Masan Holi 2024: बनारस में चिता की राख से 21 मार्च को मनाई जाएगी मसान होली, जानें क्या है मान्यता

Masan Holi 2024: Masan Holi 2024: बनारस एक ऐसी जगह है जो दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन क्या आप को पता है इस जगह कि एक और खास बात, यहां होली से पहले रंगों के जगह चिता की राख से होली खेली जाती है, आइए आप को इस बारे में विस्तार से बताते हैं.

By Pushpanjali | March 13, 2024 10:36 AM
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Masan Holi 2024: वाराणसी जिसे लोग बनारस के नाम से भी जानते हैं, ये एक ऐसी जगह है जो दुनियाभर में मशहूर है. विश्वभर से लोग यहां आते हैं और कहते हैं कि यहां आने से उन्हें मोक्ष का अनुभव होता है. इस शहर का हर अनुभव अनोखा है, चाहे वो वहां के सुंदर गंगा घाट हो, वहां का खाना हो या वहां की गलियां, लेकिन इन सब के बावजूद एक और बात बेहद निराली है और वो है वहां की होली, दरअसल वहां मसाने की होली के नाम से होली बेहद ही मशहूर है, इस दिन लोग खास तौर से रंगों के बजाय चिताओं की राख से होली खेलते हैं, ऐसे में आइए जानते हैं क्या है ये अनोखी संस्कृति.

सदियों पुरानी है चिता की राख से खेले जाने वाली होली

वाराणसी में सदियों से एक परंपरा चली आ रही है जिसे आज भी जीवित रखा गया है, इसके तहत बनारस के मशहूर मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर जलती हुई चिताओं के भस्म से स्थानीय लोग होली खेलते हैं, इसमें कम उम्र से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग के लोग सम्मिलित होते हैं. इस खास दिन से एक दिन पहले रंगभरी एकादशी मनाई जाती है और इसी दिन चिता की राख को एकत्र किया जाता है और एकादशी के ठीक एक दिन बाद लोग उसी राख से होली खेलते हैं, ये होली सबसे ज्यादा मणिकर्णिका घाट पर खेली जाती है.

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क्या है मसान की होली की धार्मिक मान्यता

मशहूर मसान की होली को लेकर एक धार्मिक मान्यता ये है कि रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भगवान शिव सभी भगवानों के साथ मणिकर्णिका घाट पर अपने भक्तों को दर्शन देने आते हैं और भस्म से होली खेलते हैं, कहा जाता है कि भगवान शंकर को भस्म बेहद ही प्रिय है और पुराने ग्रंथों में भी ये लिखा गया है कि भगवान शिव भस्म से ही अपना श्रृंगार करते हैं. इस खास दिन को लेकर एक और मान्यता ये है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद गौना कराकर उन्हें अपने धाम काशी लाए थे और इस मौके पर उन्होंने सभी देवी देवताओं के साथ होली खेली थी और वो खुद मसान घाट पर आए थे.

इस साल कब मनाई जा रही है होली

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन महीने के पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार मनाया जाता है और इस हिसाब से इस साल होली 25 मार्च को मनाई जाएगी. पूर्णिमा की तिथि कि बात करें तो इसकी शुरुआत 24 मार्च को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर होगी और 25 मार्च की सुबह 11 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. जानकारियों के मुताबिक, इस साल होलिका दहन के दिन भद्रा भी लगने वाला है.

भारत के विभिन्न जगहों पर अलग-अलग नामों से मनाई जाती है होली

भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न प्रकार की संस्कृतियां देखने को मिलती है, ऐसे में होली यूं तो पूरे भारत में मनाई जाती है लेकिन हर राज्य में इसे अलग-अलग नामों से और अलग तरीकों से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में होली को रंग पंचमी के नाम से सेलिब्रेट किया जाता है. यहां होली खेलने के लिए कलर्ड पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है. उत्तर प्रदेश में होली के त्यौहार को लठमार होली के नाम से सेलिब्रेट किया जाता है. पंजाब में होली के त्यौहार को होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है. गोवा में होली के त्यौहार को शिग्मो के नाम से जाना जाता है. उदयपुर में होली के त्योहार को रॉयल होली कहते हैं. उत्तराखंड में होली के त्यौहार को कुमाऊनी होली के नाम से जाना जाता है और केरल में होली के त्यौहार को मंजल कुली के नाम से जाना जाता है.

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