आज पूरे देश भर में राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जा रहा है. चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस को इस दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत सरकार ने चौधरी चरण सिंह के योगदान और एक किसान से राज्य के मुखिया के रूप में उनके सफर को सम्मान देने के लिए इस दिवस की घोषणा साल 2001 में की थी. इस खास दिन पर प्रभात खबर ने बिरसा एग्रीकल्चर विवि के फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर के डीन डॉ पीके साही से बातचीत कर जाना कि आखिर किसानों की बेहतरी के लिए सरकारों की तरफ से क्या प्रयास किए जा रहे हैं.
किसान दिवस पर हम उस विभूति को याद करते हैं जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की है. चौधरी चरण सिंह ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में किसानों के महत्व को लेकर पूरे देश को जागरूक किया था. आज पूरे देश में किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए तमाम तरह की कवायदें की जा रही हैं. केंद्र और राज्य सरकार लगातार ऐसी नीति और योजनाओं पर काम कर रही है, जिससे किसानों की स्थिति में सुधार हो.
एग्रीकल्चर विभाग के डीन डॉ साही ने बताया कि किसानों की हालत को सुधारने और उनके पैदावार को बढ़ाने की नीयत से सॉयल टेस्टिंग योजना की शुरूआत कराई है. सॉयल टेस्टिंग होने के बाद किसानों को इससे काफी मदद मिलेगी. इस टेस्टिंग से किसानों को पैदावार बढ़ाने में मदद के साथ-साथ अधिक आय की भी रास्ते मिलेंगे.
डॉ शाही ने बताया कि लागत कम लगने का आशय यहां फसल लगाने से पहले उसकी अच्छी पैदावार के लिए उसमें डाले जाने वाले खाद और जरूरी पदार्थ से है. सॉयल टेस्टिंग से यह पता चल पाएगा कि पहले से मिट्टी में कौन से पदार्थ किस मात्रा में मिट्टी में मौजूद हैं. बिना स्वायल टेस्टिंग के यह नहीं पता चला पाता है कि मिट्टी को किस खाद की जरूरत है और किसकी नहीं. यह पता चलने से किसान जो फसल उगाने से पहले खाद पर खर्च करते थे, वहां से उनकी लागत कम होगी. लागत कम लगने पर जो भी आमदनी है उससे किसानों को फायदा पहुंचेगा.
Also Read: सर्दियों में बेली फैट कम करने के ढूंढ रहे हैं तरीके? तो रोज सुबह पिएं ये ड्रिंक्सस्वायल टेस्टिंग के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बीएयू के डीन डॉ साही ने कहा कि इसका एक और फायदा जो किसानों को मिलेगा उसमें सॉयल हेल्थ की एनालिसिस शामिल है. सॉयल हेल्थ की एनालिसिस होने से किसानों को साफ तौर पर पता चल सकेगा कि उनकी मिट्टी किस फसल की पैदावार सबसे अच्छी करेगी, जिससे किसानों को फायदा मिलेगा. इसके अलावा सॉयल हेल्थ से किसानों को यह भी पता चल सकेगा कि उनकी मिट्टी को कौन सा उर्वरक या खाद किस मात्रा में चाहिए.
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