विकास वत्सनाभ की दो मैथिली कविताएं प्रभात खबर के दीपावली विशेषांक में प्रकाशित हुईं हैं. इन दोनों कविताओं- ‘सम्बन्ध’ और ‘जंगली फूल’ को आप यहां भी पढ़ सकते हैं…
पितामहक स्मृति मे
पिता रोपलनि आमक गाछ
बाँस रोपलनि पितिआ
सटले, कातक हत्तापर
मजरैत अछि आम,
बाँसक धाह सँ
मुदा हहरैत अछि टिकुला
गुड़कि कए चलि जाइत अछि
बाँसक जड़िमे
पसरए लगैत अछि अन्हार,
पसरल अन्हारक बीच
भोथिआएल अछि एखन सम्बन्ध
जूड़शीतलक दिन मुदा,
जुड़ाओल अछि गाछ-बाँस हमहूँ
पितिआइनिक आएल अछि कहौती-
पोताक छनि उपनएन
कतेक,
कतेक रास बाँस काटि सकब हम
मड़बठठ्ठीक लेल ?
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जंगलक बाटमे भेटैत अछि कतेको अपरिचित फूल
फूलक सङ्ग लागल अबैत एकटा उत्कंठा
किएक फुलाइत अछि जंगलमे फूल
एहि अकाबोन मे के सिखबैत हेतैक हँसब
कोना बिलहैत होएत अपन रङ्ग
कतेक दारुण हेतैक निर्मालक अभिलाष मे फुलाएब
पछबाक रमकी मे सिहकैत एहि फूलक समुद्र
बनबैत अछि एकटा मनहर चित्र
जेना कि असंख्य तितली उड़ि रहल हो मंथर गति सँ
कोनो बनकरिया युवतीक खोंपा मे गाँथल
डिगडिगियाक चोट पर
उत्सवक घोषणा करैत अछि जंगलीफूल
हेंजक-हेंज फूल बढ़ि रहल अछि नगर दिस
ओतए बसाओत अपन नव साम्राज्य
जतए कि नागरिक आब जंगली भए रहल अछि
एकटा समवेत ध्वनि सँ कंपित होइत अछि जंगल
“अनेरे नहि फुलाइत अछि जंगली फूल “
संपर्क : द्वारा, श्री वेदानन्द झा, शिक्षक, भगतसिंह कालोनी, नहर किनारे, लहेरियागंज, मधुबनी-847211, मो. – 9934799779, ई-मेल : vikash51093@gmail.com
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