National Maritime Day 2022: भारत में राष्ट्रीय समुद्र दिवस यानि नेशनल मैरीटाइम डे 5 अप्रैल को मनाया जाता है. जी हां वर्ल्ड मैरिटाइम डे और नेशनल मैरीटाइम डे दोनों अलग अलग दिन मनाए जाते हैं. वर्ल्ड मैरिटाइम डे जहां सितंबर माह के अंतिम गुरूवार को मनाया जाता है, वहीं भारत में राष्ट्रीय समुद्री दिवस हर साल 5 अप्रैल को मनाया जाता है.
विश्व समुद्री दिवस 1958 में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) सम्मलेन के अनुकूलन की तिथि चिन्हित करता है. इस दिवस को पहली बार 1978 में मनाया गया था. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) का शुरूआती नाम अंतरसरकारी समुद्री सलाहकार संगठन था, इसे 1982 में बदलकर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) कर दिया गया.
राष्ट्रीय समुद्री दिवस भारत के लिए बहुत खास है. दरअसल, राष्ट्रीय समुद्री दिवस 5 महासागरों में व्यापार को सुविधाजनक बनाकर समुद्री अर्थव्यवस्था के राष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है. अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत समुद्री व्यापार के मामले में दुनिया का 16वां सबसे बड़ा देश है. देश का समुद्री व्यापार लगभग 12 प्रमुख बंदरगाहों से होता है और देश के समुद्र तट की बात करें तो यह 7517 किमी लंबा है. 6.17 लाख किलो माल ढुलाई देश के प्रमुख बंदरगाहों से होती है. दिसंबर 2018 तक भारत में 43 शिपिंग कंपनियां हैं, जिनके पास कुल 12.69 मिलियन सकल टन भार के साथ 1,401 जहाज हैं.
दुनिया भर में महाद्वीपों के बीच सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल वाणिज्य का समर्थन करने के उद्देश्य से इसे प्रत्येक वर्ष एक ख़ास विषय के साथ मनाया जाता है.
राष्ट्रीय समुद्री दिवस 2022 की थीम पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी की जानी है, पिछले साल 2021 की थीम आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर ‘कोविड-19 से आगे सतत नौपरिवहन‘ (Sustainable Shipping Beyond Covid-19) थी.
तो वहीं 2020 में 57वें राष्ट्रीय नौवहन दिवस की थीम “एक स्थायी ग्रह के लिए सतत शिपिंग” (Sustainable shipping for a sustainable planet) थी.
समुद्र तटों की सफाई करना जरूरी
हम इंसानों ने अपने वातावरण में काफी कूड़ा-करकट फैला दिया है. जब हम समुद्रों के किनारे घूमने जाते हैं या पिकनिक मनाने जाते हैं, तो इस दौरान हम खाने-पीने की चीजों को, उनके पैकेट्स को, पानी की प्लास्टिक की बोतलों समेत कई ऐसी चीजों को वहीं फेंक देते हैं जो हमारे समुद्रों के लिए और उनमें रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए बेहद खतरनाक होती हैं. ऐसे में हमें समय-समय पर किसी अभियान को चलाकर इन समुद्र तटों की सफाई करनी चाहिए.
प्लास्टिक की पॉलीथीन, प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक से बने अन्य सामान हमारे पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. ऐसा प्लास्टिक जो गलता नहीं है और दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता, वो हमारे वायुमंडल में सालों तक ऐसे ही पड़ा रहता है. प्लास्टिक की थैलियों से हर साल एक लाख से अधिक जलीय जीव मारे जाते हैं. ऐसे में हमें प्लास्टिक की थैलियों और बैग को बंद करके कपड़े के बने बैग का इस्तेमाल करना चाहिए.
आज के दौर में सौंदर्य उत्पादों का काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है. ऐसे में इन प्रोडक्ट्स को बनाने वाली कंपनियों से बहुत सारा कचरा निकलता है, जो समुद्र तक पहुंच रहा है और इस कचरे को यहां से बाहर निकालना असंभव सा है. सौंदर्य उत्पादों और पैकेजों में उपयोग किए जाने वाले माइक्रोबीड्स और माइक्रोप्लास्टिक्स को महासागरों से फिल्टर करना असंभव है. सौंदर्य प्रसाधनों में ये जहरीले रसायन नालियों के माध्यम से रिसते हैं और महासागरों में चले जाते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचता है. इससे जलीय जीव-जंतुओं की मौतें तक होती हैं.
क्या हम अपने घर के अंदर गंदगी फैलाते हैं? हम अपने घर की सफाई रोजाना क्यों करते हैं? अगर इन सवालों के जवाब पूछें जाएं, तो कोई भी यही कहेगा कि ये जरूरी है. ऐसे में क्या ये जरूरी नहीं कि हम अपने समुद्र और वायुमंडल को भी साफ रखें? जब हम समुद्र के किनारे कुछ खाते हैं तो उसके पैकेट या बची हुई चीज को वहां क्यों फेंक देते हैं? हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हर एक व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागिरक बनते हुए कहीं भी गंदगी नहीं फैलानी चाहिए. इससे हम अपने महासागरों को बचाने की तरफ एक कदम बढ़ा सकते हैं.