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National Postal Worker Day 2021: कोरोना काल में डाक पहुंचाने आए कई डाकियों ने गंवायी जान, घर का पता ढूंढना भी हुआ था मुश्किल, जानें राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस का महत्व, इतिहास

Happy National Postal Worker Day 2021 Wishes, History, Theme, Significance, Coronavirus: आज राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस है. यह दिन याद दिलाता है कि डाक विभाग से जुड़े लोगों का हमारे जीवन में कितना बड़ा योगदान है. परिस्थिति कैसी भी हो जरूरी पत्र और पार्सल पहुंचाते हैं. यानी हमारी सहायता के लिए हर परिस्थिति में तैयार रहते हैं. कोरोना के इस कठिन समय में भी ये लोग जरूरी चीजें पहुंचा रहे हैं. आज की यह रिपोर्ट भारतीय डाक सेवा से जुड़े कर्मियों के योगदान पर आधारित है.

Happy National Postal Worker Day 2021 Wishes, History, Theme, Significance, Coronavirus: आज राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस है. यह दिन याद दिलाता है कि डाक विभाग से जुड़े लोगों का हमारे जीवन में कितना बड़ा योगदान है. परिस्थिति कैसी भी हो जरूरी पत्र और पार्सल पहुंचाते हैं. यानी हमारी सहायता के लिए हर परिस्थिति में तैयार रहते हैं. कोरोना के इस कठिन समय में भी ये लोग जरूरी चीजें पहुंचा रहे हैं. आज की यह रिपोर्ट भारतीय डाक सेवा से जुड़े कर्मियों के योगदान पर आधारित है.

1977 में हुई थी इस दिन की शुरुआत

डाक सेवा से जुड़े लोगों को सम्मान देने के लिए भारत में 1977 में इस दिन शुरुआत हुई थी. तब से हर वर्ष एक जुलाई को राष्ट्रीय डाक कर्मचारी दिवस मनाया जाता है. इस दिन भारतीय डाक से जुड़े लोगों को सम्मानित किया जाता है.

डाक विभाग के अधिकारियों की बात

डाक विभाग महामारी की शुरुआत से ही लगातार अपनी सेवाएं देता रहा है. इसमें सबसे बड़ा योगदान डाक कर्मियों का रहा है. इन्होंने जोखिम के बावजूद दिन-रात काम किया़ लोगों के घरों तक अपनी सेवाएं पहुंचायी. विभाग उनके इस अथक प्रयास और कर्तव्यनिष्ठा पर गौरवान्वित है और रहेगा. दूसरी लहर में भी कर्मचारी लगातार काम में जुटे रहे.

– शशि शालिनी कुजूर, सीपीएमजी, डाक विभाग

कोरोना काल में भी डाक कर्मचारियों ने कार्य किया. दूसरी लहर के दौरान भी डाकघर खुले रहे और काउंटर पर बचत बैंक सेवा और सभी तरह के पत्रों की बुकिंग जारी रही. डाक विभाग के कर्मचारियों ने कोविड वाॅरियर की तरह कार्य किया. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पत्रों और पार्सल का वितरण जारी रहा़

-संजय गुप्ता, सीनियर पोस्ट मास्टर, जीपीओ

  • 1766 में लार्ड क्लाइव ने देश में पहली डाक व्यवस्था स्थापित की थी

  • जबकि एक अक्तूबर 1854 में डाक विभाग की स्थापना हुई़

घर का पता ढूंढना भी हो गया था मुश्किल

एक डाकिया ने बताया कि कोरोना काल में भी सेवा कार्य के दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. दूसरी लहर में ग्राहक पोस्टमैन से पार्सल या पत्र तक लेना नहीं चाहते थे. कई बार उनका व्यवहार भी अच्छा नहीं होता था. इसके बावजूद हमलोग ग्राहकों को समझाते और पार्सल देते थे. पोस्टमैन जितेंद्र ने बताया कि कोरोना काल में सबकुछ बंद रहने से भी काफी परेशानी हुई़ लोगों के घर तक पहुंचना किसी मुश्किल से कम नहीं था. दुकानें बंद रहती थीं. गली-मोहल्ले में भी कम लोग दिखते थे. इस कारण लोगों का पता ढूंढ़ना भी किसी परेशानी से कम नहीं था. फिर भी लगातार काम करते रहे और लोगों तक सुविधा पहुंचायी.

दूसरी लहर में 297 डाककर्मी संक्रमित हुए

कोरोना काल की दूसरी लहर में झारखंड के 297 डाककर्मी संक्रमित हुए. 14 कर्मियों ने जान भी गंवायी. आम लोगों तक अपनी जान की परवाह किए बिना जरूरी जीवन रक्षक दवाएं पहुंचायी़ आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की डिलीवरी के साथ-साथ बैंकिंग सुविधा दी़

कोरोना वॉरियर्स बनकर उभरे

अभी पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है़ सबकी जिंदगी लगभग थम सी गयी है़ लोग अभी भी खुली हवा में चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं. इसके बावजूद डाक कर्मी अपनी भूमिका उसी तत्परता के साथ निभा रहे हैं. दूसरी लहर में जब सबकुछ थम चुका था, तब भी डाक कर्मी अपनी सेवा में जुटे रहे़ लोगों तक संदेशा और दवा पहुंचा रहे हैं.

रांची मंडल के पांच कर्मियों का निधन

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी डाकघर खुले रहे और काउंटर पर बचत बैंक सेवा और सभी तरह के पत्रों की बुकिंग जारी रही. डाक विभाग के कर्मचारी अभी कोरोना वॉरियर के रूप में काम कर रहे हैं. इस दौरान रांची मंडल में कोरोना से पांच कर्मचारियों की मृत्यु हुई. बावजूद इसके रांची शहर में मार्च से 23 मई 2021 तक करीब 90 हजार स्पीड पोस्ट, रजिस्ट्री पत्र, पार्सल घर तक पहुंचाया गया है. साथ ही डेढ़ लाख से अधिक साधारण पत्र पहुंचाये गये़

पोस्टमैन ने कहा गर्मी हो या बरसात हमेशा रहते हैं तत्पर, महामारी में भी जुटे रहे

गर्मी हो या बरसात हमेशा कार्य करते रहे हैं. इस महामारी में भी लगातार काम किया. हालांकि लोगों तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई़ इसके बावजूद ग्लास मास्क लगाकर पूरी सावधानी के साथ लोगों तक पहुंचे़ खुद का ख्याल रखते हुए उनकी सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रखा. शुरुआती दौर में डर था, लेकिन काम कभी रुका नहीं. कई फ्लैट व बिल्डिंग में लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा, फिर भी उन्हें समझाया़ हमलोगों के काम की कोई समय सारणी नहीं होती, जब तक कि पूरा पार्सल लोगों तक न पहुंच जाये. कई बार शाम सात बज जाते हैं.

-जितेंद्र कुमार महतो, डाकिया

जीपीओ में काम करते हुए 17 साल हो गये. पोस्टमैन के रूप में 12 वर्ष हो गये़ इस महामारी में भी हमलोगों ने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली. कोरोना महामारी में बाजार बंद होने से परेशानी जरूर हुई, लेकिन सावधानी बरतते हुए कार्य किया. यहां तक कि कोरोना संक्रमित के घर भी पहुंचे़ वेल्लोर और मुंबई आदि जगहों से आनेवाली दवाओं और जरूरी पार्सल को पहुंचाया़ किसी तरह घर के दरवाजे तक पहुंचे़ इस महामारी ने लोगों की हिम्मत तोड़ दी है, फिर भी हमने अपना काम पूरा किया़

-पंचरत्न कुमार ठाकुर, डाकिया

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