Mahashivratri 2021, Date & Time, Lord Shiv, Nandi Puja Vidhi, Samagri List, Mantra, Importance, Significance: महाशिवरात्रि 2021 व्रत (Mahashivratri 2021 Vrat Vidhi) कल यानी 11 मार्च को रखा जाना है. इस दौरान विधि-विधान से शिव पूजा (Mahashivratri 2021 Puja Vidhi) करना बेहद शुभ माना गया है. लेकिन, क्या आपको मालूम है कि शिव जी की पूजा (Shiv Puja Vidhi) से पहले उनके सवारी नंदी की पूजा (Nandi Puja) की क्यों की जाती है. क्यों भोले बाबा का तप देवता, मनुष्य से लेकर राक्षस तक किया करते थे. आइए जानते हैं शिवरात्रि (Shivratri 2021 Date) के दिन नंदी पूजा करने की विधि (Nandi Puja Vidhi), उनसे जुड़ी मान्यताएं व पौराणिक कथाओं के बारे में…
पौराणिक कथाओं की मानें तो एकबार यमराज ने भगवान शिव को बिना किसी वाहन के विचरण करते देखा. दरअसल, पहले भोले बाबा बिना किसी सवारी के ही पूरा संसार घूमा करते थे. ऐसे में यम को इच्छा हुई कि भगवान भोलेनाथ के सवारी बनने की. उन्होंने कठिन तप कर शिवजी को प्रसन्न करने का पूरा प्रयत्न किया. आखिरकार, शिव शंभू उनकी अराधना से प्रसन्न हुए और वर के रूप में सवारी बनाना स्वीकार किया. लेकिन, इसके लिए उन्होंने यम को बैल रूप में स्वीकार किया.
दरअसल, बैल अत्यंत भोला होता है. उसके मन में कोई भी प्रकार का छल-कपट नहीं होता है. यही कारण है कि भोले बाबा ने नंदी की सवारी चुनी. उन्होंने नंदी को अपना प्रधान सेनापति भी बनाया. शास्त्रों के अनुसार शिव जी की सेना का नेतृत्व नंदी ही करते है.
नंदी को सवारी के रूप में चुनने के पीछे एक और पौराणिक कथा है. ऐसी मान्यता है कि असुर और देवताओं के बीच हो रहे समुद्र मंथन से निकला विष नीलकंठ शिव ने तो पीया ही था. लेकिन, विषपाण करते समय कुछ बूंदे जमीन पर भी गिर गई. जिसे नंदी ने जीभ से चाट लिया. जब इस विष को कोई नहीं पीना चाह रहा था तो ऐसे में नंदी के इस समर्पण को देख बाबा भोले काफी प्रसन्न हुए और नंदी को अपना सबसे बड़ा भक्त बताया.
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नंदी को भक्ति व शक्ति के प्रतीक माना गया है.
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भगवान भोले को प्रसन्न करने से पहले भक्त की भक्ति की परीक्षा नंदी लेते है
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मान्यताओं के अनुसार नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहनी चाहिए
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हर शिव मंदिर में नंदी के दर्शन के बाद ही भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए और पूजा भी
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शिवालय जाकर नंदी के समक्ष तिल के तेल का दीपक जलाएं
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चंदन से तिल करें
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सफेद तिल चढ़ाएं
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दूध, दही चढ़ाएं और खीर का भोग लगाएं
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सफेद फूल अर्पित करें
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इन सबके अलावा जौ, धतूरा, भांग, जौ, बेल पत्र भी चढ़ा सकते हैं
चंदन, कमल गट्टे, तिल, साठी के चावल, धूप, जौ, बेल पत्र, भांग, धतूरा, मंदार पुष्प, समी पत्र आदि सामग्री
ॐ महाकालयम महावीर्यं
शिव वाहनं उत्तमम
गणनामत्वा प्रथम वन्दे
नंदिश्वरम महाबलम
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निशिथकाल: गुरुवार (11 मार्च) की रात्रि 12:12 से 01:01 बजे रात्रि तक.
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प्रथम प्रहर: गुरुवार संध्या 06:29 से 09:32 बजे रात्रि तक.
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द्वितीय प्रहर: रात्रि 09:33 से 12:36 बजे तक
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तृतीय प्रहर: रात्रि 12:37 से 03:39 बजे तक
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चतुर्थ प्रहर: गुरुवार मध्यरात्रि के उपरांत 12 मार्च की प्रात: 03: 41 से 06: 43 बजे तक.
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शिवरात्रि पारण समय: शुक्रवार, 12 मार्च को प्रात: 06:34 बजे के बाद.
Posted By:Sumit Kumar Verma