होती हैं, जिन्हें पूरा करने का वह भरसक प्रयास करती है. इसके बदले में वह बस इतनी ही अपेक्षा रखती है कि उसके अस्तित्व की रक्षा हो. उसे भले ‘देवी’ का दर्जा न दें, किंतु उसके अस्तित्व का सम्मान करें.

बेटियों की उम्मीदें

हर बेटी चाहती है कि उसके माता-पिता उससे भी उतना ही दुलार-प्यार करें, जितना कि वे अपने बेटे से करते हैं. उसके सपनों को भी उतनी ही तरजीह दें. बेटियां सिर्फ तोहफे, कपड़े या साज-शृंगार की चीजें नहीं चाहतीं, वे क्रिकेट, बैडमिंटन या फुटबॉल खेलने का भी शौक रखती हैं. वे चाहती हैं कि मां उन्हें केवल ‘अच्छी बहू’ बनने के टिप्स न दे, बल्कि उसमें जीवन के किसी भी क्षेत्र में विजयी होने का साहस भी भरे.

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बहनों की चाहत

एक बहन के लिए माता-पिता के बाद भाई उसकी दूसरी दुनिया होता है. बहन पूरी दुनिया के विरोध का सामना कर सकती है, अगर उसका भाई उसके साथ खड़ा हो. भाई केवल स्कूल या कॉलेज में उसकी जासूसी न करे, बल्कि उसकी भावनाओं की भी कद्र करे और मुश्किल घड़ी में हौसला दे.

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पत्नी की ख्वाहिश

पति-पत्नी का रिश्ता केवल सिंदूर और मंगलसूत्र भर का समय नहीं होता, बल्कि इस रिश्ते में परस्पर प्यार, विश्वास, सहयोग और समझदारी की भी भरपूर दरकार होती है. वह पत्नी खुद को सबसे ज्यादा भाग्यशाली मानती है, जिसका पति उसके साथ खड़ा हो. फिर चाहे उसके ससुराल या मायके वाले उसके बारे में कुछ भी सोचें या कहें. ऐसे में एक पति का फर्ज बनता है कि वह हर वक्त तथा हरेक परिस्थिति में अपनी पत्नी के मान-सम्मान का पूरा ख्याल रखे. वह न केवल उसका बर्थडे, अपनी मैरिज डे आदि को याद रखे, बल्कि कब उसे डॉक्टर के पास चेकअप के लिए लेकर जाना है, उसे क्या तकलीफ है, या कौन-सी चीज उसे पसंद या नापसंद है- यह भी ख्याल रखना उसकी ही जिम्मेदारी है.

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मां के सपने

कहते हैं एक मां के लिए उसके बच्चे उसकी पूरी दुनिया होते हैं. इस दुनिया को सजान-संवारने में मां अपना पूरा जीवन न्योछावर कर देती है. ऐसे में बच्चों का भी यह फर्ज बनता है कि वे अपनी मां के मान-सम्मान, जरूरतों, उम्मीदों और सपनों का पूरा ख्याल रखें. वे समझें कि मां के भी कुछ अरमान, सपने हैं. उन सपनों, अधूरे शौक को पूरा करने में आप सहयोग करें. अपनी मां से पूछें कि वे क्या चाहती हैं और उन्हें क्या पसंद है. यकीन मानिए, आपके बस एक प्रयास भर से उनकी जिंदगी खिल उठेगी.

‘दुर्गा सप्तशती’ में कहा गया है –

विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:,

स्त्रिया: समस्ता: सकला जगत्सु।

त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्,

का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।

अर्थात्, ‘हे देवी! समस्त संसार की सब विद्याएं तुमसे ही निकली हैं. जगत की समस्त स्त्रियां तुम्हारा ही स्वरूप हैं…’ अतः स्त्री का हर रूप में सम्मान करें.

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