New Year Resolution 2023: साल 2022 को खत्म होने में अब बस और कुछ ही दिन रह गए हैं. पूरी दुनिया को 2023 के आगमन का इंतजार है. नया साल हमेशा नई आशा की किरण लेकर आता है. अपने जीवन में अच्छे बदलाव लाने के लिए साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी को कुछ गलत आदतों को छोड़ने के रेजोल्यूशन लें और उसे पूरे साल फॉलो करें.
संत कबीर दास जी के इस दोहे का अर्थ है कि हमें ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जिससे किसी का भी मन कभी न दुखे. ऐसा करने से हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं. खुद भी एक अच्छे इंसान बन सकते हैं. आप नए साल पर इस सोच को अपना सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में लेकर जा सकते हैं.
हर व्यक्ति को चाहे वह औरत हो या मर्द आत्मनिर्भर जरूर होना चाहिए. अकसर लोग दूसरे की कही बातों से प्रभावित हो जाते हैं जिससे उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुचता है. इस नए साल पर हम यह रेजोल्यूशन ले सकते हैं कि हम हमेशा अपने अंतरात्मा की आवाज सुनेगें और खुद को मजबूत बनाएंगे.
एक अच्छे भविष्य के लिए हमें पैसे बचाना और उनका सदुपयोग करना आना चाहिए. अगर हम अपने बच्चों को पैसों की कीमत के बारे में बताएंगे तो आने वाले समय में उन्हे आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
आज की इस दुनिया में हम सब को खास कर हमारी युवा पीढ़ी को बाहरी खूबसूरती ही आकर्षित करती है. लेकिन एक खूबसूरत इंसान की पहचान उसका चेहरा नहीं बल्कि उसका खूबसूरत दिल होता है. इस नए साल हम अपने बच्चों को और खुद को रंग रूप के दीवार से परे खूबसूरती की असल परिभाषा से रूबरू करवा सकते हैं.
हम अपने घर के बच्चों को अपने से बड़ों का सम्मान करना सीखा सकते हैं क्योंकि वर्तमान सोशल मीडिया के दौर में यह सबसे अहम सीख रहेगी.
कई बार हमारे आस पास समाज के किसी एक वर्ग के साथ अन्याय होता देख हम चुप ही रह जाते हैं लेकिन एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए हम सब को एकजुट होकर गलत के खिलाफ आवाज शांतिपूर्ण तरीके से जरूर उठाना चाहिए.
हम में से बहुत लोग खास कर औरतें ना नहीं बोल पातीं. इस पुरुष प्रधान समाज में कई बार औरतें ऐसी बहुत सी बातों में भी अपनी हामी दे देती हैं, जो उन्हें मन से स्वीकार नहीं. लेकिन हर इंसान को अपनी जिंदगी अपने अनुसार जीने का पूरा हक है. इसलिए बिना किसी से डरे अपने मन की सुनें और अपने जीवन को खुल कर जिएं.
ना बोलने के साथ साथ हमें ना स्वीकार करने की आदत भी डालनी चाहिए. कई बार हम उन लोगों की आलोचना करते हैं जो हमारे मांग और विचारों को स्वीकार नहीं करते लेकिन हमें यह सीखने की जरूरत है कि हर इंसान की विचारधारा हमसे अलग हो सकती है और विचारों में मतभेद होना आम है.
कई बार हम खुद की तुलना दूसरों से कर डालते है और यह विचार करते हैं कि कौन हमसे अच्छा है या कौन बुरा है. लेकिन हमें यह सीखने की जरूरत है कि भगवान की दुनिया नायाब है और हर इंसान खुद में निराला है. किसी की भी तुलना किसी दूसरे से करना उचित बात नहीं.
आज कि इस दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन. इन सब का दुष्प्रभाव हमारी प्रकृति पर होता है. हम पौधे लगाना, ट्रैफिक पर गाड़ी की ईंधन को बंद करना, जब संभव हो तब रीसाइकल्ड पेपर लेना, बिजली का बचत करने जैसे इको-फ्रेंडली हैबिट्स को अपना सकते हैं. हमारी यह छोटी कोशिशें भी पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकती हैं.