Maha Shivratri 2023: ज्योतिर्लिंग रुद्राभिषेक से बिल्व पूजा तक ऑनलाइन करें बुकिंग, यहां चेक करें डायरेक्ट लिंक

Maha Shivratri 2023: यदि आप ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए जाना चाहते हैं या पूजा के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराना चाहते हैं तो यहां देखें 12 ज्योतिर्लिंग और वेबसाइट के डायरेक्ट लिंक.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2023 5:23 PM

Maha Shivratri 2023: महाशिवरात्रि 18 फरवरी, शनिवार को है. महाशिवरात्रि पर्व पर व्रत एवं भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी है. कारण महाशिवरात्रि के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान् शिव का अशं प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है. इस दिन शिवजी की पूजा और उपासना करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं तथा भक्तों का हर मनोकामना पूरी करते हैं. स्थाई सुख-समृद्धि, संतान सुख, आयु-आरोग्य की वृद्धि, रोग बाधा से छुटकारा मिलता है. ऐसी मान्यता है कि जिन व्यक्तियों की जन्म कुण्डली में कालसर्प योग, शनि की साढ़ेसाती, साथ ही मंगली दोष व्याप्त है उन्हें महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान् शिव की विधिपूर्वक पूजा उपासना करनी चाहिए. अगर आप ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए जाना चाहते हैं या पूजा के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराना चाहते हैं तो यहां देखें 12 ज्योतिर्लिंग और वेबसाइटके डायरेक्ट लिंक.

बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का सभी ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है. भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मंदिर जिस स्थान पर स्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है. यह स्थान झारखंड राज्य (पूर्व में बिहार ) के देवघर जिला में पड़ता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना रावण ने की थी. जहां पर यह मंदिर स्थित है उस स्थान को देवघर अर्थात देवताओं का घर कहते हैं. इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि यहां पर आने वालों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस कारण इस लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है.

बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)

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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं बल्कि इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी. ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चन्द्र देव ने की थी. विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है. हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है.

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

https://somnath.org/

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है. इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है. कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)

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श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहने जाने वाले उज्जैन शहर में स्थित है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है. महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है. उज्जैनवासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं.

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है. जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है. ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है. इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है. यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है.

श्री ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

https://shriomkareshwar.org/HAbhishekPuja.aspx

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है. यह उत्तराखंड में स्थित है. बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है. केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. केदारनाथ का वर्णन स्कंद एवं शिवपुराण में भी मिलता है. यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. जिस प्रकार कैलाश का महत्व है, उसी प्रकार का महत्व शिवजी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है.

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है. काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है. इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है. इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा. इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे.

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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है. इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है. भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है. कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा.

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र द्वारिका में स्थित है. धर्म शास्त्रों में भगवान शिव को नागों के देवता हैं और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है. भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है. द्वारिका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है. इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

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रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरं नामक स्थान में स्थित है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है. इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी. भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है.

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)

http://www.rameswaramtemple.in/

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है. इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है. बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं. यहीं पर श्रीएकनाथजी गुरु व श्रीजनार्दन महाराज की समाधि भी है.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

https://jyotirlingatemples.com/article/id/1065/temple/53/grishneshwar-temple-contact

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