Mahalaya 2024 : दुर्गा पूजा में बस कुछ ही दिन दूर है, और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में देवी दुर्गा के स्वागत की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. दुर्गा पूजा का उत्सव महालया के शुभ दिन देवी पक्ष से शुरू होता है. ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा महालया के दिन पृथ्वी पर अवतरित होती हैं. इसलिए, पूरे पश्चिम बंगाल में लोग मां दुर्गा के स्वागत के लिए पारंपरिक उत्साह और भक्ति के साथ तैयारियां करते हैं.
‘महालया’ नाम संस्कृत शब्दों ‘महा’ और ‘आलय’ से लिया गया है, जो संयुक्त रूप से ‘महान निवास’ या ‘देवी का घर’ दर्शाते हैं.
Also Read: Shubho Mahalaya 2024 Wishes: ढाकर बजना जनन डिचे मेर आगमों… यहां से दें महालया की बधाई
महालया 2024 कब है? तिथि और समय
महालया देवी पक्ष की शुरुआत और पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है. द्रिक पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू हुआ और 2 अक्टूबर को समाप्त होगा. पितृ पक्ष का अंतिम दिन ‘महालया अमावस्या’ है, जो इस वर्ष 2 अक्टूबर को भी मनाया जाएगा. यह दिन गांधी जयंती के साथ भी मेल खाता है, जो एक राष्ट्रीय अवकाश है.
ज्योतिषियों के अनुसार, देवी दुर्गा इस वर्ष पालकी पर सवार होकर आएंगी और चरणायुध पर वापस लौटेंगी.
महालया का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
महालया (Mahalaya 2024) की मूल अवधारणा महाकाव्य मार्कंडेय पुराण से “देवी महात्म्य” (देवी की महिमा) की एक कथा से प्रेरित है. यह प्राचीन धार्मिक ग्रंथ देवी दुर्गा की कहानी और कैसे उन्होंने राक्षस राजा महिषासुर का वध किया, का वर्णन करता है.
Also Read: Hair Care Tips: बाल धोने का क्या है सही तरीका, इन बातों का रखें खास ख्याल
महिषासुर, जिसने भगवान ब्रह्मा से अजेय वरदान प्राप्त किया था, तबाही मचा रहा था. उसे हराने में असमर्थ, देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर देवी दुर्गा की रचना की, जिन्हें सर्वोच्च त्रिदेव- भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव सहित सभी देवताओं के हथियारों का आशीर्वाद प्राप्त था.
महिषासुर और दुर्गा के बीच युद्ध नौ दिन और रात तक चला, जिसका समापन दसवें दिन राक्षस की हार के साथ हुआ, जिसे विजयादशमी या दशहरा के रूप में जाना जाता है.
भारत भर में महालया कैसे मनाया जाता है
दुर्गा पूजा से लगभग 9 दिन पहले महालया मनाया जाता है. इस दिन दुर्गा पूजा की तैयारियों की शुरुआत होती है. पश्चिम बंगाल में इस दिन घरों में ‘दुर्गा सप्तशती चंडी’ या ‘चंडी पाठ’ का पाठ करना एक आम बात है. दुर्गा पूजा समितियां पूजा पंडालों में तैयारियों की शुरुआत को चिह्नित करते हुए ‘घट स्थापना’ या ‘कलश स्थापना’ अनुष्ठान भी करती हैं.
Also Read: Vastu Tips: ये जानने के बाद आप कभी पहनने नहीं देंगे दूसरों को अपने कपड़े, जानिए वजह
महालय और दुर्गा पूजा 2024 कैलेंडर दुर्गोत्सव, पांच दिवसीय त्योहार जो षष्ठी से शुरू होता है और विजयादशमी या दशहरा के साथ समाप्त होता है, 9 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2024 तक होगा.
दुर्गा पूजा 2024 कैलेंडर के लिए नीचे देखें
नवरात्रि 2024: दिन-वार कैलेंडर यहां नवरात्रि 2024 के प्रत्येक दिन के लिए प्रमुख अनुष्ठानों का विवरण दिया गया है:
दिन 1: 3 अक्टूबर
प्रतिपदा अनुष्ठान: घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
दिन 2: 4 अक्टूबर
द्वितीया अनुष्ठान: चंद्र दर्शन, ब्रह्मचारिणी पूजा
दिन 3 : 5 अक्टूबर
तृतीया अनुष्ठान: सिन्दूर तृतीया, चंद्रघंटा पूजा
दिन 4: 6 अक्टूबर
चतुर्थी अनुष्ठान: कुष्मांडा पूजा, विनायक चतुर्थी
दिन 5: 7 अक्टूबर
पंचमी अनुष्ठान: उपंग ललिता व्रत, स्कंदमाता पूजा
दिन 6: 8 अक्टूबर
षष्ठी अनुष्ठान: सरस्वती आह्वान, कात्यायनी पूजा
दिन 7: 9 अक्टूबर
सप्तमी अनुष्ठान: सरस्वती पूजा, कालरात्रि पूजा
दिन 8: 10 अक्टूबर – अष्टमी
अनुष्ठान: दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा संधि पूजा
दिन 9: 11 अक्टूबर
नवमी अनुष्ठान: महानवमी, आयुध पूजा, नवमी अनुष्ठानदिन
10: 12 अक्टूबर
दशमी/दशहरा अनुष्ठान: नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
साल 2024 में कितने दिनों का होगा नवरात्र
also read: Navratri Vastu Tips: कलश स्थापना से पहले घर से हटाएं ये चीजें, मां दुर्गा को होती है अप्रिय
इस साल नलरात्रि 2024 पूरे 9 दिनों का मनाया जाएगा. पश्चिम बंगाल और अन्य पूर्वी क्षेत्रों में, नवरात्रि के अंतिम चार दिन दुर्गा पूजा के रूप में मनाए जाते हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर उत्सव और अनुष्ठान होते हैं. दसवें दिन को भारत के अधिकांश हिस्सों में दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है, जबकि बंगाल में विजयादशमी मनाई जाती है जब भक्त दुर्गा विसर्जन के साथ माँ दुर्गा को अलविदा कहते हैं.
Also Read: Jitiya Vrat Food: मड़ूआ, मछली और साग के अलावा बेहद खास है ये 2 चीज, जानें इसका महत्व