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मनोरथ पूर्ण करेंगे अभिषेक
शिवपुराण में बताया गया है कि शिव को अर्पित किए जाने वाले द्रव्यों के लाभ भी अलग-अलग होते हैं. विवाह की इच्छा रखने वालों को दूध, बेलपत्र, गंगाजल, शमीपत्र, नारियल पानी, भांग, खोये की मिठाई तथा गुलाबी रंग के गुलाल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.
जल से इस तरह करें रुद्राभिषेक
एक तांबे का पात्र लें. उसमें शुद्ध जल भरें और पात्र को कुमकुम का तिलक लगाएं. फिर ॐ इन्द्राय नम: का जाप करें और पात्र को मौली बांधें. इसके बाद ॐ नम: शिवाय का जाप करें और शिवलिंग को फूलों की पंखुड़ियां चढ़ाएं. इसके बाद जल की पतली सी धार बनाते हुए शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें. ऐसा करते हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए.
पंचामृत से करें शिव का अभिषेक
शिवरात्रि पर शिव भक्त भगवान शिव को मनाने के लिए सबसे पहले दूध से अभिषेक करें और उसके बाद जलाभिषेक करें. महादेव को दूध, दही, शहद, इत्र, देशी घी का पंचामृत बनाकर स्नान कराएं। फूल, माला और बेलपत्र के साथ मिष्ठान से भोग लगाएं.
क्या होता है निशित काल
पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार निशित रात्रि के एक कल्पित पुत्र का नाम है, जिसका अर्थ होता है तीक्ष्ण रात्रि. शिवरात्रि पर रात्रि के समय महादेव की पूजा करने के लिए निशित काल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. पौराणिक मान्यताएं कहती हैं कि जब भगवान शिव शिवलिंग के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए तब वह निशित काल ही समय था. यही कारण है कि शिव जी के मंदिरों में लिंगोद्भव पूजा का अनुष्ठान इसी समय में किया जाता है। इसके अलावा यह दिन भगवान शिव के विवाह का दिन है इसलिए रात्रि में जागकर चारों प्रहर पूजा करने का विधान है.
महाशिवरात्रि पर पंचक
हिन्दू पंचांग के अनुसार, पंचक 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 16 मार्च की सुबह 4 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे.
व्यापार में सफलता हेतु इस मंत्र का करें प्रयोग
व्यापार में लगातार संघर्ष, असफलता और हानि हो रही है तो ऐसी स्थिति में भगवान शिव का अभिषेक दूध में केसर डालकर करें. बेलपत्र चढ़ाए और " ॐ सर्वेशेवराय नमः " का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें लाभ होगा.
शिक्षा प्राप्ति के लिए इस मंत्र का करें प्रयोग
शिक्षा प्राप्ति के लिए : शिक्षा प्राप्ति हेतु पढाई लिखे प्रतियोगिता में सफलता के लिय छात्रों को या उनके अभिभावक को भगवान शिव का मन्त्र "ॐ रुद्राय नमः " का 108 बार रुद्राक्ष के माला पर जाप करना चाहिए. 108 बेलपत्र भगवान शिव पर जरूर चढ़ाएं और प्रत्येक बेलपत्र पर चन्दन से "राम " लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं.
शिवरात्रि पर इस मंत्री का प्रयोग करने से मिलेगा लाभ
शादी विवाह हेतु : अगर विवाह नहीं हुआ है या होने में अड़चनें आ रही हैं या फिर शादी के बाद घर गृहस्थी तनावपूर्ण वातावरण में है तो ऐसे लोग भगवान शिव को कुमकुम हल्दी अबीर गुलाल चढ़ाएं और " ॐ गौरी शंकराए नमः " का जाप 108 बार रुद्राक्ष की माला पर करें उन्हें लाभ होगा.
क्या है शिवलिंग
शिव पुराण में वर्णित है कि शिवजी के निराकार स्वरुप का प्रतीक 'लिंग' शिवरात्रि की पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। वातावरण सहित घूमती धरती या अनंत ब्रह्माण्ड का अक्स ही लिंग है. इसलिए इसका आदि व अंत भी देवताओं तक के लिए अज्ञात है. सौरमंडल के ग्रहों के घूमने की कक्षा ही शिव के तन पर लिपटे सर्प हैं. मुण्डकोपनिषद के अनुसार सूर्य, चन्द्रमा और अग्नि ही उनके तीन नेत्र हैं.
इसलिए कहा जाता है महादेव को नीलकंठ
भगवान शिव मां पार्वती को बराबर का दर्जा देते हैं और उनका प्यार मां पार्वती के लिए अद्भुत है. भगवान शिव मां पार्वती को अपने बगल में बिठाते हैं, अपने चरणों में नहीं. भगवान शिव अपने स्त्रीत्व को छूने से भी नहीं डरते हैं. अर्धनारीश्वर के रूप में आधा हिस्सा महिला (पार्वती) का और आधा हिस्सा उनका रहता है. भगवान शिव और मां पार्वती का रिश्ता बराबरी और सच्ची साझेदारी का रिश्ता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब समुद्र मंथन के समय भगवान शिव जहर पीते हैं तो मां पार्वती उनके गले में जाकर विष रोक लेती हैं. भगवान शिव को इसके बाद ही नीलकंठ की उपाधि मिलती है.
शिवरात्रि व्रत में क्या खाएं
शिवरात्रि के व्रत में आप अनार या संतरे का जूस पी सकते हैं. ऐसा करने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती और एनर्जी भी बनी रहती है.
रात्रि प्रथम प्रहर से चतुर्थ प्रहर तक का मुहूर्त
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा: 06:27 PM से 09:29 PM तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा: 09:29 PM से 12:31 AM, मार्च 12
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा: 12:31 AM से 03:32 AM, मार्च 12
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा: 03:32 AM से 06:34 AM, मार्च 12
महाशिवरात्रि की रात्रि पर्व का क्या होता है महत्व
महाशिवरात्रि में रात्रि में खास आयोजन किए जाते है. ऐसी मान्यता है कि हिन्दू धर्म में रात में विवाह का मुहूर्त शादी के लिए उत्तम होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का भी माता पार्वती के रात्रि में ही विवाह संपन्न हुआ था. हिंदू पंचांग की मानें तो जिस दिन फाल्गुन माह की मध्य रात्रि अर्थात निशीथ काल में होती है उसी दिन शिवरात्रि मानाई जाती है.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने दी महाशिवरात्रि की बधाई
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प्रधानमंत्री ने देशवासियों को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएं दी है. इसके अलावा देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह के पावन स्मरण स्वरुप के उत्सव को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी देशवासियों को बधाई दी है.
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हरिद्वार में भक्तों ने लगाई पवित्र डुबकी
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महाशिवरात्रि 2021 के अवसर पर उत्तराखंड के हरिद्वार में भक्तों भी भारी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान गंगा नदी में भक्तों ने पवित्र डुबकी लगाई. देखें वीडियो..
Panchak 2021: 11 मार्च को Mahashivratri पर 09 बजकर 21 मिनट से आरंभ हो रहा पंचक, भूल कर भी न करें ये पांच काम, जानें क्या बरतनी होंगी सावधानियां
महाशिवरात्रि 4 दिन बाद पड़ेगा साल का दूसरा अबूझ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के बाद साल का दूसरा अबूझ मुहूर्त 15 मार्च को पड़ रहा है. 4 दिन बाद पड़ने वाले इस मुहूर्त में किसी भी प्रकार के हानिकारक प्रभाव, दोष रहित माना गया है. आपको बता दें कि इस मुहूर्त में कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है. इसे शुभ और लाभकारी माना गया है.
ओडिशा के एक कलाकार ने महाशिवरात्रि पर बनायी भगवान शिव की सबसे छोटी मूर्ति व शिवलिंग
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समाचार एजेंसी एएनआई के रिपोर्ट के मुताबिक कलाकार का कहना है कि वे भगवान शिव की दुनिया की सबसे छोटी मूर्ति बनाने की कोशिश में है. फिलहाल, उन्होंने लकड़ी की 5 मिमी की, पत्थर से से बनी 1.3 सेमी की मूर्ति बनाई है. साथ ही साथ उन्होंने 7 मिमी के साइज का पत्थर की और 3 मिमी की लकड़ी की 'शिवलिंग' का निर्माण भी किया है.
महाशिवरात्रि के दिन ही दुनियाभर में प्रकट हुए थे 64 शिवलिंग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही दुनियाभर में 64 विभिन्न स्थानों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे. हालांकि, इनमें 12 ज्योतिर्लिंग की ही खोज हो पायी है.
महाशिवरात्रि पर जपें ये नाम
शिव, महेश्वर, शम्भू, पिनाकी, विष्णुवल्लभ, नीललोहित, शंकर, शिपिविष्ट, शशिशेखर, वामदेव, विरूपाक्ष, कपर्दी, शूलपाणी, खटवांगी, शर्व, त्रिलोकेशअंबिकानाथ, श्रीकण्ठ, भक्तवत्सल, भव...
प्रथम प्रहर में कैसे करें पूजा
सबसे पहले प्रथम प्रहर में पूजा करने के लिए आपको शिवलिंग के समक्ष संकल्प लेना होगा.
इसके बाद शादी का अनुष्ठान आरंभ करना होगा.
फिर बाबा को दूध, दही, मधु, गंगाजल, घी, तील, जौ और अक्षत अर्पित करने होंगे.
मिट्टी के घड़े में रखे जल से बाबा को स्नान कराएं
फिर उनपर गुलाब जल व इत्र चढ़ाएं
फिर अक्षत, बेलफल, श्रीफल, आंवला, हर्रे, धतूरा का पुष्प आदि चढ़ाएं
अब बाबा को वस्त्र अर्पण करने के उपरांत मां पार्वती को गौरीपट पर शृंगार के लिए साड़ी समेत अन्य सामग्री अर्पण करें.
साथ ही साथ बिल्वपत्र से गौरीपट पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है. इस तरह एक प्रहर की पूजा संपन्न होती है.
झारखंड के देवघर में एक मात्र ज्योतिर्लिंग जहां तांत्रिक पद्धति से होता है
आचार्य जगत गुरु के वंशज गुलाब पंडित भी बताते हैं कि चार प्रहर पूजा का खास महत्व है. रात में बाबा बैद्यनाथ की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. पूजा में बीज मंत्र का अधिक उपयोग किया जाता है. प्रथम प्रहर में सबसे पहले शिवलिंग के समक्ष संकल्प किया जाता है. इसके बाद शादी का अनुष्ठान प्रारंभ होता है. बाबा को गंगाजल, दूध, दही, मधु, घी, तील, जौ और अक्षत चढ़ाया जाता है.
कमलघट्टा एवं हर्रे से बने अर्घ के माध्यम से भोलेनाथ की विधिवत पूजा की जाती है. पंचामृत, हल्दी, फूल आदि उबटन के बाद रजत पुष्प के साथ आसन देकर उनका स्वागत किया जाता है.
महाशिवरात्रि शिव-पार्वती विवाह परंपरा
महाशिवरात्रि के दिन ही शिव और माता पार्वती विवाह बंधन में बंधे थे. देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में रात्रि चार प्रहर तांत्रिक विधि से शादी की अतिप्राचीन परंपरा है. यहां तकरीबन 12वीं शताब्दी से इसका उल्लेख मिलता है. लोगों की मानें तो द्वादश ज्योतिर्लिंग में देवघर ही ऐसा है, जहां तांत्रिक पद्धति से शिव-विवाह की परंपरा है.
कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर के लिए करती है शिव पूजा
ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से नरक से मुक्ति मिलती है. साथ ही साथ कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इसदिन व्रत रखती हैं.
आसान भाषा में समझें आज आपको क्या-क्या करना है
सुबह स्नानादि करके घर में अथवा मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करें
इस दौरान ओम् नमः शिवाय का जाप करते रहें
आज शिवलिंग पर जल व दूध से अभिषेक जरूर करें
पूरे दिन सच बोलें, सात्विक भोजन करें और विवादों से दूर रहें,
रात्रि को सामूहिक रूप घर या देवालय में भगवान शिव का गुणगान करें
रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, महा रुद्राभिषेक, भजन व गीत के साथ आप रात्रि जागरण भी कर सकते हैं
अगले दिन सही मुहूर्त पर व्रत का पारण करें
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
शिव पंचाक्षर श्लोक 1: नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय. नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जिनके कंठ मे सांपों का माला है, जो तीन नेत्रों वाले हैं. भस्म से जिनका अनुलेपन हुआ, दिशांए जिनके वस्त्र है. उस महेश्वर 'न' कार स्वरूप शिव को हार्दिक नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 2: मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय. मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: जिस शिव की अर्चना गंगाजल और चन्दन से हुई. जिनकी पूजा मन्दार के फूल व अन्य पुष्पों से हुई है, उन नन्दी के अधिपति और प्रमथगणों के स्वामी महेश्वर 'म' स्वरूप भोले शिव को सदैव नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 3: शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय. श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो कल्याणकारी है. पार्वती माता को प्रसन्न करने के लिए खुद सूर्य स्वरूप हैं. राजा दक्ष के यज्ञ के जो नाशक हैं, जिनकी झंडे में बैल की निशानी है, उन शोभाशाली श्री नीलकण्ठ 'शि' कार स्वरूप भोल शिव को नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 4: वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय. चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: असुर से लेकर वशिष्ठ, अगस्त्य व गौतम आदि श्रेष्ठ ऋषि मुनियों ने तथा इंद्र देव ने भी जिनके आगे मस्तक झुकाए है, शिव की पूजा की है. जिनके चंद्रमा, सूर्य और अग्नि जैसे प्रलयकारी नेत्र हैं. उन 'व' कार स्वरूप शिव को सदैव नमस्कार है.
शिव पंचाक्षर श्लोक 5: यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय. दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नमः शिवायः॥
अर्थ: शिव जो यक्षरूप धारण करने वाले हैं, जो जटाधारी, व जिनके हाथ में उनका पिनाक नामक धनुष है. जो दिव्य है, सनातन पुरुष हैं. उन दिगम्बर शिव के 'य' कार स्वरूप को नमस्कार है.
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ. शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
अर्थ- जो सदैव शिव के समक्ष इस पवित्र पंचाक्षर मंत्र का जाप करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है. साथ ही साथ वह शिवजी के साथ आनंदित जीवनयापन करता है.
शिवलिंग पर भूल कर भी न चढ़ाएं तिल
आज शिवलिंग में चढ़ाने से बचें. ऐसी मान्यता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ था. अत: भगवान शिव को इसे अर्पित करना सही नहीं माना गया है.
आज महाशिवरात्रि पर 4 प्रहरों में इस मुहूर्त में करें पूजा
रात के पहले प्रहर की पूजा : शाम 18 बजकर 26 मिनट से रात 21 बजकर 33 मिनट तक
रात के दूसरे प्रहर की पूजा : 21 फरवरी को 21 बजकर 33 से 22 मिनट फरवरी को 00 बजकर 40 मिनट तक
रात के तीसरे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को 00 बजकर 40 मिनट से तड़के 03 बजकर 48 मिनट तक
रात के चौथे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को तड़के 03 बजकर 48 मिनट से सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक
महाशिवरात्रि के दिन लग रहा है पचक
इस साल महाशिवरात्रि 11 मार्च गुरुवार को है। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन पंचक लग रहे हैं। पंचक में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है. महाशिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित पर्व है. हर साल यह त्योहार फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक ही रहेगी.
नौकरी और व्यापार में तरक्की पाने के लिए शिवरात्रि पर करें ये उपाय
अगर नौकरी या व्यापार में किसी प्रकार की समस्याएं आ रही हैं या फिर तरक्की नहीं हो पा रही है तो महाशिवरात्रि के दिन व्रत करने के साथ शिवलिंग पर जल में शहद मिलाकर अभिषेक करें. इसके साथ ही शिवलिंग पर अनार का फूल अर्पित करें.
अबूझ मुहूर्त होगा 15 मार्च को
शिवरात्रि के बाद साल का दूसरा अबूझ मुहूर्त 15 मार्च को है। अबूझ मुहूर्त किसी भी प्रकार के हानिकारक प्रभाव और दोषों से रहित माना जाता है। इस मुहूर्त में कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभ और लाभकारी माना गया है. ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि शुक्र अस्त चल रहा है और 20 अप्रैल को शुद्ध होगा. उसके बाद ही विवाह लग्न शुरू होंगे। 15 मार्च के बाद 21 अप्रैल को रामनवमी का अबूझ मुहूर्त रहेगा। इस बीच मांगलिक कार्यों के लिए कोई भी मुहूर्त नहीं है.
फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी इसलिए है महाशिवरात्रि
वैसे तो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आती है, जिसमें हम मासिक शिवरात्रि के नाम से जानते हैं। लेकिन इनमें फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि श्रेष्ठ है. इसलिए इसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. भवान शिव की आराधना के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है। इस दिन दांपत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए कई जातक शिवजी और मां पार्वती की उपासना करते हैं.
महाशिवरात्रि की रात इसलिए होती है महत्वपूर्ण
महाशिवरात्रि पर्व में रात्रि का खास महत्व है. हिन्दू धर्म में रात्रि में होने वाले विवाह का मुहूर्त शादी के लिए उत्तम माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन कृष्ण की चतुर्दशी तिथि की रात्रि को भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ संपन्न हुआ था. पंचांग के अनुसार जिस दिन फाल्गुन माह की मध्य रात्रि यानी निशीथ काल में होती है उस दिन को ही महाशिवरात्रि माना जाता है.
महाशिवरात्रि में बन रहे हैं ये दो श्रेष्ठ योग
महाशिवरात्रि के दिन सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक महान कल्याणकारी 'शिव योग' रहेगा. उसके बाद सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला 'सिद्धयोग' शुरू हो जाएगा। शिव योग में किए जाने वाले धर्म-कर्म, मांगलिक अनुष्ठान बहुत ही फलदायी होती हैं। इस योग के किये गए शुभकर्मों का फल अक्षुण्ण रहता है.
शिवरात्रि के दिन भूलकर भी ना करें ये काम
शिवरात्रि के दिन भूलकर भी माता-पिता, गुरूजनों,पत्नी, पराई स्त्री, बड़े-बुजुर्गों या पूर्वजों का अपमान नहीं करना चाहिए। उनके लिए गलती से भी मुख से अपशब्द नहीं निकालने चाहिए। मदिरा पान करना और दान की हुई चीजें या धन वापस लेना भी महापाप की श्रेणी में आता है
समय के अनुसार पूजन श्रेयस्कर
प्रथम पहर सायंकाल 6:13 बजे
द्वितीय पहर रात्रि 9:14 बजे
तृतीय पहर मध्यरात्रि 12:16 बजे
चतुर्थ पहर भोर 3:17 बजे
निशिथ काल पूजा समय- रात 11:52 से रात 12:40 बजे तक
बिल्वपत्र की तीन पत्तियों का महत्व
बिल्वपत्र या बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं। इन पत्तियों को अलग-अलग मत हैं. बिल्वपत्र की तीन पत्तियों को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा कई लोग इसे त्रिशूल और भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक भी मानते हैं.
महाशिवरात्रि पर शिव कृपा पाने के लिए करें ऐसी पूजा
शिवपुराण में महाशिवरात्रि का हर प्रहर भगवान शिव की आराधना करने का खास महत्व होता है. इस दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात इन चारों प्रहर में रुद्राष्टाध्यायी पाठ के साथ भगवान शिव का अलग-अलग पदार्थों जैसे दूध, गंगाजल, शहद, दही या घी से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. अगर आप रुद्राष्टाध्यायी का पाठ नहीं कर पाते हैं तब शिव षडक्षरी मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जप करते हुए भी शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं.
कुमकुम या सिंदूर है वर्जित
कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए. साथ ही शिवलिंग पर हल्दी भी न चढ़ाएं
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
पूजन सामग्री के साथ शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा आरंभ करें. इस बार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 मार्च को दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से आरंभ होगी, जो 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगी.
रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त है बेहद उत्तम
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए हिंदू धर्म में रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त को बेहद उत्तम माना गया है.
महाशिवरात्रि पूजा सामग्री
महाशिवरात्रि की पूजा में बेलपत्र, भांग, धतूरा, गाय का कच्चा दूध, चंदन, रोली, कपूर, केसर, दही, घी, मौली, अक्षत (चावल), शहद, शक्कर, पांव प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कुमकुम, कमलगटटा्, कनेर पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल, कलश आदि।.
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर एक वेदी पर कलश की स्थापना कर गौरी शंकर की मूर्ति या चित्र रखें. कलश को जल से भरकर रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी ,लौंग, इलायची, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगटटा्, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और शिव की आरती पढ़ें. रात्रि जागरण में शिव की चार आरती का विधान आवश्यक माना गया है। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ भी कल्याणकारी कहा जाता है.
शिवलिंग पर तिल न करें अर्पित
तिल को शिवलिंग में चढ़ाना वर्जित माना जाता है क्योंकि यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए.
शिवलिंग पर न चढ़ाएं तुलसीदल
तुलसी को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है और सभी शुभ कार्यों में इसका प्रयोग होता है, लेकिन तुलसी को भगवान शिव पर चढ़ाना मना है. भूलवश लोग भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करते हैं जिस वजह से उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती.
इन चीजों से करें भोले शंकर की पूजा
जब शिव पूजा करें तो इसमें बेलपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल आदि जरूर शामिल करें. ऐसा करने से पूजा का शुभ फल दोगुना हो जाएगा.
रात के चार प्रहरों में कब करें पूजा
महाशिवरात्रि पर रात में शिव व शक्ति की पूजा का विधान है। ये पूजा 4 प्रहरों में बांटी गई है
देखें समय:
रात के पहले प्रहर की पूजा : शाम 18:26 से रात 21:33 तक
रात के दूसरे प्रहर की पूजा : 21 फरवरी को 21:33 से 22 फरवरी को 00:40 तक
रात के तीसरे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को 00:40 से तड़के 03:48 तक
रात के चौथे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को तड़के 03:48 से सुबह 06:55 तक
महाशिवरात्रि के दिन पार्वती से शंकर का विवाह संपन्न हुआ था
साल 2020 में 21 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जा रही है.इस दिन को शिवजी का जन्म दिवस भी माना जाता है. और ये भी मान्यता है कि इसी दिन देवी पार्वती से शंकर का विवाह संपन्न हुआ था.
महा शिवरात्रि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, यह दिन भगवान शिव और देवी शक्ति के मिलन का दिन होता है. यह त्यौहार हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. यही कारण है कि हिंदू धर्म में रात के विवाह मुहूर्त बेहद उत्तम माने जाते हैं. इस दिन भक्त जो मांगते उन्हें शिवजी जरुर देते हैं.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन मनाई जाती है शिवरात्रि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल के आखिरी महीने फाल्गुन में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में महा शिवरात्रि का पर्व आता है। इस दिन सुबह से ही शिव मंदिरों में भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है और पूरा दिन श्रद्धालु भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।
महाशिवरात्रि पर बन रहा है ये अद्भुत संयोग
महाशिवरात्रि पर शनि राशि मकर में और शुक्र राशि मीन में हैं। दोनों ही अपने ही ग्रह में मौजूद हैं और उच्च अवस्था में है. ये दुर्लभ योग इससे पहले 1903 में आया था. इसके बाद ऐसा योग अब 2020 में बन रहा है. इस योग में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होगा और जातक यदि अपनी अपनी राशि अनुसार भगवान की आराधना करेंगे तो इससे उनकी कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.
रुद्राक्ष है शिव का श्रृंगार तत्व
रुद्राक्ष को भी शिव का श्रृंगार तत्व माना जाता है ।इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु(आँसू)से हुई है,इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।.
ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र
भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं. बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। शिव जी को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
करें ॐ नमः शिवाय का जाप
ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय। मंत्र का जप करते रहें, साथ ही ॐ नमो भगवते रुद्राय, का जप भी कर सकते हैं। इन मंत्रों को जपते हुए बेलपत्र पर चन्दन या अष्टगंध से राम- राम लिख कर शिव पर चढ़ाएं.
अतिपुण्यफलदायी माना गया है मासशिवरात्रि
प्रत्येक माह की 'मासशिवरात्रि' का एक-एक पल अतिपुण्यफलदायी माना गया है किन्तु, फाल्गुन माह की शिवरात्रि जिसे 'महाशिवरात्रि' कहा गया है उसका फल वर्षपर्यंत सभी शिवरात्रियों से भी अधिक है.
बन रहा है शुभ योग
इस बार महाशिवरात्रि पर दो महान शुभ योग बन रहा है. इस दिन सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक महान कल्याणकारी 'शिव योग' रहेगा. उसके बाद सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला 'सिद्धयोग' शुरू हो जाएगा.
महाशिवरात्रि क्यों है श्रेष्ठ
भगवान शिव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि श्रेष्ठ है. इस दिन दांपत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करते हैं.
महाशिवरात्रि 2021 के व्रत के दौरान ध्यान दें ये बातें
महाशिवरात्रि 2021 में यदि आप भी व्रत रखने वाले हैं तो कुछ बातों का आपको ध्यान देना होगा. यदि बुजुर्ग महिला या व्यक्ति व्रत रखना चाहते हैं तो फलाहार व्रत रख सकते हैं. गर्भवर्ती महिलाएं भी व्रत के लिए यही तरीका अपना सकती हैं. बाकी सभी को शिवरात्रि पर नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
महाशिवरात्रि 2021 पर शिवलिंग पूजा का महत्व (Shivling Puja Ka Mahatva)
इस दिन शिवलिंग की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जानी चाहिए. ऐसी मान्यता है कि जो जातक शिवरात्रि पर विधि-विधान से व्रत रखते हैं उनके सभी कष्टों को भगवान शिव हर लेते हैं. जैसा कि ज्ञात हो भोलेनाथ ने पूर्व में भी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ विष का प्याला पी लिया था. साथ ही साथ इस दिन कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए भी व्रत रखती हैं.
कैसे होता पंचक तिथि का आरंभ
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जब आपस में घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों का मेल होता है तो पंचक काल शुरू हो जाता है. यह तब लगता है जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि में रहता है. आपको बता दें कि हिंदू पंचांग अनुसार 11 मार्च को प्रात: 09 बजकर 21 मिनट पर चंद्रमा मकर राशि से कुंभ राशि में गोचर करने वाले है. इसी मुहूर्त में पंचक तिथि का आरंभ हो जाएगा.
पंचक लगने के बाद नहीं करें ये पांच शुभ कार्य
पंचक लगने के बाद लकड़ी को इकट्ठा करने से बचें, पलंग की खरीदारी न करें, लकड़ी से बनी चीजों का मरम्मत व निर्माण न करवाएं, घर का निर्माण या मरम्मत भी वर्जित होता है, इस मुहूर्त में दक्षिण की यात्रा करना भी अशुभ माना गया है.
पंचक की तिथि और मुहूर्त (Panchak March 2021)
11 मार्च को सुबह 09 बजकर 21 मिनट से पंचक लग रहा है. जो 16 मार्च की सुबह 04 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस दौरान कई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. इस दौरान पांच तरह के कार्य वर्जित रहते हैं.
महाशिवरात्रि 2021 सामग्री सूची (Mahashivratri Puja Samagri List In Hindi)
इस महाशिवरात्रि चारों प्रहर में पूजा करने के लिए आपको विभिन्न सामग्रियों की जरूरत पड़ सकती है. इनमें आपको सफेद पुष्प, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, गंगा जल, कपूर, धूप, दीपक, रोली, इत्र, मौली, जनेऊ, पंचमेवा, मंदार पुष्प, गन्ने का रस, दही, देशी घी, रूई, चंदन, पांच तरह के फल समेत भोग के लिए गाय का कच्चा दूध, शहद, स्वच्छ जल, खीर, बताशा, नारियल, पांच तरह के मिष्ठान व अन्य चीजों की जरूरत पड़ सकती है.
इस महाशिवरात्रि पर बन रहा ये विशेष योग
महाशिवरात्रि 2021 पर विशेष संयोग पड़ रहा है. इस साल यह पर्व त्रियोदशी से शुरू होकर चतुर्दशी में भी पड़ रही है. आपको बता दें कि इसका मुहूर्त कुल 23 घंटों का रहने वाला है. आपको बता दें कि नक्षत्र धनिष्ठा येाग 11 मार्च को रात्रि को 09 बजकर 45 मिनट तक रहने वाला है. फिर शतभिषा नक्षत्र लग जाएगा जो शिवरात्रि के दिन शिव योग अर्थात 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. इसके बाद सिद्ध योग लगने वाला है.
महाशिवरात्रि पर दुलर्भ योग
शिव योग 10 मार्च की सुबह 10 बजकर 36 मिनट से 11 मार्च की सुबह 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
सिद्ध योग 11 मार्च की सुबह 09 बजकर 24 मिनट से 12 मार्च की सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त: 12 मार्च, सुबह 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक
महाशिवरात्रि 2021 पर ऐसे करें शिव पूजा (Mahashivratri 2021 Puja Vidhi)
सबसे पहले महाशिवरात्रि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें
फिर व्रत का संकल्प लें.
भगवान शिव का जलाभिषेक करें.
शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, फूल, अक्षत, भस्म, दूध, दही आदि से अर्पित करें
शिवपुराण, चालिसा समेत अन्य शिव मंत्रों का जाप करें
रात्रि में भी शिवजी की आरती और पूजा करें
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2021 Shubh Muhurat)
निशित काल पूजा मुहूर्त: 11 मार्च, रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
पहला प्रहर: 11 मार्च की शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक
दूसरा प्रहर: रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
तीसरा प्रहर: रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक
चौथा प्रहर: 12 मार्च की सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक
क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि पर्व
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व की विशेष मान्यताएं है. ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि की रात्रि शिव और माता पार्वती के मिलन की रात के रूप में मनाया जाता है. साथ ही साथ इस दिन 64 शिवलिंग के रूप में भगवान भोले संसार में प्रकट हुए थे. हालांकि, दुनिया फिलहाल 12 शिवलिंग ही ढूंढ पायी है जिसे 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है.
Posted By: Sumit Kumar Verma