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Millet Benefits: मोटे अनाज में छिपा है पतले होने का राज, शरीर को कई बीमारियों से रखता है दूर

पुराने समय में लोग ज्यादातर मोटा अनाज जैसे बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी (मड़ुआ), सांवा, कोदो, कंगनी, कुटकी, जौ आदि बड़े पैमाने पर उगाते और खाते थे. लेकिन धीरे धीरे इनकी जगह पूरी तरह गेहूं और चावल ने ले ली. लेकिन इसके फायदों को देखते हुए एक बार फिर से मोटे अनाज को अपने खाने में शामिल करने का चलन बढ़ने लगा है. जानें इसके फायदे.

Millet Benefits: जब अनाज की बात होती है, तो सबकी जुबान पर बस दो ही नाम आता है, गेहूं और चावल. शहरों में रहने वाले लोग तो इसके अलावा शायद ही किसी और अनाज को अपने खाने में शामिल करते हैं, लेकिन इसके अलावा बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी (मड़ुआ), सांवा, कोदो, कंगनी, कुटकी, जौ जैसे कई ऐसे मोटे अनाज हैं, जो सेहत के लिहाज से बहुत फायदेमंद हैं.

फाइबरयुक्त होते हैं मोटे अनाज

मोटे अनाज में फाइबर बहुत ज्यादा होता है, इसलिए यह पाचन तंत्र के लिए बेहद फायदेमंद होता है. इसे खाने के बाद लंबे समय तक पेट भरा रहता है, जिस वजह से बार-बार खाने की जरूरत महसूस नहीं होती है. इसे आहार में शामिल करने से कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है. इसी वजह से वजन कम करने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए ये अनाज बेहद फायदेमंद होते हैं. लगभग सभी मोटे अनाजों में कैल्शियम, फाइबर, विटामिन्स, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है, जो हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं.

रागी से हड्डियों को मिलेगी मजबूती

कुछ ऐसे भी मोटे अनाज हैं, जिनमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है. हड्डियों की समस्या से जूझ रहे लोगों को अपने भोजन में रागी जरूर शामिल करना चाहिए. इसमें कैल्शियम काफी अधिक पाया जाता है जो ऑस्टेपेनिया के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है. इसे आप छोटे और बढ़ती उम्र के बच्चों के डायट में भी शामिल कर सकते हैं. इससे उन्हें कैल्शियम की कमी नहीं होगी. रागी डायबिटीज के रोगियों के लिए भी अच्छा विकल्प है.

बढ़ते पेट को कम करेंगे मोटे अनाज

जो लोग सिर्फ गेहूं की रोटी खाते हैं, उनका पेट काफी तेजी से बाहर आने लगता है. चूंकि गेहूं और चावल दोनों में ही कार्बोहाइड्रेट बहुत ज्यादा मात्रा में होता है, लेकिन मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा और जौ में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफी कम होती है. ऐसे में इनसे वजन बहुत तेजी से कम होने लगता है. ज्वार और ओट्स जैसे मोटे अनाज पेट तो भरते ही हैं साथ में इसमें जो पोषक-तत्व होते हैं, वे कुपोषण को भी दूर करते हैं. वहीं रोज जौ खाने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है. फाइबर से भरपूर ज्वार और मकई कब्ज को दूर करके पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं. इसमें मौजूद कैल्शियम कॉपर और आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ा कर एनीमिया को दूर करने में सहायक होते हैं. इस वजह से महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद भी इसका सेवन काफी फायदेमंद है.

कैंसर के जोखिम को करता है कम

बाजरा और मक्का जैसे मोटे अनाज कैंसर को भी दूर रखने में मदद करते हैं. बाजरा कोलेस्टेरॉल के लेवल को कम करता है और शरीर में कैंसर वाले टॉक्सिन को भी बनने से रोकता है. इन दोनों ही अनाजों में कई तरह के एंटी ऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं, जो कैंसर सेल्स से लड़ने में सहायक हैं. विटामिन ए और फॉलिक एसिड से भरपूर होने के कारण ये आंखों के लिए भी फायदेमंद हैं. खासकर बाजरा में अमीनो एसिड, कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और विटामिन बी 6, सी, ई जैसे कई विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पायी जाती है, जो कई बीमारियों से बचाता है.

ब्लड प्रेशर व डायबिटीज करे कंट्रोल

जौ और मक्का जैसे मोटे अनाजों में गेहूं के मुकाबले बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होता है. ऐसे में ये वजन कम करने, डायबिटीज कंट्रोल करने और ब्लडप्रेशर को नॉर्मल बनाये रखने में मदद करते हैं. दिल की बीमारियों से बचने के लिए भी जौ को अपने डायट में जगह दे सकते हैं. विटामिन ए और फॉलिक एसिड से भरपूर मक्का भी दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है. हालांकि, यदि आप वजन को कम करने की कोशिश में हैं, तो इसके सेवन से परहेज करना चाहिए. इसमें कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी काफी ज्यादा मात्रा में पायी जाती है, जो वजन को बढ़ाने का काम करता है.

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