Loading election data...

Nagpura Jain Mandir Durg Tour: जानें छत्तीसगढ़ के इस जैन तीर्थस्थल के बारे में, पार्श्वनाथ से जुड़ी है कहानी

Nagpura Jain Mandir Durg: छत्तीसगढ़ में जैन तीर्थस्थल नगपुरा जैन मंदिर है. मंदिर के दांई ओर बढ़ने पर अत्यंत कलात्मक दो जिनालयों का दर्शन किया जा सकता है. इसी तरह बाई ओर श्री कल्याण पार्श्व जिनालय तथा श्री शिव पार्श्व जिनालय है.

By Shaurya Punj | August 9, 2023 12:55 PM
an image
  • छत्तीसगढ़ स्थित तीर्थस्थल नगपुरा जैन मंदिर में पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित है

  • प्रतिदिन श्रद्धालुओं की बढ़ती हुई संख्या इसके प्रति श्रद्धा का प्रमाण है

  • नागपुरा में जैन मंदिर है, वर्ष 1995 में स्थापित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है.

Nagpura Jain Mandir Durg: छत्तीसगढ़ में जैन तीर्थस्थल नगपुरा जैन मंदिर है. यहां पार्श्वनाथ की प्रतिमा की प्रतिमा स्थापित है. उत्खनन से प्राप्त पार्श्वनाथ की प्रतिमा को जगतपाल सिंह ने स्थापित कराया था. इस मंदिर के तीन शिखर हैं, जिनकी ऊंचाई 67 फुट है. मंदिर के मूलगर्भ में पाश्वनाथ की 15 प्रतिमाएं हैं एवं नृत्य मंडप और रंग मंडप में 14 आकर्षण मूर्तियां हैं. श्री पार्श्वनाथ की सप्तफण नागराज वाली प्रतिमा इस मंदिर की मुख्य आकर्षण है. मुख्य मंदिर की प्रथम मंजिल के शिखर भाग में कायोत्सर्ग मुद्रा में श्री पार्श्वनाथ और पद्मावती देवी सहित 9 मूर्तियां है.ऊपर ही दाईं ओर  श्री सीमंधर स्वामी तथा बांयी ओर श्री ऋषभदेव प्रभु के छोटे मंदिर हैं. मंदिर के दांई ओर बढ़ने पर अत्यंत कलात्मक दो जिनालयों का दर्शन किया जा सकता है. इसी तरह बाई ओर श्री कल्याण पार्श्व जिनालय तथा श्री शिव पार्श्व जिनालय है.

Also Read: Vaishno Devi Mandir के आसपास है घूमने की ये अच्छी जगह, जरूर करें एक्सप्लोर

जानें इसका इतिहास

कहा जाता है कि कलचुरी वंश के शंकरगण के प्रपौत्र गजसिंह को पद्मावती देवी ने 47 इंच ऊंची श्यामवर्णीय श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा सौंपी थी. संवत्‌ 919 में इस प्रतिमा को गजसिंह ने प्रतिष्ठित किया एवं प्रतिज्ञा की कि वह अपने राज्य में पार्श्वनाथ की ऐसी ही 108 प्रतिमाएं स्थापित करेगा. इसका उल्लेख ताम्रपत्र में करते हुए यह भी लिखा है कि यदि वह अपने जीवनकाल में ऐसा न कर सका, तो उसके वंशज इस कार्य को पूरा करेंगे.बाद में गजसिंह के प्रपौत्र जगतपाल सिंह ने नगपुरा में ऐसी ही प्रतिमा की स्थापना की. सप्तफणों वाली श्री पार्श्वनाथ की इस प्रतिमा से दिलचस्प गाथा जुड़ी हुई है.

दुर्ग से 4 कि.मी. दूरी पर स्थित यह स्थल आध्यत्मिक भावभूमि का परिचय देता है .शिवनाथ नदी के पश्चिम तट पर स्थित नगपुरा में कलचुरि कालीन जैन स्थापत्य कला का इतिहास सजीव होता है .राष्ट्रीय राजमार्ग 6 से लगी हुई दुर्ग-जालबांधा सड़क पर स्थित श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ का प्रवेश द्वार प्राचीन धर्म और संस्कृति का एक जीवंत उदाहरण है. आज यह स्थल एक तीर्थ के रूप में उभर रहा है. प्रतिदिन श्रद्धालुओं की बढ़ती हुई संख्या इसका प्रमाण है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में स्थापित श्री पार्श्व प्रभु की प्रतिमा श्री महावीर प्रभु की विद्यमानता मे ही उनके 37वीं वर्ष में बनी है. मुख्य मंदिर की सीढ़ियों से पहले संवत्‌ 919 में कलचुरी शासकों द्वारा स्थापित श्री पार्श्व प्रभु की चरण पादुका स्थापित है.

रहने की सुविधा

दुर्ग शहर (14 कि.मी.) पर विश्राम गृह, धर्मशाला एवं उच्च कोटि के निजी होटल्स आवास के लिए उपलब्ध हैं.

Also Read: Jharkhand Tourist Destinations: झारखंड का प्रसिद्ध वाटर फॉल है दशम जलप्रपात, ये है परफेक्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन

कैसे पहुंचे

वायु मार्ग:- रायपुर (54 कि.मी.) निकटमत हवाई अड्डा है जो मुंबई, दिल्‍ली, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलूरू, विशाखापट्नम, चेन्नई एवं नागपुर से वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है.

रेल मार्ग:- हावड़ा-मुंबई मुख्य रेलमार्ग पर दुर्ग (14 कि.मी.) समीपस्थ रेलवे जंक्शन है.

सड़क मार्ग:- दुर्ग से 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। निजी वाहन द्वारा सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकती है एवं बस स्टैण्ड से टैक्सियां भी उपलब्ध है.

दुर्ग में घुमने लायक जगह

दुर्ग का धार्मिक स्थल देवबलोड़

देवबलोड़ चरोड़ा में स्थित एक छोटा सा कस्बा है जो भिलाई से लगभग 3 km दुरी पर है. देवबलोड़ जगह एक प्राचीन शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है तथा इसकी इतिहास 5वीं शताब्दी से मिलती है.

पाटन

पाटन एक क़स्बा है, तथा पाटन दुर्ग जिले का नगर पंचायत भी है. पाटन समुन्द्र तल से 280 m उचाई पर स्थित है जो प्राकृतिक सुंदरताओं से भरी है.

दुर्ग का आकर्षण स्थल टंडुला

टंडुला भिलाई से 60 km की दुरी पर स्थित है तथा बलोड़ से 5 km दूर पर स्थित है. टंडुला को एक मानव निर्मित चमत्कर के रूप में जाना जाता है.

उवसाग्घरम पार्श्वावा तीर्थ

यह नागपुरा में जैन मंदिर है, जो वर्ष 1995 में स्थापित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. मंदिर के अलावा, यह स्थल एक बगीचे, मंदिरों, योग केंद्र और गेस्ट हाउस के लिए भी है जो की शोनाथ नदी के तट पर बना हुआ है. मंदिर की सबसे आकर्षक विशेषता इसके 30 फिट उचे प्रवेश द्वार और श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा है. इस स्थल में पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में भक्तो की बहुत भीड़ होती है.

Exit mobile version