Mahadevi Verma Birth Anniversary 2023, Mahadevi Verma Quotes in Hindi: आज महादेवी वर्मा का जन्म दिन है. महादेवी वर्मा हिंदी बोली की मशहूर कवयित्री हैं. उन्होंने गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला सभी क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किये. महादेवी वर्मा की गणना हिंदी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख कवियों सुमित्रानन्दन पंत, जय शंकर प्रसाद और सूर्याकांत त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है.
महादेवी वर्मा की खड़ी बोली हिंदी का कोमलता और मिठास के तौर पर प्रयोग किया. वह महात्मा बुद्ध के जीवन से बहुत प्रभावित थीं. उन की काव्य रचनायों में नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, अग्निरेखा, प्रथम आयाम, सप्तपर्णा, यामा, आत्मिका, दीपगीत, नीलामम्बरा और सन्धिनी शामिल हैं. उनकी गद्य कृतियां : मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, शृंखला की कड़ियाँ और अतीत के चलचित्र हैं. यहां देखें महादेवी वर्मा के बेहतरीन कोट्स
“उषा के छू आरक्त कपोल किलक पड़ता तेरा उन्माद,”
महादेवी वर्मा, नीलाम्बरा
“उत्ताल तरंगों में ताण्डव करती हुई अलकनन्दा के किनारे,”
महादेवी वर्मा, स्मृति की रेखाएं
“अछूता ले अपना मकरन्द, ढूँढ़ पाया कैसे यह देश;”
महादेवी वर्मा, नीलाम्बरा
“दीपकमय कर डाला जब जलकर पतंग ने जीवन, सीखा बालक मेघों ने नभ के आँगन में रोदन.”
महादेवी वर्मा, नीलाम्बरा
“मुन्नू की माई को सुन्दरी कहना असत्य है और कुरूप कहना कठिन. वास्तव में उसका सौन्दर्य रेखाओं में न रहकर भाव में स्थिति रखता है, इसी से दृष्टि उसे नहीं खोज पाती, पर हृदय उसे अनायास ही अनुभव कर लेता है”
महादेवी वर्मा, स्मृति की रेखाएं
“ठंडी जमीन, चादर, पुआल आदि पर जो सृष्टि सो रही थी, उसके बाह्य रूप और हृदय में इतना अन्तर क्यों है, यही मैं बार-बार सोच रही थी. उनके हृदय का संस्कार, उनकी स्वाभाविक शिष्टता, उनकी रस-विदग्धता, उनकी कर्मठता आदि का क्या इतना कम मूल्य है कि उन्हें जीवन-यापन की साधारण सुविधाएँ तक दुर्लभ हो”
महादेवी वर्मा, स्मृति की रेखाएं
“समाज के पास वह जादू की छड़ी है, जिससे छूकर वह जिस स्त्री को सती कह देती है, केवल वही सती का सौभाग्य प्राप्त कर सकती है .”
महादेवी वर्मा, अतीत के चलचित्र
“कवि कहेगा ही क्या, यदि उसकी इकाई सब की इकाई बनकर अनेकता नहीं पा सकी और श्रोता सुनेंगे ही क्या, यदि उन सबकी विभिन्नताएँ कवि में एक नहीं हो सकीं.”
महादेवी वर्मा, स्मृति की रेखाएं
“भाव यदि मनुष्य की क्षुद्रता, दुर्भावना और विकृतियाँ नहीं बहा पाता, तब वह उसकी दुर्बलता बन जाता है. इसी स्नेह, करुणा आदि के भाव हृदय की शक्ति बन सकते हैं और द्वेष, क्रोध आदि के दुर्भाव उसे और अधिक दुर्बल स्थिति में छोड़ जाते हैं.”
महादेवी वर्मा, स्मृति की रेखाएं