25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Mithila Painting: रंगों और परंपराओं में बसी एक कला, जानिए मिथिला पेटिंग के बारे में

Mithila Painting: इस लेख में हमने मिथिला पेटिंग की प्राचीन कला के बारे में विस्तार से बताया है। यह कला केवल चित्रकारी नहीं है, बल्कि इसमें छुपी होती हैं कहानियाँ, परंपराएँ और संस्कार

Mithila Painting: मिथिला पेटिंग, जिसे हम मधुबनी पेटिंग के नाम से भी जानते हैं, बिहार के मिथिला क्षेत्र की एक बहुत पुरानी कला है. यह कला कई सदियों से चली आ रही है और इसे बनाने का तरीका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सिखाया जाता है. इस कला की खासियत यह है कि इसमें हर चित्र एक कहानी बयां करता है.मिथिला पेटिंग में ना सिर्फ रंगों की सुंदरता है, बल्कि इसमें हमारी संस्कृति की गहराई भी छुपी हुई है. यही इस कला की सबसे बड़ी खूबी है और इसी वजह से यह आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है.

कला का इतिहास

मिथिला पेटिंग का इतिहास बहुत पुराना है, जिसे रामायण काल से भी जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि जब भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था, तब मिथिला की महिलाएं घरों को सजाने के लिए इन चित्रों का इस्तेमाल करती थीं. यह परंपरा आज भी जिंदा है और मिथिला की औरतें इस कला को आगे बढ़ा रही हैं.

Also Read: Beauty Tips: बारिश के दिनों में अपने चेहरे का रखें ख्याल, इन चीजों का भूलकर भी न करें इस्तेमाल

Also Read: Beauty Tips: घर पर ही पाएं कांच जैसी चमकदार त्वचा, यहां जानें क्या है सबसे आसान तरीका

प्राकृतिक रंगों का जादू

मिथिला पेटिंग में रंगों का खास महत्व होता है. इसमें इस्तेमाल होने वाले रंग पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं. जैसे हल्दी से पीला रंग, नीम के पत्तों से हरा रंग, और पलाश के फूल से लाल रंग बनाया जाता है. ये रंग ना सिर्फ खूबसूरत होते हैं बल्कि इनके साथ एक अनोखा जुड़ाव भी होता है, जो इस कला को और खास बनाता है.

जीवन की झलकियाँ

मिथिला पेटिंग में चित्रों के जरिए जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दिखाया जाता है. चाहे वह शादी की रस्में हों, त्योहारों की खुशी हो, या फिर प्रकृति की सुंदरता हो, हर तस्वीर में एक अलग कहानी छुपी होती है. इस कला में देवी-देवताओं के चित्र, जानवर, पेड़-पौधे और यहां तक कि रोजमर्रा के जीवन के दृश्य भी देखने को मिलते हैं.

दीवारों से दुनिया तक

पहले मिथिला पेटिंग का इस्तेमाल सिर्फ घर की दीवारों और आंगनों को सजाने के लिए किया जाता था. आज यह कला पूरी दुनिया में मशहूर हो गई है. अब यह पेटिंग सिर्फ दीवारों पर ही नहीं, बल्कि कपड़ों, साड़ियों, दुपट्टों और कई सजावटी चीजों पर भी देखने को मिलती है. इस कला ने समय के साथ खुद को बदला है और आज भी अपनी चमक बनाए रखी है.

मिथिला पेटिंग की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?

मिथिला पेटिंग की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी रंगीन और प्राकृतिक चित्रकारी है, जो हमारी सांस्कृतिक कहानियाँ और परंपराएँ दर्शाती है. इसके चित्र देवी-देवताओं, जानवरों और प्राकृतिक तत्वों को दिखाते हैं, और रंग पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्री से बनाए जाते हैं.

मिथिला पेटिंग में रंगों का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

मिथिला पेटिंग में रंग पूरी तरह से प्राकृतिक स्रोतों से बनाए जाते हैं, जैसे हल्दी, नीम के पत्ते, और पलाश के फूल. ये रंग चित्रों को जीवंत और पारंपरिक बनाते हैं, और कला को एक विशेष सांस्कृतिक पहचान प्रदान करते हैं.

मिथिला पेटिंग के चित्र किस प्रकार की कहानियाँ दर्शाते हैं?

मिथिला पेटिंग के चित्र आमतौर पर देवी-देवताओं, त्योहारों, और प्राकृतिक दृश्यों की कहानियाँ दर्शाते हैं. इनमें जीवन की विभिन्न पहलुओं को रंगों और डिज़ाइन के माध्यम से बयां किया जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें